पीएम टपक सिचाई योजना से आच्छादित होगा 750 हेक्टेयर
दुमका जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री सिचाई योजना के तहत 750 हेक्टेयर भू-भाग पर टपक सिचाई योजना स्थापित किए जाने का लक्ष्य तय है। इसके लिए अब तक जिले के चार प्रखंड दुमका रामगढ़ जामा एवं जरमुंडी के 45 लाभुकों का ऑनलाइन चयन किया जा चुका है।
जागरण संवाददाता, दुमका : दुमका जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री सिचाई योजना के तहत 750 हेक्टेयर भू-भाग पर टपक सिचाई योजना स्थापित किए जाने का लक्ष्य तय है। इसके लिए अब तक जिले के चार प्रखंड दुमका, रामगढ़, जामा एवं जरमुंडी के 45 लाभुकों का ऑनलाइन चयन किया जा चुका है। टपक सिचाई योजना के तहत एक यूनिट पर तकरीबन एक लाख रुपये खर्च किए जाने का प्राविधान है जिसमें बड़े किसानों को 80 फीसद और छोटे को 90 फीसद अनुदान मिलता है। किसानों के चयन की प्रक्रिया में उनकी जमीन, वंशावली, आधार एवं बैंक खाता का होना अनिवार्य है। लाभुक चयन में अहम भूमिका नाबार्ड की है जिसके अधिकारी ऑनलाइन आवेदन के बाद लाभुक के भू-भाग का आकलन कर योजना की स्वीकृति प्रदान करते हैं। जबकि कृषि महकमा की भूमिका योजना के धरातल पर उतारने या उतारे जाने के बाद इसकी राशि का भुगतान लाभुक के खाते में करना है। राज्य भर में डेढ़ दर्जन कंपनियों को दी गई है जिम्मेवारी टपक सिचाई योजना को सही तरीके से धरातल पर स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के स्तर से डेढ़ दर्जन नामचीन कंपनियों को जिम्मेवारी सौंपी गई है। इनमें भारत, जैन, प्रीमियर, निबस, एसआरएम प्लास्टो, दिनेश एरिगेशन, भगवती प्लास्टिक, नेटाफेम एरिगेशन, भरत डेवलपमेंट एरिगेशन, पैरागॉन ग्लोबल इलेक्ट्रो समेत कई कई कंपनियां शामिल हैं। पूर्व में चयनित योजनाओं में गड़बड़ी की आशंका दुमका जिले में पूर्व में चयनित लाभुकों की जमीन पर टपक सिचाई योजना लगाने में गड़बड़ी की आशंका है। खुद लाभुक को भी इसकी जानकारी नहीं है कि उनकी जमीन पर टपक सिचाई योजना किस मद से कौन
लगा रहा है। इस योजना में बिचौलिए अहम भूमिका निभा रहे हैं। खबर है कि इनके ही जरिए लाभुकों का आवेदन स्वीकृत होता है और योजना की स्वीकृति के बाद इसमें अनियमितता भी बरती जाती है। जामा प्रखंड के कुकुरतोपा में अब तक टपक सिचाई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है जबकि ग्रामीणों का कहना है कि इसके लिए एक वर्ष पूर्व ही यहां पहल शुरू की गई थी। इस मामले में कृषि महकमा के अधिकारी भी कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है। वर्जन वित्तीय वर्ष 20-21 में जिले में 750 हेक्टेयर भू-भाग टपक सिचाई योजना से आच्छादित करने का लक्ष्य तय है। लाभुकों के चयन में कृषि महकमा की कोई भूमिका नहीं है। भुगतान की जिम्मेवारी कृषि महकमा की है जो लाभुक के खाते में किया जाता है। एक योजना पर तकरीबन एक लाख रुपये का खर्च होता है।
ओमप्रकाश सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, दुमका