585 करोड़ से होगा जिले का विकास
दुमका जिला के समग्र विकास का खाका पोटेंसियल लिक क्रेडिट प्लान (पीएलपी) में तय होता है। नाबार्ड द्वारा 2020-21 के लिए दुमका जिला का 585 करोड़ का पीएलपी तैयार किया गया है। मंगलवार को समाहरणालय सभागार में उप विकास आयुक्त शेखर जमुआर ने पीएलपी का विमोचन किया। पीएलपी को संभाव्यतायुक्त साख योजना भी कहा जाता है। अब इसी के आधार पर अग्रणी बैंक की ओर से वाíषक साख योजना तैयार किया जाएगा। वाíषक साख योजना (एसीपी) का आधार पोटेंसियल लिक क्रेडिट प्लान (पीएलपी) ही होता है।
-फसल ऋण पर खर्च होंगे 297 करोड़
-बीते साल से 13 फिसदी अधिक है लक्ष्य
जागरण संवाददाता, दुमका: जिला के समग्र विकास का खाका पोटेंसियल लिक क्रेडिट प्लान (पीएलपी) में तय होता है। नाबार्ड द्वारा 2020-21 के लिए दुमका जिला का 585 करोड़ का पीएलपी तैयार किया गया है। मंगलवार को समाहरणालय सभागार में उप विकास आयुक्त शेखर जमुआर ने पीएलपी का विमोचन किया। पीएलपी को संभाव्यतायुक्त साख योजना भी कहा जाता है। अब इसी के आधार पर अग्रणी बैंक की ओर से वाíषक साख योजना तैयार किया जाएगा। वाíषक साख योजना (एसीपी) का आधार पोटेंसियल लिक क्रेडिट प्लान (पीएलपी) ही होता है। अप्रैल महीने के अंत तक सभी बैंक को विभाग व योजना वार बैंक ऋण देने का लक्ष्य तय कर दिया जाएगा। उनको बता दिया जाएगा कि किस क्षेत्र में कितनी संभावनाएं हैं। डीडीएम नाबार्ड नवीन चंद्र झा ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में जो संभावना व्यक्त की गई है उसमें खेती किसानी को प्राथमिकता में रखा गया है। जिसमें आधुनिक तकनीक एवं कृषि में उच्च प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर दिया गया है।
जिला विकास प्रबंधक ने नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए संभाव्यता युक्त साख योजना के बारे में विस्तार से चर्चा किया। कहा कि 2020-21 का तय लक्ष्य 2019-2020 के लक्ष्य से 13 फीसद अधिक है। बताया कि वर्ष 2019-20 में 517 करोड़ एवं 2018-19 में 501 करोड़ रखा गया था। इस बार फसल ऋण का आकलन 297 करोड़ रखा गया है। जो तय पीएलपी का पचास फीसद है। बैठक में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक को 2020-21 के लिए जिले का वाíषक ऋण योजना, वाíषक साख योजना नाबार्ड द्वारा तैयार पीएलपी के अनुसार बनाने का निर्देश दिया गया। पीएलपी पर आधारित इस वाíषक ऋण योजना के तहत जिले में कार्यरत सभी बैंक शाखाओं को प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत इस साल के लिए ऋण का लक्ष्य दिया जाएगा। कैसे तैयार होता है पीएलपी नाबार्ड पीएलपी बनाने से पहले जिला के सभी विभाग वन विभाग, कृषि, बागवानी मिशन, पशुपालन, सिचाई समेत उन सभी विभागों से डाटा की मांग करता है। जैसे कृषि विभाग से किसानों की संख्या। परती जमीन, कृषि योग्य भूमि का डाटा मांगा जाता है। उसके बाद योजना से मिलने वाला अनुदान को देखने के बाद ऋण का आकार तय होता है। कितना यूनिट ऋण का लक्ष्य होगा, यह एसएलबीसी (स्टेट लेवल बैंकिग) कमेटी तय करती है। एसएलबीसी से यूनिट का कॉस्ट मिल जाने के बाद नाबार्ड संभावनायुक्त साख योजना को अंतिम रूप देता है।