सूबे में 38 प्रतिशत लड़कियां होती है बाल विवाह का शिकार
रामगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ में मंगलवार को बाल विवाह एक सामाजिक अपराध एवं कोरोना वायरस विषय पर जागरूकता हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ में मंगलवार को बाल विवाह एक सामाजिक अपराध एवं कोरोना वायरस विषय पर जागरूकता हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए चिकित्सा पदाधिकारी डा. रूही कुमारी ने बताया कि बाल विवाह एक प्रचलित सामाजिक कुरीति है। जो वषरें से हमारे समाज में विद्यमान है। आधुनिकता के इस दौर में बाल विवाह के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। झारखंड में 38 प्रतिशत लड़कियों की शादी आज भी कम उम्र में हो जाती हैं। जिसके कारण 12 प्रतिशत लड़कियां कम उम्र में ही गर्भधारण कर लेती है। जो एक चितनीय विषय है। इसके साथ - साथ उनके शारीरिक विकास, मानसिक विकास एवं भावनात्मक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता हैं। बाल विवाह को रोकने के लिए कानून को भी सहारा लिया जा सकता है। भारत सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया है। इसके तहत बाल विवाह करने पर लड़के एवं लड़की के माता-पिता, रिश्तेदार, बाराती एवं विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसे समाज में जड़ से खत्म करने के लिए जनप्रतिनिधि की भी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने पंचायत में हो रहे बाल विवाह को रोके। इसे रोकने के लिए गांव गांव में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। कार्यशाला में चिकित्सक ने कोरोना वायरस से बचाव के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। कहा कि इससे बचने के लिए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना होता है। यदि किसी व्यक्ति को सर्दी, खांसी बुखार नियमित रूप से रह रहा है तो उसे तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति से कुछ दूरी बनाकर ही बात करनी चाहिए। दिन में कई बार अपने हाथों को साबुन से धोना चाहिए। सर्दी खांसी से पीड़ित व्यक्ति को अपना मुंह ढककर रखना चाहिए। कोरोना वायरस से डरने की कोई जरूरत नहीं है। बस थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत है। इस दौरान चिकित्सक डा. संदीप मंडल, प्रभारी बीपीआरओ गौतम मंडल, बीआरपी प्रफुल्ल झा, महिला पर्यवेक्षिका मीना कुमारी, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक अक्षय आनंद, नागेन्द्र राय समेत अन्य एएनएम उपस्थित थे।