दूसरे दिन दो चिकित्सक समेत 110 स्वास्थ्यकर्मियों को लगा टीका
स्वास्थ्य विभाग की कोशिश के बाद भी महकमा टीकाकरण के लिए निर्धारित संख्या के करीब पहुंच नहीं पा रहा है। सोमवार को उम्मीद के मुताबिक महज दो चिकित्सक समेत 110 स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाया।
जागरण संवाददाता, दुमका: स्वास्थ्य विभाग की कोशिश के बाद भी महकमा टीकाकरण के लिए निर्धारित संख्या के करीब पहुंच नहीं पा रहा है। सोमवार को उम्मीद के मुताबिक महज दो चिकित्सक समेत 110 स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाया। दुमका डीएमसीएच में 40 व सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 70 स्वास्थ्य कर्मी टीके के लिए आगे आए। जबकि शनिवार को इनकी संख्या 116 ही थी।
दोनों केंद्र में सुबह 10 बजे से टीकाकरण के लिए कर्मियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। डीएमसीएच में सबसे पहले सरकारी चिकित्सक डॉ. देवाशीष रक्षित व रेखा के अलावा स्वास्थ्य कर्मी संजय झा और कृष्ण कुमार उर्फ पप्पू ने टीका लगवाया। इसके बाद 10 लोगों की संख्या पूरी करने के लिए इंतजार करना पड़ा, लेकिन सरैयाहाट में स्वास्थ्य कर्मी लगातार आते रहे। शाम पांच बजे तक दोनों केंद्र में कुल 110 लोगों ने टीका लगवाया। सिविल सर्जन डॉ. अनंत कुमार ने बताया कि कम कर्मियों के आने की वजह यह थी कि कुछ लोगों का नाम पहले ही पोर्टल में चढ़ चुका था। कुछ लोगों का तबादला हो चुका है और कुछ गर्भवती महिलाएं थीं। गर्भवती को टीका नहीं देना था। ये लोग सोमवार को भी टीकाकरण के लिए नहीं आए। पोर्टल में जिन लोगों का नाम चढ़ा है, पहले उन्हें ही टीका देना है। इस वजह से लोगों की संख्या बढ़ने की बजाय कम रही। रोज दो सौ स्वास्थ्य कर्मियों को टीका दिया जाना है। नए सिरे से सूची तैयार कर संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
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कोरोना को हराने के लिए लगवाएं टीका
डॉ. देवाशीष रक्षित ने कहा कि सरकार की इस पहल का लाभ उठाना चाहिए। जिनका नाम सूची में पहले से दर्ज है उन्हें बिना किसी संकोच के आगे आना चाहिए। कहा कि भय जैसी कोई बात नहीं है। डाक्टर को ही कोरोना मरीज का सामना करना पड़ता है। अगर वे ही आगे नहीं आएंगे तो दूसरों पर इसका असर जरूर पड़ेगा। इसलिए सबसे पहले टीका लगवाया। इस दौरान कुछ पता भी नहीं चला।
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सरकार के नियमों का पालन: संजय
डीएमसीएच के स्वास्थ्य कर्मी और पोस्टमार्टम संबंधित कार्य देखने वाले संजय झा संक्रमित हो चुके हैं। उनका कहना था कि संक्रमण के दौर में सुनते थे कि जल्द टीका आने वाला है। मन में उत्सुकता थी, लेकिन डर नहीं। मन में जरूर चाह थी कि टीका आने पर सबसे पहले परिवार के मुखिया को दिया जाए। लेकिन सरकार के नियमों ने ऐसा करने से रोक दिया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता में रखा था, इसलिए चाह कर भी कुछ कर पाना संभव नहीं था।
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मन से दूर हुआ टीका का भ्रम: पप्पू
स्वास्थ्य कर्मी सह डीएमसीएच के भंडारपाल कृष्ण कुमार उर्फ पप्पू का कहना था कि टीका के बारे में खूब सुना था। नई चीज थी, इसलिए मन में थोड़ी शंका भी थी। टीका लगाने के बाद महसूस हुआ कि यह सब मन का भ्रम था। ताजगी का अहसास हुआ। किसी प्रकार की बेचैनी तक नहीं हुई। पता ही नहीं चला कि कब टीका लग गया। जिन लोगों का नाम सूची में दर्ज है, उन्हें टीका के लिए आगे आना चाहिए।