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Weekly News Roundup Dhanbad: मंगनी के चंदन घस रघुनंदन... रेलवे के हेल्थ किट से चमक रही राजनीति

Weekly News Roundup Dhanbad चाहे कितनी भी कोशिश कर ले मगर रेलवे अपने पार्सल कर्मचारियों को नहीं सुधार सकती है। पैसे भी ज्यादा लेंगे और सामान पूरी पहुंच जाए इसकी भी गारंटी नहीं। इस बार मामला महाराष्ट्र के कल्याण स्टेशन का है जिसके तार धनबाद से भी जुड़ गए हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 09:52 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 09:52 AM (IST)
धनबार रेल मंडल कार्यालय का मुख्यद्वार ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। पैसे कर्मचारियों के। खरीद रही रेलवे और किट बांट रहे यूनियन के नेताजी। जी हां, धनबाद रेल मंडल में कर्मचारियों को हेल्थ किट बांटा जा रहा है। किट में हैंड सैनिटाइजर, हैंड वॉश और हाथ धाेने वाला साबून है। जैसे ही रेल यूनियन के नेता किट बांटने लगे और अपने मुंह मियां मिट्ठू होना शुरू किया। बस इसका विरोध भी शुरू हो गया। आमने-सामने विरोध तो नहीं है मगर इंटरनेट मीडिया पर यूनियन के खिलाफ खूब भड़ास निकल रही है। रेलवे कर्मचारी कह रहे हैं कि हेल्थ किट के लिए कर्मचारियों से पैसे लिए गये। उस पैसे का आपातकालीन फंड तैयार हुआ। उसी फंड ने किट की खरीद हुई। अब जब कर्मचारियों के पैसे ही किट की खरीद हुई तो यूनियन उसे बांटकर अपना विजय पताका क्यों लहरा रही है। यूनियन को कर्मचारी हित की इतनी फिक्र है तो अपने फंड से खर्च करे। 

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पैसे ज्यादा, सामान आया आधा

चाहे कितनी भी कोशिश कर ले मगर रेलवे अपने पार्सल कर्मचारियों को नहीं सुधार सकती है। पैसे भी ज्यादा लेंगे और सामान पूरी पहुंच जाए इसकी भी गारंटी नहीं। इस बार मामला महाराष्ट्र के कल्याण स्टेशन का है जिसके तार धनबाद से भी जुड़ गए हैं। शनिवार को करण कुशवाहा के दोस्त धनबाद पार्सल में अपना सामान लेने पहुंचे थे। मुंबई मेल में कल्याण से धनबाद तक के लिए सामान बुक कराया था जिसमें बाइक समेत आठ सामान थे। पर उन्हें मिले सिर्फ तीन सामान। पार्सल कर्मचारी ने बाकी सामान गया में उतार लिए जाने की जानकारी दी। मामले की शिकायत डीआरएम तक पहुंच गई। यह भी बताया कि पार्सल का बिल 7906 रुपये का मिला पर कल्याण में वसूले गए 14 हजार। अब धनबाद से मुंबई तक के डीआरएम सक्रिय हो गये। सामान जल्द भेजने के साथ इंक्वायरी की भी बात हो रही है। 

उजड़ रहा मैदान, पब्लिक हैरान

कभी रेल कॉलोनियां सुविधाओं के मामले में नजीर होती थीं।क्वार्टर के सामने बागीचा और कॉलोनी के बीचोबीच खेल का मैदान होता था। बदलते वक्त के साथ कॉलोनियों की तस्वीर भी बदलने लगी। अब तो खेल का मैदान ढूंढ़ना पड़ता है।जो बचे हैं उन्हें भी रेलवे एक-एक कर उजाड़ने पर आमादा है। पिछले साल गोमो के एक खेल मैदान को उजाड़ा जा रहा था। विरोध के बाद भी रेलवे मानने को तैयार नहीं थी। पर राजनीतिक विरोध के बाद रेलवे ने अपने हाथ खींच लिये। अब लोको कॉलोनी के मैदान को उजाड़ना शुरू कर दिया। गोमो जंक्शन पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए वॉशेबल एप्रॉन बन रहा है। इसके लिए निर्माण सामग्री रखने की जगह इसी मैदान को बना दिया गया। मैदान की चाहरदीवारी तक तोड़ दिया गया। विरोध शुरू हो चुका है। डीसी, डीआरएम से लेकर रेलमंत्री तक को ट्वीट हो चुका है। 

कर्मचारियों की परेशानी भी समझिए

मोबाइल से साइन ऑन और साइन ऑफ करने में बहुत सारी परेशानियां हैं। कभी कर्मचारियों की समस्याओं को जानने की कोशिश की आपने। कुछ लोगों के पास न एंड्राएड फोन है और न ही उसे चलाना जानते हैं। कृपया इस आदेश को मौजूदा परिस्थिति में लागू न करें। इससे समस्याएं और बढ़ेंगी...। यह लाइनें रेलवे के फरमान से नाराज कर्मचारी की है जिसे लेकर महाप्रबंधक से डीआरएम तक का दरवाजा खटखटाया है। हुआ यह है कि धनबाद रेल मंडल के क्रू लॉबी में यह नोटिस चिपका दिया गया है कि अपना साइन ऑन ड्यूटी चालक दल एप से करें। नॉर्मल या सीएमई मोबाइल के विकल्प से ही साइन ऑफ करें। इसे अति आवश्यक समझें। नोटिस को रेलवे बोर्ड चेयरमैन के आदेशानुसार बताया गया है। जिन कर्मचारियों को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता, उनके लिए यह नई परेशानी बन गई है जिसका विरोध कर रहे हैं।


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