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Commercial Mininig: मजदूर संगठनों ने आंदोलन का फूंका बिगुल, अपनी सरकार के खिलाफ संघ परिवार भी मुखर

Commercial Mininig कमर्शियल माइनिंग के विरोध में मजदूर संगठनों ने आंदोलन का ऐलान किया है। सरकार समर्थित भारतीय मजदूर संघ भी कमर्शियल माइनिंग के विरोध में है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 11:15 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 07:25 AM (IST)
Commercial Mininig: मजदूर संगठनों ने आंदोलन का फूंका बिगुल, अपनी सरकार के खिलाफ संघ परिवार भी मुखर
Commercial Mininig: मजदूर संगठनों ने आंदोलन का फूंका बिगुल, अपनी सरकार के खिलाफ संघ परिवार भी मुखर

धनबाद, जेएनएन। Commercial Mininig कोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग होगी। निजी क्षेत्र भी खनन का मोर्चा संभालेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार 11 जून से नीलामी प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। पहले चरण में 50 कोल ब्लॉक को इसके लिए चिह्नित किया गया है। सरकार के इस कदम का श्रमिक संगठनों ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है। और तो और इस कड़ी में भारतीय मजदूर संघ भी मुखर हुआ है।

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मजदूर संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद ने तो यहां तक कहा है कि इंदिरा गांधी ने जिस सोच के साथ कोयला सेक्टर का राष्ट्रीयकरण किया, उसी सोच को आगे बढ़ाते हुए कोयला उद्योग को फिर पूंजीपतियों के हाथों में बेचा जा रहा है। यह श्रमिक हितों पर कुठाराघात है। इंटक, सीटू, एचएमएस, एटक ने भी सरकार के निर्णय का विरोध किया है। कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और कोयल सचिव अनिल जैन को भी पत्र भेजा है। मजदूर संगठनों ने इस मुद्दे पर सड़क से संसद तक आंदोलन का बिगुल बजा दिया है।  

भामसं के बिंदेश्वरी प्रसाद का कहना है कि इस मुद्दे पर सभी श्रमिक संगठनों को एकजुटता के साथ विरोध करना चाहिए। धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने निजीकरण को उचित बता भाजपा के लिए गड्ढा खोदने का काम किया है। दूसरी ओर अखिल भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के महासचिव सुधीर घुरर्डे ने कहा है कि कोयला खनन का अधिकार कोल इंडिया के पास ही रहना चाहिए। निजी कंपनी तो अपने फायदे के लिए काम करेगी। मजदूरों का जमकर शोषण करेगी।  

निजी कंपनियों के आने से बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा

कोल इंडिया की झारखंड में भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड व ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड खनन कर रही है। सेल व टाटा स्टील की भी यहां खदानें हैं। जानकारों का मानना है कि  कोयला खनन व बेचने का अधिकार निजी कंपनियों को मिलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। जरूरतमंदों को कोयला आसानी से मिलेगा। कोयला आधारित उद्योगों को भी राहत मिलेगी। अभी उन्हीं को खदान मिलती है जो इसपर आधारित उद्योग चलाते हैं।  

झारखंड को कोयले से मिलता है सबसे अधिक राजस्व

राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व कोयले से ही मिलता है। गत वर्ष पांच हजार करोड़ राजस्व सरकार को मिला था।  

केंद्र सरकार का निर्णय गलत है। इससे कोयला उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। भारतीय मजदूर संघ सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन को तैयार है।  

सुधीर घुरर्डे, जेबीसीसीआइ सदस्य, भारतीय मजदूर संघ  

सरकार भटक गई है। कोयला उद्योग में निजी कंपनियों के आने का पुरजोर विरोध होगा। कांग्रेस ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण देशहित और श्रमिक हित के लिए किया था। भाजपा सरकार इस पब्लिक सेक्टर को योजनाबद्ध तरीके से बेच रही है। 

एसक्यू जामा, पूर्व जेबीसीसीआइ सदस्य, इंटक  

निर्णय कोयला उद्योग के लिए घातक है। सड़क से लेकर संसद तक लड़ेंगे। यह सरकार मजदूर विरोधी काम कर रही है। आनेवाले समय में सरकार को इसका जबाव मिल जाएगा। 

डीडी रामानंदन, जेबीसीसीआइ सदस्य, सीटू  

खदान चलाने व कोयला बेचने का अधिकार निजी हाथों को देना गलत है। इससे मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। हम सब मिलकर आंदोलन करेंगे। 

रमेंद्र कुमार, जेबीसीसीआइ सदस्य, एटक


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