Weekly News Roundup Dhanbad: मजदूरों के चूल्हे पर लेबर लीडरों की रोटियां, यही तो राजनीति है
Weekly News Roundup Dhanbad कोयला में घुसें और कालिख न लगे ये मुमकिन नहीं। दरअसल ये तो ऐसा हीरा है जिसकी चमक सबको खींचती है। कई इलाकों में कई ईंट भट्ठे चल रहे हैं। यहां चोरी का कोयला खपाया जा रहा है जिसकी सेटिंग तगड़ी वह बेखौफ है।
धनबाद [ आशिष झा ]। झरिया देश में कोयले के लिए जाना जाता है। यहां का कोयला देश को रोशन करता है। मगर, हाड़तोड़ मेहनत कर इसे निकालने वाले कामगारों के घरों में अंधेरा है। उनकी रोटी पर ही आफत आ गई है। कारण चंद नेता। कहने को ये मजदूरों की आवाज बने हैं, बावजूद उन्हेंं ही भूखा रहने को मजबूर कर रहे हैं। अब बस्ताकोला की सीकेडब्ल्यू साइडिंग का मामला ही ले लें। दो चर्चित घराने आमने-सामने हैं। हर पक्ष के अपने हित हैं, उन्हें साधने को मजदूरों को सब्जबाग दिखाकर आगे कर दिया जाता है। बात मजदूरों के हक की होती है, मगर खेल तो किसी और का होता है। नतीजा कामगार ही नुकसान उठाते हैं। साइडिंग में काम बंद है। सिंह मेंशन व रघुकुल आमने-सामने हैं। निरसा के श्रमिक नेता अरूप चटर्जी भी एक पक्ष के साथ अपनी रोटी सेंक रहे हैं। यही राजनीति है।
नाम का सिक्का चलता है
कोयला में घुसें और कालिख न लगे, ये मुमकिन नहीं। दरअसल ये तो ऐसा हीरा है जिसकी चमक सबको खींचती है। निरसा, मैथन के कई इलाकों में कई ईंट भट्ठे चल रहे हैं। यहां चोरी का कोयला खपाया जा रहा है, जिसकी सेटिंग तगड़ी वह बेखौफ है। जो नहीं किए वे चोरीछिपे ऐसा कर रहे। यह दीगर है कि उन पर पुलिस की दबिश का अंदेशा बना रहता है। एग्यारकुंड के गलफरबाड़ी व आसपास के क्षेत्र में दो भट्ठे ऐसे हैं, जिसके नाम का सिक्का चलता है। कहा तो यह जाता है कि इनको जिसके जिम्मे दिया गया उसका तगड़ा भोकाल है। वर्दीवाले बाबुओं की उन पर विशेष कृपा है। इसलिए तस्करी का कोयला सीधे वहां गिरता है। अब बोले कौन, मगर दबी जुबान से सभी चर्चा यही कर रहे हैं। अरे भैया यह तो उनके नाम की महिमा है, खाकी भी हिल जाती है।
पुलिस डाल-डाल, अपराधी पात-पात
चिरकुंडा के पास तालडांगा कॉलोनी में दिनदहाड़े विनोद झा की हत्या कर दी गई। नाम उसका आया जिनका कभी वो शागिर्द था। उसके कई राज जानता था। राह अलग की तो बॉस की आंख की किरकिरी बन गया। दिनदहाड़े हत्या हो गई तो पुलिस सक्रिय हुई, धडाधड़ छापेमारी कर कुछ शूटरों को भी धर लिया। मुख्य आरोपित अब तक फरार है। पुलिसवाले का एक ही जवाब होता है कि जांच चल रही है, जल्द सभी आरोपित गिरफ्त में होंगे। पीडि़त परिवार टकटकी लगाए बैठा है कि पता नहीं वो दिन कब आएगा। चर्चा है कि मुख्य खिलाड़ी इलाके में भी घूमते देखा गया है। हां यह बात अलग है कि पुलिस को नहीं दिखा। पुलिस तलाश रही है पर वो तो उससे दो कदम आगे है। ऐसा छिपा कि पुलिस तलाश नहीं पा रही। अब चूहे-बिल्ली के खेल में कौन बाजी मारता है, ये देखना होगा।
अतिक्रमण हटे, सामुदायिक भवन बने
बलियापुर रोड में मंझलाडीह के पास सड़क किनारे सरकारी जमीन है। बसावट बढ़ते ही वहां जमीन को कब्जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले गड्ढा करके कुछ दिन छोड़ दिया गया, कोई विरोध नहीं हुआ तो उसे पत्थर से दीवार की शक्ल दे दी गई है। जमीन घेरनेवाले लोग आसपास के ही हैं, लेकिन कोई खुलकर कुछ नहीं बोल रहा। नगर निगम की भी नींद अभी टूटी नहीं है। धीरे-धीरे निर्माण बढ़ते जाने पर उसे हटाना और भी मुश्किल होता जाएगा। स्थानीय लोग तो यह भी कहते हैं कि निगम वहां सामुदायिक भवन बना दे तो काफी लोगों का भला हो जाएगा। शादी-ब्याह में दिक्कत नहीं होगी। हालांकि सरकारी संपत्ति है, इसलिये नींद भी जल्दी टूटना मुश्किल है। सरकारी काम वैसे भी अपनी चाल में ही होता है। आमलोगों को इंतजार है कि कब यहां से अतिक्रमण हटे और शानदार सामुदायिक भवन बन जाए।