महंगे शहर में काम नहीं था तो रह कर क्या करते; हताश कामगार ने कहा, अब यही करेंगे मेहनत-मजदूरी Dhanbad News
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 306 कामगार लौटे हैं। उनको धनबाद स्टेशन से 18 बसों में बैठाकर गोल्फ ग्राउंड लाया गया। यहां से संबंधित जिले के नोडल पदाधिकारी ने घर भेजने का बंदोबस्त किया।
धनबाद, जेएनएन। छह महीने पहले नौकरी की तलाश में मडगांव (गोवा) गया था। वहां की एक सीमेंट फैक्ट्री में ठेका पर काम मिल गया। 24 मार्च को बंदी होने के बाद मैनेजर ने 20 दिन का पैसा दे दिया और कहा कि अभी जाओ, फिर काम होने पर बुलाएंगे। उसके बाद से वहां एक अधूरी पड़ी बिल्डिंग में रह रहा था। और भी लोग वहीं अपने परिवार के साथ थे। मार्च से मई तक रहने के बाद पता चला कि एक जून से सब खुल जाएगा तो काम मिलेगा। रोज फैक्ट्री जाते और काम शुरू होने की बात पूछते थे। वहां कोई कुछ बताने वाला नहीं था। कभी सात दिन तो कभी 15 दिन बाद आने बोलता था। अब काम मिल नहीं रहा था तो इतने महंगे शहर में कब तक रहते, इसलिए गांव चले आए। यह कहानी है बोकारो के राम कुमार बास्की की, जो बुधवार को मडगांव से धनबाद आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटे थे।
राम कुमार बास्की ने बताया कि उसके साथ बोकारो, साहिबगंज, गोड्डा के और भी लोग थे, जो वहां मजदूरी करते थे। पर अभी कोई काम नहीं मिल रहा था। वापस बुलावा आने पर वापस लौटने के सवाल पर कहा कि अभी भी वहां बहुत लोग हैं। इसलिए बुलावा आने की संभावना कम ही है। राम का कहना था कि लोकल में जो काम मिलेगा, वही करेंगे। बाहर जाने से कोई फायदा नहीं है। धनबाद लौटे दूसरे कामगारों का कहना था कि घर के पास मेहनत-मजदूरी करेंगे।
- श्रमिक स्पेशल से आए झारखंड के अलग-अलग जिलों के 306 कामगार
- धनबाद स्टेशन पर 18 बसों से लाया गया गोल्फ ग्राउंड
- गोल्फ ग्राउंड से संबंधित जिलों के नोडल पदाधिकारियों ने घर भेजने का बंदोबस्त कराया
कहां से कितने कामगार आए : धनबाद 9, बोकारो 89, चतरा 2, देवघर 6, दुमका 29, गिरिडीह 5, गोड्डा 44, हजारीबाग 16, कोडरमा 5, साहिबगंज 72, जामताड़ा 7 व पाकुड़ 22