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यह दो हद हो गई! कैप्सूल गिल के निधन के बाद पत्नी को नहीं मिल रही पेंशन Dhanbad News

कैप्सूल गिर जसवंत सिंह की पत्नी निर्दोष गिल की आयु करीब 75 वर्ष है। उनकी मौत के बाद से उन्हें पेंशन मिलना शुरू होनी चाहिए थी। जो अब तक नहीं हो सकी।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 10:49 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 10:49 AM (IST)
यह दो हद हो गई! कैप्सूल गिल के निधन के बाद पत्नी को नहीं मिल रही पेंशन Dhanbad News
यह दो हद हो गई! कैप्सूल गिल के निधन के बाद पत्नी को नहीं मिल रही पेंशन Dhanbad News

धनबाद [ आशीष अंबष्ठ ]। कोल इंडिया की पश्चिम बंगाल स्थित ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड की रानीगंज स्थित महाबीर कोलियरी। इस खदान में 1989 में दुर्घटना हुई। उसमें पानी घुस गया था। तब लोहे के कैप्सूल का सटीक प्रयोग कर 65 श्रमिकों की जान कोयला अधिकारी जसवंत सिंह गिल ने बचाई थी। उन श्रमिकों को खदान से निकाल लिया था। इस घटना के बाद से उन्हें कैप्स्यूल गिल कहा जाने लगा था। गिल का देहांत 26 नंवबर 2019 हो गया। हैरतअंगेज बात ये है कि राष्ट्रपति से सम्मानित हुए इस अधिकारी की आश्रित पत्नी को आज तक पेंशन मिलना शुरू नहीं हुई। यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। 

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उनकी पत्नी निर्दोष गिल की आयु करीब 75 वर्ष है। उनकी मौत के बाद से उन्हें पेंशन मिलना शुरू होनी चाहिए थी। जो अब तक नहीं हो सकी। गिल की बड़ी बहू ने बीसीसीएल के पीएफ पेंशन सेल के अधिकारी अभिषेक राय को भी मामले की जानकारी दी है। राय का कहना है कि निर्दोष गिल को एक फॉर्म भरना होगा। इसके लिए उनको आना भी होगा। हालांकि मामले की जानकारी उन्होंने बीसीसीएल डीपी आरएस महापात्रा को भी दे दी। उन्होंने कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव बीके पति तक यह मामला पहुंचाया है। साथ ही कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि आश्रित को तुरंत पेंशन शुरू हो जाए। डीपी ने यह भी कहा है कि एक विशेष टीम को पंजाब भेजा जाएगा। वह फॉर्म भरवाकर लाएगी। उस फॉर्म को कोयला खदान भविष्य निधि संगठन भेजा जाएगा, ताकि पेंशन शुरू हो सके। 

बीसीसीएल से जीएम सेफ्टी पद से हुए थे सेवानिवृत्त

कैप्सूल गिल के नाम से मशहूर जसवंत सिंह गिल धनबाद स्थित बीसीसीएल के मुख्यालय कोयला भवन से महाप्रबंधक सेफ्टी व रेस्क्यू के पद से 1998 में सेवानिवृत्त हुए।

सहज फॉर्म का भी नहीं मिला लाभ

सीएमपीएफ में एक सहज फॉर्म तैयार होता है। इसके तहत कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने के समय अपने आश्रित का पूरा विवरण देना होता है। उसके पेंशन पे ऑडर में आश्रित का भी जिक्र होता है। पेंशनर की मृत्यु होने के बाद आश्रित को दिक्कत न हो इस लिए यह व्यवस्था बनाई गई है। लेकिन इस फॉर्म के भरे जाने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिला है। 

कई सम्मान से नवाजे गए थे गिल

गिल की बेहतरीन सेवा व मजदूरों की जान बचाने के लिए राष्ट्रपति ने 1991 में सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक दिया था। इंजीनियर  एसोसिएशन ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया था। कई और पुरस्कार भी उन्हें मिले थे। लिम्का बुक में भी वे दर्ज हुए थे। 

जसवंत गिल के आश्रित को पेंशन की सुविधा जल्द मिल जाएगी। पूरे मामले को लेकर अवर आयुक्त एके सिन्हा से भी बात की है। 

- अनिमेष भारती, आयुक्त सीएमपीएफ 


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