Weekly News Roundup Dhanbad: बंदी ने कहा, जयहिंद; पढ़ें जेल के अंदर एसपी और मुंशी के मिलन की कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad धनबाद पुलिस की रात की नींद और दिन का चैन छिन गया है। सुबह उठने की आदत नहीं पर उठना जरूरी है। आठ बजे ही बड़े साहब को रिपोर्ट करनी है। ऐसे में रात को जल्दी सोना जरूरी है मगर कैसे।
धनबाद [ नीरज दुबे ] Weekly News Roundup Dhanbad समय क्या-क्या नहीं कराता है। अब देखिए, जेल में साहब को देख एक बंदी ने कहा- जय हिंद। उनके तो होश उड़ गए। ये क्या मामला है। कहां वो जेल में मोबाइल तलाश रहे थे और कहां ये वाकया हो गया। बात हैरान करने वाली थी। साहब रुक गए और सभी की ओर देखने लगे। तभी पीछे खड़ा जयप्रकाश नामक बंदी चेहरे पर मुस्कान लिए सामने आ गया। पूछा- कैसे हैं सर? साहब को कुछ याद सा आया। अरे ये तो मुंशी था, यहां कैसे आ गया। दरअसल जयप्रकाश बोकारो जिले में एएसआइ था। कुछ साल पहले जब साहब बोकारो में थानेदारी कर रहे थे, तो वह वहीं कार्यरत था। तीन माह पूर्व चास थाना में बतौर एएसआइ उसे तीन हजार रुपये घूस लेते एसीबी ने पकड़ा था। उसी मामले में धनबाद जेल में बंद है। साहब ने नसीहत दे दी- देखा, एक गलती की सजा...।
60 हजार से भारी कुकर्म
दामाद के कुकर्म की वजह से ससुर फंस गया, नहीं तो सौदा आसानी से हो जाता। पश्चिमी टुंडी इलाके में यह चर्चा सरेआम हो रही है। सप्ताह भर पहले की बात है। बराकर नदी घाट से बालू उठाव कर कुछ कारोबारी बेचने निकले। इसी बीच मनियाडीह ओपी प्रभारी ने छापेमारी कर चार ट्रैक्टरों को पकड़ लिया। उन्हें छुड़ाने के लिए पैरवीकारों की लंबी कतार लग गई। बातचीत शुरू हो चुकी थी। तभी थानेदार को पता चला कि एक ट्रैक्टर कुख्यात साइबर अपराधी सीताराम मंडल के ससुर का है। अब सीताराम की करतूत से थानेदार क्या, जिला परेशान है। उसके ससुर की गाड़ी पकड़ी गई है तो कैसे छोड़ दें। तब तक पुलिस के पास 60 हजार का ऑफर आ गया, मगर सीताराम का जुर्म रकम से बड़ा था। थानेदार आगबबूला हो गए। ट्रैक्टर चालकों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए खनन विभाग को सौंप दिया।
भाषा पर मत जाइए जनाब
पुलिस की भाषा पर मत जाइए, कुछ भी बोल सकते हैं, बर्दाश्त तो करना होगा। बात ही ऐसी है, सुनकर दंग रह जाएंगे। धनबाद थाना का एक सिपाही प्रोन्नति के बाद हवलदार बना है। हालांकि ओहदा मिलने पर वक्त के साथ काफी बदलाव आ चुका है, पर उनकी पुरानी बातों में विशेष पुलिसिया टोन की चर्चा हो रही है। थाना में एक व्यक्ति पत्नी की गुमशुदगी की शिकायत लेकर पहुंचा। मुंशी से कहा- पत्नी की दिमागी हालत ठीक नहीं। वह धनबाद स्टेशन से गुम हो गई है। पता लगा दें। मुंशी ने कहा- ठीक है, आवेदन और तस्वीर दे दीजिए। उसने पत्नी की तस्वीर दे दी। अब मुंशी ने सिपाही से कहा- देखो तो, यही महिला है ना जिसे पेट्रोङ्क्षलग पार्टी सुबह लेकर आई थी। सिपाही ने बड़े गौर से फोटो को देखा। फिर बोला- नहीं सर, ई तो दूसर है। बात सुन सब हक्का-बक्का।
नींद गई, चैन भी लूट गया
धनबाद पुलिस की रात की नींद और दिन का चैन छिन गया है। सुबह उठने की आदत नहीं, पर उठना जरूरी है। आठ बजे ही बड़े साहब को रिपोर्ट करनी है। ऐसे में रात को जल्दी सोना जरूरी है, मगर कैसे। रात में अपराधी तो जल्दी नहीं सोते, उल्टा सक्रिय हो जाते हैं। परेशानी इस बात की है कि अगर जल्दी सो गए और कोई घटना हो गई, तो पूरा दिन खराब। बस, यही सोच कर जिले के अधिकांश थानेदार कुछ दिनों से काफी परेशान हैं। दरअसल नए कप्तान आए तो पुरानी व्यवस्था में बदलाव नहीं किया। पूर्व एसएसपी ने सुबह उठने की नई व्यवस्था लागू की थी। इस कारण कुछ पुलिस अधिकारी थानेदारी छोड़ पुलिस लाइन में रहने की जुगत में हैं। बात करने पर दर्द साफ झलक जाता है। एक साहब कह बैठे- सोचा था, कुछ बदलाव होगा, मगर कोई सुनवाई नहीं।