Weekly News Roundup Dhanbad: शाबाश बेटा ! पापा की मदद कर तूने निभाया अपना फर्ज
धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर पर सड़क बन रही है। इस पर गाडिय़ां चलने लगी हैं पर अब तक इसका उद्घाटन नहीं हो सका है। यहां सब-वे भी बनना है मगर उसका शिलान्यास भी रुका पड़ा है। जब-जब इसकी तैयारी हुई तब-तब कोरोना आड़े आ गया।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। प्लीज हेल्प, मेरे पापा को ओरिजनल आधार के लिए डेढ़ घंटे से धनबाद स्टेशन पर परेशान किया जा रहा है...। डीआरएम अनिल कुमार मिश्रा को ट्वीट कर त्रिपुरारी सिन्हा ने अपनी फरियाद सुनाई और मदद मांगी। थोड़ी ही देर में डीआरएम ने ट्विटर पर जवाब दिया। कहा- मामले को नोट कर लिया गया है। छानबीन की जा रही है। असुविधा के लिए खेद भी जताया। थोड़ी ही देर बाद डीआरएम साहब ट्विटर पर फिर सक्रिय हो गए। इस बार लिखा- संबंधित कर्मचारी से संपर्क करने पर बताया गया कि यात्री के पास ओरिजनल पहचान पत्र नहीं है। स्टेशन से बाहर निकलने के दौरान पकड़ा गया है। रेलवे के नियम के मुताबिक रांची से धनबाद तक का ईएफटी यानी एक्सेस फेयर टिकट शुल्क के तौर पर चार सौ रुपये जुर्माना लिया गया है। डीआरएम भी क्या करें, नियम तो नियम है। यात्रीगण ध्यान दें!
नए हाकिम के खाते में नई सड़क
धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर पर सड़क बन रही है। इस पर गाडिय़ां चलने लगी हैं, पर अब तक इसका उद्घाटन नहीं हो सका है। यहां सब-वे भी बनना है, मगर उसका शिलान्यास भी रुका पड़ा है। जब-जब इसकी तैयारी हुई, तब-तब कोरोना आड़े आ गया। पहले तो वायरस के कारण मार्च से तीन-चार महीने काम ही बंद रहा। फिर काम शुरू हुआ और जुलाई में उद्घाटन की योजना बनी। इस बार डीआरएम साहब खुद संक्रमित हो गए। उनके कोरोना को मात देने के बाद भी संक्रमण का सिलसिला नहीं थमा। एक-एक कर क्लास वन अफसर गिरफ्त में आते गए। अब थोड़ी उम्मीद जगी तो डीआरएम के तबादले के दिन करीब आ गए। नए डीआरएम मंगलवार को धनबाद आ रहे हैं। उनके आते ही वर्तमान साहब विदा ले लेंगे। नई सड़क का श्रेय नए हाकिम के खाते में जाएगा। उम्मीद तो है!
कमाऊ पूत से सौतेलापन क्यों
भारतीय रेल को सबसे ज्यादा धन देने वाले कमाऊ पूत धनबाद की उम्मीदें इस बार भी बेपटरी हो गईं। न बिहार-बंगाल जाने की ट्रेन मिली और न ही इलाज कराने वेल्लोर जाने वालों को राहत। ऐसा तब हुआ जबकि गंगा-दामोदर और अलेप्पी एक्सप्रेस की रैक खुलने के लिए बिल्कुल तैयार थी। गंगा-दामोदर नहीं मिली, चलिए कोई बात नहीं, मगर अलेप्पी तो धनबाद समेत इस क्षेत्र की एकलौती ऐसी ट्रेन है जिसमें मरीज ज्यादा सफर करते हैं। छह महीने से ट्रेन नहीं चल रही है, इसलिए इलाज पर भी ब्रेक लगा हुआ है। धनबाद को ट्रेन क्यों नहीं मिली, इसका जवाब रेल अधिकारियों के पास भी नहीं है। यही कहा जा रहा कि राज्य सरकार अनुमति नहीं दे रही है। वाकई ऐसा है तो रांची से ट्रेनों की झड़ी कैसे लग गई? क्या कोरोना धनबाद से खुलने वाली ट्रेनों से ही फैलेगा? सवाल तो वाजिब है।
रियायत नहीं, वसूलेंगे स्पेशल का किराया
22 मार्च से टे्रनें बंद करने से पहले ही रेलवे ने रियायती सफर का हक छीन लिया था। बुजुर्ग से लेकर पत्रकार तक इस दायरे में आ गए। इस कदम को जनहित से जोड़ दिया गया। सरकार ने बताया कि बुजुर्गों पर संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इसलिए उन्हें छूट नहीं दी जा रही है। मकसद ये कि वे कम सफर करें। इसी बहाने एक-दो को छोड़ अन्य रियायतों पर कैंची चला दी गई। फिर कुछ स्पेशल ट्रेनें चलीं, किराया भी स्पेशल। अब त्योहारी सीजन शुरू होते ही रेलवे ने 398 पूजा स्पेशल ट्रेनों की घोषणा कर दी है। इनमें किसी तरह की छूट मिलना तो दूर, यात्रियों को और ज्यादा किराया चुकाना होगा। एसी ही नहीं, स्लीपर और जनरल के यात्री भी स्पेशल किराया चुका कर ही सफर कर सकेंगे। करें क्या, कोई चारा भी नहीं। कब तक ऐसा होगा, कोई बताए तो!