Weekly News Roundup Dhanbad: जब कोविड अस्पताल में सिपाही को हुआ प्यार... जानें घातक काैन, कोरोना या प्रेम रोग
Weekly News Roundup Dhanbad प्रेम रोगी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी तो चेहरा मायूस हो गया। मरीज सिपाही था। दिल से बिल्कुल मोम पुलिसवाला। अस्पताल से जाने को तैयार नहीं हुआ।
धनबाद [ दिनेश कुमार ]। Weekly News Roundup Dhanbad बड़ा सवाल है कि सबसे घातक बीमारी कोरोना है या प्रेम रोग। इसका जवाब भी मिला तो कोरोना के अस्पताल में। कोविड अस्पताल में भर्ती एक कोरोना के मरीज को प्रेम रोग ने जकड़ लिया। वह कोरोना के रोग को भूल गया। याद रह गया तो सिर्फ प्रेम का रोग। अब देखिए न, प्रेम रोग का शिकार यह मरीज ठीक होने के बाद भी अस्पताल से निकलना ही नहीं चाह रहा था। बाकी मरीज इंतजार कर रहे थे कि कब उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ जाए तो अस्पताल से बाहर निकले। प्रेम रोगी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी तो चेहरा मायूस हो गया। मरीज सिपाही था। दिल से बिल्कुल मोम पुलिसवाला। अस्पताल से जाने को तैयार नहीं हुआ तो डॉक्टर साहब गुनगुनाने लगे, दारोगा जी से कहियो...। दारोगा के नाम का डोज इतना तगड़ा था कि प्रेम रोगी ने बाहर की राह पकड़ ली।
मास्क नाकाम, अगरबत्ती से आराम
कोविड अस्पताल के खाने में कीड़े मिले, बिस्तर पर मल-मूत्र के धब्बे तो खूब हो हल्ला हुआ। मरीजों ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल की तो अधिकारी हरकत में आ गए। इससे खानपान से लेकर बिस्तर तक की व्यवस्था में सुधार तो हुआ है। सिर्फ सफाई की समस्या जस की तस है। कोविड अस्पताल में संक्रमण के खतरे के कारण सफाई कर्मचारी रोबोट के अंदाज में सरपट काम कर बाहर निकल जाते हैं। सफाई कर्मचारी भी आखिर क्या करें, गंदगी साफ करें या खुद को वायरस से बचाएं। और सफाई नहीं रहे तो मरीज के लिए आफत। बदबू से परेशान हैं। मरीज चेहरे पर मास्क लगाए रहते हैं। मास्क से वायरस को रोक सकते हैं, बदबू को नहीं। मरीजों ने उपाय खोज निकाला है। जहां गंदगी होती है, वहां अगरबत्ती जला देते हैं। अस्पताल में मरीजों के वार्ड से गलियारे तक अगरबत्ती दिख जाएगी। वातावरण भी आध्यात्मिक।
सावधान रहने वाले विश्राम में
कोरोना के शिकार डॉक्टर भी हो रहे हैं जो इस वायरस के बारे में ज्यादा जानते हैं। सावधान भी कहीं अधिक रहते हैं। इसके बावजूद मरीज से डॉक्टर और डॉक्टर से मरीज के संक्रमित होने के दर्जन भर मसले सार्वजनिक हो चुके हैं। इलाज के बाद कोरोना से मुक्त होकर लौटे एक डॉक्टर साहब कहते हैं, 'बहुत सावधान रहते थे। मरीज आते थे तो बुखार जांच करते थे। शक होने पर एक्सरे भी करवा लेते थे। संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में पूछते थे। इतना सब करने पर भी न जाने कैसे वायरस ने जकड़ लिया था।' डॉक्टर साहब ने दिमाग पर जोर लगाया तो याद आया कि एक पुलिस वाले का इलाज किए थे। वो पुलिस वाला भी कोविड अस्पताल जा चुका है। अब डॉक्टर साहब समझ गए कि लोगों को सावधान करनेवाले ने उन्हें विश्राम स्थल पहुंचाया था। सो, पुलिस वालों से सावधान।
माननीय को किसने पकड़ाया कोरोना
बाढ़ू दा। टुंडी से झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो पहले ऐसे जनप्रतिनिधि हैं जिन्हें कोरोना ने जकड़ा है। कोरोना का जितना फैलाव बढ़ता गया, उतनी ही माननीय की सक्रियता। बीसीसीएल, जिला प्रशासन, पुलिस से लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से मिल कर जरूरतमंद लोगों को मदद दिलाने में लगे रहे। राहत के लिए कहीं से भी लोगों ने बुलाया तो बाढ़ू दा हाजिर। सैकड़ों लोगों के संपर्क में आए। एक सप्ताह पहले उन्हें कोरोना के वायरस ने जकड़ लिया तो संपर्क में आने वालों की सूची तैयार की गयी। डीसी, एसपी, बीडीओ, सीओ से लेकर परिजनों की जांच हुई। ढाई सौ से अधिक लोगों की जांच हुई तो सिर्फ झामुमो का एक कार्यकर्ता कोरोना का मरीज मिला। माना गया कि उस कार्यकर्ता को माननीय के जरिए कोरोना हुआ होगा, पर माननीय को किसने कोरोना पकड़ाया? सवाल अनुत्तरित है। माननीय परेशान हैं, उनसे अधिक प्रशासन के लोग।