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Weekly News Roundup Dhanbad : रसूखदार का स्टेटस निगम पर भारी, अब परिसर की शोभा बढ़ा रही VIP नंबर प्लेट वाली कार

Weekly News Roundup Dhanbad स्टेटस और रसूख दिखाने को कुछ खास नंबरों की बात ही अलग है। इन्हें चाहने वाले धनबाद में भी हैं। उनके स्टेटस कभी-कभी नियम पर भारी पड़ जाते हैं।

By Sagar SinghEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 11:25 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 05:32 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad : रसूखदार का स्टेटस निगम पर भारी, अब परिसर की शोभा बढ़ा रही VIP नंबर प्लेट वाली कार
Weekly News Roundup Dhanbad : रसूखदार का स्टेटस निगम पर भारी, अब परिसर की शोभा बढ़ा रही VIP नंबर प्लेट वाली कार

धनबाद [आशीष सिंह]। Weekly News Roundup Dhanbad स्टेटस और रसूख दिखाने को कुछ खास नंबरों की बात ही अलग है। इन्हें चाहने वाले धनबाद में भी हैं। उनके स्टेटस कभी कभी नियम पर भारी पड़ जाते हैं। सरकार को भी कहना पड़ता है- तोहफा कबूल करो।

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दरअसल, जिले के एक दिग्गज घराने रघुकुल को 4500 नंबर खूब भाता है। उनकी हर गाड़ी में यह दिखता है। घराने के युवराज एकलव्य सिंह नगर निगम में डिप्टी मेयर रहे। सरकारी गाड़ी मिली। नियमानुसार गाड़ी पर रजिस्ट्रेशन नंबर विभाग तय करता है। पर युवराज ने अपना पेटेंट नंबर ही गाड़ी पर लिखवाने की मंशा जता दी। मना कौन करता। च्वाइस नंबर के लिए 11000 हजार रुपये देकर 4500 नंबर ले लिया। गाड़ी भले ही नगर निगम धनबाद के नाम पर है, लेकिन टशन तो अपना ही रहा। हाल ही में नगर निगम का कार्यकाल खत्म हुआ। अब 4500 नंबर की गाड़ी नगर निगम परिसर की शोभा बढ़ा रही है।

जय-वीरू की जोड़ी, चाय ही नहीं लंच भी साथ-साथ : धनबाद नगर निगम वाले पुराने साहब विदा हो गए हैं। नए साहब ने आकर कुर्सी भी संभाल ली है। आते ही वे पूरे रंग में दिखने लगे हैं। काम को लेकर तेवर तीखे। साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था पर पूरी नजर। आखिर यही तो धनबाद की तस्वीर बदलेगी। सो फरमान दे दिया है कि कहीं गंदगी न दिखे। लाइट दुरुस्त रहे। नगर निगम के दूसरे नंबर के साहब का साथ भी इनको मिल गया। दोनों की जोड़ी छा गई है। अब कर्मचारियों की क्या। कहने लगे दोनों के बीच दांत काटी रोटी हो गई है। तुरंत अपने अंदाज में नामकरण भी कर दिया, जय और बीरू। कोई पूछता है कि उप-साहब कहां हैं, जवाब मिलेगा बड़े साहब के पास।  मंथन चल रहा है। किससे काम लिया जाए, कौन काम पहले हो। किससे राजस्व मिलेगा। मजेदार बात यह कि चाय ही नहीं लंच ब्रेक भी दोनों का साथ-साथ होता है।

नए की आस में तोड़ा पुराना : शहर का रंगिनीभीठा इलाका। यह शहरी क्षेत्र में है। फिर भी उपेक्षित। न प्रशासन का ध्यान न नगर निगम का। जो पार्षद बने उनको चिंता नहीं रही। मौजूदा योजनाएं तो छोड़ दीजिए इलाके के लोग पुरानी योजना के लाभ से भी वंचित। बानगी देखिए, शहरी क्षेत्र की झुग्गी झोपडिय़ां हटाने के लिए राजीव आवास योजना शुरू हुई। वार्ड 23 के रंगिनीभीठा के कोड़ा समुदाय ने भी योजना के लिए कदम बढ़ाया। बावजदू योजना का पूरा लाभ आज तक नहीं मिल सका। दो दर्जन से अधिक लोगों को योजना के तहत आवास बनाने को पहली किस्त मिली। भोले-भाले लोग खुश हो गए। अपने हाथों से पुराना घर तोड़ दिया। भरोसा था कि अब पक्का बनेगा। ढाई वर्ष बीत गए, 16 लाभुकों को योजना की अंतिम किस्त नहीं मिली। कुछ मकान किसी प्रकार बने, कुछ अधूरे हैं। उनमें दीवारें हैं छत नहीं। कोई सुनता भी नहीं।


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