Weekly News Roundup Dhanbad: अदावत है तो यारी कैसी...पढ़ें केंद्र विरोधी हेमंत की राजनीति का नया पाठ
Weekly News Roundup Dhanbad मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन निवेश के लिए उद्योग जगत को झारखंड में आमंत्रित कर रहे हैं। स्याह पहलू। कोरोना काल में नियम कायदे के तहत जिन लोगों ने कारखाना चलाया पुलिस ने उन्हें बदमाश घोषित कर दिया।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। डीवीसी का झारखंड सरकार पर बकाया है। भारत सरकार ने झारखंड सरकार को मिलने वाली राशि से डीवीसी के बकाया 1410 करोड़ की कटौती कर दी। सीएम हेमंत सोरेन तिलमिलाए, झल्लाए एवं गुस्साए। कोरोना काल में झारखंड के हिस्से की राशि काटने पर लानत-मलानत की। कोई फायदा नहीं। दो दिन पहले झरिया के बस्ताकोला में बीसीसीएल के खदान एरिया में धरती फट गई। कल्याणी नामक महिला उसमें समा गई। अगले दिन हेमंत धनबाद आए। गरमाए कि कोल इंडिया को इन मौतों का जवाब देना होगा, झारखंड के कोयला से बिजली जलवा रहे हैं, झारखंडी जनता की फिक्र नहीं। डीवीसी व कोल इंडिया भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम है। डीवीसी की बिजली हेमंत को झटका दे रही है। अग्नि प्रभावित इलाके में पुनर्वास एवं कोयला खदानों की भराई के मसले पर अब हेमंत कोल इंडिया की फजीहत करने को आतुर हैं। अदावत है तो दिखेगी ही।
कारखाना चलाया तो बन गए बदमाश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन निवेश के लिए उद्योग जगत को झारखंड में आमंत्रित कर रहे हैं। स्याह पहलू। कोरोना काल में नियम कायदे के तहत जिन लोगों ने कारखाना चलाया, पुलिस ने उन्हें बदमाश घोषित कर दिया। निरसा थानेदार सुभाष सिंह ने अपर जिला दंडाधिकारी चंदन कुमार को विधिवत बयान दिया कि सॉफ्ट कोक का कारखाना चलानेवाले बदमाश है, कोयला चोर हैं, प्रदूषण फैलाते हैं। सबसे बड़ा अपराध, थाना से पूछे बगैर कारखाना चलाते हैं। बीते अप्रैल में मिली सशर्त अनुमति के आधार पर कारखाना चलाया तो थानेदार ने सुमित फ्यूल्स के मालिक सतीश अग्र्रवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी। निरसा एसडीपीओ विजय कुशवाहा की मौजूदगी में थानेदार ने हड़काकर कई कारखानों को बंद कराया। शिकायत पर उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने जांच कराई। थानेदार दोषी मिले। एसडीपीओ भी। कठोर कार्रवाई की अनुशंसा हुई। देखिए कि थानेदार कब 'बदमाश' की सूची में शामिल होते हैं।
मथुरा को चाहिए किन्नरों की दुआएं
झामुमो विधायक दल के सचेतक मथुरा महतो उर्फ बाढ़ू दा पर जुलाई में कोरोना के वायरस ने हमला किया। शुरुआती दो-चार दिन कोविड अस्पताल में खिलखिलाते दिखे। फिर हालात ऐसे बिगड़े कि जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल में महीनों रहना पड़ा। खैर, अब स्वस्थ हैं। सियासी अवसाद खत्म नहीं हुआ है। पिछली यूपीए सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहते सीएनटी एवं एसपीटी कानून को कड़ा किया था। इसी कारण चुनाव भी हारे थे। अबकी विधायक चुने गए तो वरिष्ठतम कुड़मी राजनेता होने के नाते कैबिनेट मंत्री बनने की उम्मीद थी। ऐसा हुआ नहीं। उनके बजाय जगरनाथ महतो को मौका दिया गया। संयोग देखिए कि कोरोना के कारण जगरनाथ का फेफड़ा बदलना पड़ गया। अभी भी चेन्नई अस्पताल में हैं। कई महीने तक कामकाज के लायक नहीं रहेंगे। शायद किन्नरों की दुआओं से मथुरा महतो को कैबिनेट में बैठने का मौका मिल जाय।
परिवार नियोजन तो करना होगा
जनगणना होनी है। इसके बाद देश की आबादी के आंकड़े सामने आएंगे। स्वास्थ्य महकमे पहले ही भांप चुका है कि आबादी का आंकड़ा लाल लकीर को पार कर चुका है। परिवार नियोजन के लिए विशेष अभियान चलाया गया। लोग आगे नहीं आए। 25 लाख की आबादी में सिर्फ 150 पुरुषों की नसबंदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया। 15 का आंकड़ा भी पार नहीं हो पाया। स्वास्थ्य महकमे भी अब मानने को तैयार नहीं है। फैसला लिया गया कि अब हरेक महीने परिवार नियोजन का कार्यक्रम चलाया जाएगा। स्वास्थ्य केंद्रों में महिलाओं का ऑपरेशन किया जाएगा तो पुरुषों को नसबंदी के लिए समझाया जाएगा। वैसे घरों का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा जहां दो बच्चे हैं। 'हम दो हमारे दोÓ के सरकारी नारे को सार्थक कर चुके लोगों से मिलकर स्वास्थ्य कर्मचारी जागरुकता अभियान चलाने को तैयार हैं। जाहिर है, परिवार नियोजन की उम्मीदें फिर जवां हैं।