Weekly News Roundup Dhanbad : थोड़ा परेशान हूं मैं, गम भरा श्मशान हूं मैं ...
Weekly News Roundup Dhanbad बीसीसीएल के अफसर से लेकर कोयला उत्पादन करने वाले भारतीय-चीनी साझा उपक्रम के 50 से अधिक लोगों तक चीनी वायरस ने घुसपैठ कर ली।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। Weekly News Roundup Dhanbad कोरोना से मरने के बाद पार्थिव शरीर को दो गज जमीन मिल जाय, अपनों के सामने चिता जल जाय तो मानिए कि रूह को सुकून मिल गया। कोरोना से मरने वालों के लिए विद्युत शवदाह गृह बेहतर विकल्प है। नए जिलाधिकारी उमा शंकर सिंह एवं पुलिस कप्तान अखिलेश वी वारियर को मालूम चला कि दामोदर नदी के किनारे मोहलबनी में विद्युत शवदाह गृह है। अनुपयोगी। दोनों अधिकारी गए तो उजड़ा शमशान देखा। 1992 में शिलान्यास हुआ। 1997 में पहली बार उदघाटन। 2005 में दूसरी बार। नहीं हुआ तो लाशों को जलाने का मुकम्मल इंतजाम। बड़ा अहाता, विशाल भवन, तमाम मशीनें भी मौजूद। तय हुआ कि बीसीसीएल के सहयोग से इसे फिर चालू कराया जाएगा। डीसी गए तो चिलम में गांजा भरते हुए दाढ़ी वाले बाबा ने शायरी सुनायी, 'ऐ जिंदगी बेपरवाह नहीं थोड़ा परेशान हूं मैं, यूं ही नहीं चुपचाप गम भरा शमशान हूं मैं।'
शव को कर दिया अकेला
कोयला कारोबार में वर्चस्व के लिए दबंग कुछ भी करने को तैयार। सुदामडीह में गुरुवार को जो कुछ हुआ, उससे इंसानियत शर्मसार हुई। बीसीसीएल के ई आक्शन के बाद सुदामडीह कोलियरी के न्यू कोल डिपो से कारोबारियों को कोयला ले जाना था। कई सालों से मशीन से ट्रकों पर कोयला लादा जा रहा है। मजदूरों के जरिए कोयला की लदाई की मांग पर कई दिनों से आंदोलन चल रहा था। उसी दौरान भौंरा स्टेशन मार्ग से ट्रक पर शव लेकर कुछ लोग मोहलबनी शमशान घाट की ओर जा रहे थे। आंदोलनकारियों को लगा कि कोयला लादने के लिए बाहरी मजदूरों को लेकर कारोबारी का ट्रक कोल डिपो जा रहा है। लाठी डंडे लेकर दौड़ पड़े। शव लेकर जा रहे लोगों की पिटाई कर डाली। भगदड़ मच गयी। ट्रक पर अकेला शव दिखा तो सबके होश गुम। एक बुजुर्ग बोल पड़े, इनकी इंसानियत गई भाड़ में।
चीनी मशीनों से मिली मुक्ति
कोल इंडिया की नगीना कंपनी बीसीसीएल की अत्याधुनिक भूमिगत कोयला खदान मुनीडीह में है। भारतीय एवं चीनी कंपनी के साझा उपक्रम को यहां कोयला उत्पादन का ठेका मिला हुआ है। चीन के क्षेत्रफल की तरफ भारी भरकम चीनी उपकरणों से चट्टान काट कर कोयला निकाला जाता है। भूमिगत खदान में तीन किमी दूर से कोयला निकालने का फैसला लिया गया। सो, चीनी मशीनों को भीतर ही भीतर तीन किमी दूर ले जाने का काम शुरू हुआ तो चीनी वायरस कोरोना फैलता गया। बीसीसीएल के अफसर से लेकर कोयला उत्पादन करने वाले भारतीय-चीनी साझा उपक्रम के 50 से अधिक लोगों तक चीनी वायरस ने घुसपैठ कर ली। तो भी चुपके-चुपके खदान के भीतर काम कराया जाता रहा। खौफ बढ़ता गया। हल्ला हुआ तो चीनी मशीनों को इधर से उधर ले जाने से मुक्ति मिल गयी। खदान में सब तरह के काम बंद। सिर्फ आपातकालीन सेवा चालू।
कोयले के भाव गए भायो
जीटी रोड के किनारे गोविंदपुर में कुछ कोयला कारोबारी एक ढाबे पर चाय की चुस्कियां ले रहे थे। दो नंबर के कोयला कारोबार पर उनकी संसद जमी हुई थी। इस बैठकी में मारवाड़ी, मुस्लिम, आर्या पंजाबी, राजपूत समेत सारे जाति धर्म के लोग शामिल थे। उनकी चिंता का सबब सिर्फ वैध कोयले की गिरती कीमत थी। मारवाड़ी कारोबारी बोल पड़े कि कोयले के भाव गये भायो। एक नंबर का माल दो से तीन हजार टन मिलेगा तो काहे का दो नंबर का धंधा। डिस्को पेपर पर बंगाल के कोयला का काला कारोबार करने की लंबे समय से जुगत लगा रहे एक कारोबारी के श्रीमुख से निकला, कोरोना ने ऐसा भाव बिगाड़ा कि सालों की मेहनत पर पानी फिर गया। एकाध लोगों ने संगी साथियों का उत्साह बढ़ाया, कोरोना ठंडा होगा तो कोयले का भाव गरम होगा। तब तक पुलिस कप्तान की भी हो जाएगी विदाई।