Weekly News Roundup Dhanbad: बाबा करेंगे बेड़ा पार... पढ़ें खनन विभाग की अंदरूनी कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad एसडीओ कार्यालय। एकाएक तबादले को लेकर कर्मियों में कानाफूसी शुरू हो गई। साहब का अभी कैसे तबादला हो गया वह तो दिसंबर में होना था।
धनबाद [ आशीष अंबष्ट ]।Weekly News Roundup Dhanbad मिश्रित भवन स्थित खनन विभाग में हलचल है। जिला खनन पदाधिकारी रहे अधिकारी की कुर्सी खिसक चुकी है। अब दूसरे नंबर पर हो गए हंै। वरिष्ठ रहे अजीत कुमार खनन पदाधिकारी बनकर आ चुके हैं। पुरानेवाले खनन अधिकारी युवा हैं, सोचते ज्यादा हैं। सोचने में बहुत वक्त निकल जाता है। हालांकि उनके साथी छुटकऊ मदद कर देते हैं तो कई मामलों में नैया पार हो जाती है। पुराने साहब ने धनबाद में ही माइङ्क्षनग इंजीनियिरंग की पढ़ाई की। बड़े साहब के आने से रुतबे पर असर आया है। बड़े साहब तो हमेशा सीखने की नसीहत देकर फाइल बढ़ा देते हैं। एक समय था जब वे एक नंबर पर थे, अपने हस्ताक्षर से आदेश निकालते थे। अब बैठने के लिए भटकते हैं। युवा अधिकारी का गांव बाबा नगरी में है। इसलिए उनका दर्द देख हर कर्मचारी की जुबान पर है, बाबा पार लगाएंगे।
बंगाल में साहब लगा रहे गणित
दामोदर घाटी निगम के पंचेत जलाशय के जीर्णोद्वार का काम ठेका एजेंसी को दिया गया। साहब ने आदेश दिया कि बालू बराकर नदी व आसपास से उठाकर काम कर लें। बाद में रॉयल्टी चालान मैनेज हो जाएगा। एजेंसी ने निर्देश का पालन किया। अब साहब की पटरी बालू उठाव करनेवाले धनबाद जिले के संचालकों से नहीं बैठ रही है, सो वे दो टूक कहने लगे हैं कि मानसून के कारण बालू उठाव बंद है, हम पेपर कहां से दें। पेपर न मिलने से ऑडिट में गर्दन फंस सकती है। लाखों के बिल भी फंस जाएंगे। साहब और ठेकेदार को अब दिन में तारे नजर आ रहे है। साहब ने अब बंगाल का रुख किया है। सारी गणित लगा दी है ताकि वहां से पेपर का जुगाड़ हो जाए। पंचेत बंगाल सीमा पर है, वहां से बालू उठाव में हर्ज नहीं। देखिए क्या होता है।
टाइगर के दामाद और होश फाख्ता
धनबाद श्रम विभाग के एक अधिकारी। तबादला होकर जब आए तो रिश्ते में दामाद होने के कारण टाइगर के घर शरण ली थी। यहां टाइगर को कौन नहीं जानता। वे हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। विभाग में धाक जमाने के लिए थोड़ा प्रचार भी जरूरी था। सो जो मिलता उसे बताने लगे। कुछ दिन में सबको पता भी चल गया। भाजपा सरकार थी तो कोई कुछ भी बोलने से परहेज करता था। अब सत्ता बदली तो लोगों की नजरें बदल गईं। इस सरकार में दामाद जी की स्थिति बिगडऩे लगी। बड़े साहब भी ऊपर से आकर बैठ गए हैं। कोरोना को लेकर श्रम विभाग का काम बढ़ा है। बड़े साहब बगल के जिले में हो रहे श्रम विभाग के काम की नसीहत देकर उनको आंखें दिखाते रहते हैं। कोरोना काल में दामाद बाबू के होश फाख्ता हैं। परेशान हैं कि क्या करें।
एसडीओ साहब तो जल्दी आ गए
धनबाद एसडीओ कार्यालय। एकाएक तबादले को लेकर कर्मियों में कानाफूसी शुरू हो गई। साहब का अभी कैसे तबादला हो गया, वह तो दिसंबर में होना था। तभी एक कर्मी बोल उठा, भइया इस सरकार में सबकुछ संभव है। सूचना मिली थी कि नए साहब सोमवार को आएंगे। नए साहब ने अलग ही झटका दिया, शनिवार को ही आ गए। चार्ज भी ले लिया। कर्मियों में फिर चर्चाएं हैं, पितृपक्ष चल रहा है। सोचा था कि कुछ दिन साहब नहीं ही आएंगे। बहुत काम भी बाकी है। वे तो आ गए। सो अब सारे कर्मी फाइलें निपटा रहे हैं। न जाने कब नए साहब का फरमान जारी हो जाए। हालांकि नए साहब धनबाद में काम कर चुके हैं। यहां की रग रग से वाकिफ हैं। इसलिए कर्मी भी बहुत फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। पता नहीं नए साहब कहां झोल पकड़ लें।