Weekly News Roundup Dhanbad: डीआरएम ने ढूंढ ली छह महीने से लापता बाइक, पढ़ें रेलवे पार्सल की खरी-खरी
रेलवे स्टेशन में एंट्री के लिए थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दिया है। बाहर भी तभी निकल सकते हैं जब बॉडी का ताप नॉर्मल है पर जहां रोजाना भीड़ जुट रही है उसका ख्याल रेलवे को तनिक नहीं है। वह जगह है रेलवे का आरक्षण केंद्र।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। Weekly News Roundup Dhanbad छह महीने से जो बाइक गायब थी, उसे डीआरएम अनिल कुमार मिश्रा ने चंद घंटों में ही ढूंढ़ निकाला। अब आप सोच रहे होंगे कि भाई आखिर ऐसा हुआ कैसे। हुआ यूं कि सुनील कुमार ने 20 मार्च को रेल पार्सल से बाइक बुक कराई थी। मैनपुरी से शक्तिनगर के लिए। रेलवे ने इसके लिए 1624 रुपये का किराया भी वसूल लिया था, लेनिक बाइक सुनील के पास नहीं पहुंची। रास्ते में लापता हो गई। काफी मशक्कत के बाद भी नहीं मिली तो सुनील ने ट्विटर पर डीआरएम को टैग कर अपनी फरियाद में कई वाक्य लिखे। इसका असर साहब पर हुआ। पहले तो उन्होंने ट्वीट कर इंक्वायरी कराने का भरोसा दिया। फिर कुछ देर बाद उन्होंने यह भी क्लियर कर दिया कि बाइक मिल गई है। वह कानपुर सेंट्रल में खड़ी है। आपकी रूट की पार्सल ट्रेन से जल्द गाड़ी आप तक पहुंच जाएगी।
ट्रेन रुकती नहीं, टिकट कंफर्म
इसे रेलवे की जादूगरी ही कहेंगे। जहां ट्रेन नहीं रुकती वहां से टिकट जारी हो गया। और तो और वेटिंग टिकट कंफर्म भी हो गया। लेकिन जब यात्री पहुंचे तो ट्रेन धड़धड़ाती निकल गई। यह वाकया 21 सितंबर का है। अमरजीत विश्वकर्मा ने कोडरमा से पंडित दीन दयाल जंक्शन के लिए सेकेंड सीटिंग की तीन टिकटें बुक कराई थीं। कोडरमा में हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस में सवार होने के लिए परिवार संग पहुंचे थे। ट्रेन आई और सीटी बजाते निकल गई। तब उन्होंने स्टेशन मास्टर को अपना दुखड़ा सुनाया। साहब ने सहानुभूति जताकर जिम्मेदारी पूरी कर ली। टिकट लौटाने गए तो पता चला पैसे वापस नहीं मिलेंगे। मामला जब धनबाद के शीर्ष अधिकारी तक पहुंचा तो तत्काल एक्शन में आ गए। तुरंत वैकल्पिक बंदोबस्त शुरू कराया गया। फिर उसी टिकट पर तीनों यात्रियों को भुवनेश्वर से नई दिल्ली जा रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में बिठाकर भेज दिया गया।
आरक्षण केंद्र को सैनिटाइज कराइए
रेलवे स्टेशन में एंट्री के लिए थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दिया है। बाहर भी तभी निकल सकते हैं जब बॉडी का ताप नॉर्मल है, पर जहां रोजाना भीड़ जुट रही है उसका ख्याल रेलवे को तनिक नहीं है। वह जगह है रेलवे का आरक्षण केंद्र। यहां हर दिन सैंकड़ों लोग पहुंच रहे हैं। न तो थर्मल स्क्रीनिंग और न ही परिसर को सैनिटाइज करने का बंदोबस्त किया गया है। बुधवार को धनबाद डिविजन के मंडल वाणिज्य प्रबंधक कोल की कोरोना से निधन के बाद कर्मचारी सहमे हुए हैं। खुल कर तो कह नहीं सकते, पर इतना जरूर कह रहे हैं कि काउंटर पर लोगों के सीधे संपर्क में रहते हैं। पता नहीं, कब किस संक्रमित शख्स की चपेट में आ जाएं। कम से कम आरक्षण परिसर को सैनिटाइज कराने की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए। देखिए उनके मन की बात कहां तक पहुंच पाती है।
सफाई बेपटरी, जेब जख्मी
वो भी क्या सुनहरे दिन थे। रेलवे स्टेशनों की सफाई के लिए करोड़ों के टेंडर होते थे। ठेकेदार कमाकर बमबम तो रेलवे के बाबुओं की जेब भी झमाझम रहती थी। इस कोरोना ने सबकुछ छीन लिया। कम आमदनी की वजह से रेलवे ने सफाई की ठेकेदारी प्रथा पर ही कैंची चलानी शुरू कर दी। अकेले धनबाद रेल मंडल के गोमो, कोडरमा, बरकाकाना, चोपन, सिंगरौली, डालटनगंज और गढ़वा रोड से सफाई की ठेकेदारी बंद कर दी गई। इन सात स्टेशनों को मिलाकर 30 से 40 करोड़ सिर्फ चमकाने पर खर्च होते थे। अब रकम की हिस्सेदारी कहां-कहां होती थी, इस बात को छोड़ ही दीजिए। बस इतना बता दें कि अब स्टेशन मास्टर को जो खर्च यानी इंप्रेस्ट मनी मिलती है, उससे ही सफाई की गाड़ी भी सरपट दौड़ रही है। हां, ठेकेदारी प्रथा में जहां 30 सफाई कर्मचारी काम करते थे, वहां अब 10 ही हैं।