Weekly News Roundup Dhanbad : कोयला चोर तो मुफ्त में बदनाम हैं, जानें खदानों के साहब कैसे करवाते छेड़छाड़
केंद्र सरकार ने कॉमर्शियल माइनिंग की प्रक्रिया दो महीने बढ़ा दी। 18 को कोल ब्लॉकों की होनेवाली नीलामी दो महीने बढ़ गई तो श्रमिक संगठनों की प्रस्तावित हड़ताल भी स्थगित कर दी गई।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad कोयला चोर तो मुफ्त में बदनाम हैं। यहां तो जिसको जहां मिलता हाथ मार देता है। कुछ नहीं तो भारी मशीनों का डीजल ही चुरा लो। इसमें भी लाखों की कमाई है। बड़े-बड़े बाबू शामिल हैं। हालांकि उनको इससे फर्क पड़ता नहीं। छोटे कर्मचारी बेचारे नौकरी की चिंता में घबरा जाते हैं तो शिकायत कर बैठते हैं। तब भेद खुल जाता है। ऐसा ही मामला बीसीसीएल के लोदना क्षेत्र में आया। मशीन ऑपरेटर ने शिकायत की कि साउथ व नार्थ तिसरा की हैवी अर्थ मूवर्स मशीन (एचईएमएम) की लॉगबुक से एक फिटर दशरथ मंडल छेड़छाड़ करता है। उनकी मानें तो इंजीनियर इंचार्ज के ही कहने पर क्लर्क के रहते हुए भी फिटर मंथली रिपोर्ट तैयार करता है। शिकायत परियोजना पदाधिकारी से लेकर क्षेत्रीय महाप्रबंधक व मुख्य सतर्कता पदाधिकारी तक की गई है। हालांकि मामला गरमाया पर कार्रवाई तो अब तक कुछ भी नहीं हुई है।
बंद खदान भी उगलती सोना
बंद खदानें कंपनी के लिए चिंता का सबब होंगी, अधिकारियों के लिए नहीं। अब देखिए मंतोष कुंडू को। 30 मई को कोयला भवन ने इनका स्थानांतरण कतरास से लोदना एरिया किया। कुजामा कोलियरी के प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर। सीनियर मैनेजर स्तर के इस अधिकारी ने आते ही वह जादू चलाया कि स्थानीय प्रबंधन इन पर फिदा हो गया। बस फिर क्या साहब आज बरारी, जेलगढ़ा, लोदना, बागडिगी, जयरामपुर के भी प्रोजेक्ट ऑफिसर हैं। मजे की बात कि ये सभी कोलियरियां बंद हैं। तो भाई बंद कोलियरियों में ऐसी क्या बात कि मुख्यालय के निर्देश से ऊपर जाकर प्रभार दिया जाए। कुछ तो बात है। अभी एक नेता ने प्रबंधन से शिकायत की है कि इन कोलियरियों में 50 से 60 मजदूर बिना ड्यूटी हाजिरी बनाते हैं। प्रतिदिन 30 हजार रुपये तक की वसूली की जाती है। संडे ड्यूटी, ओटी का मामला अलग है।
आपदा बदल रही अवसर में
चंदन ओसीपी में कोयला तो मशीन से लोड होगा लेकिन प्रति ट्रक पांच मजदूर भी काम करेंगे। क्या करेंगे? वे पीकिंग का काम करेंगे। एक तो आरओएम के नाम पर ऑक्शन में कोयले की दर कम लगी ऊपर से पीकिंग की भी इजाजत। यही तो है आपदा को अवसर बनाना। कारोबारियों के लिए तो बना ही उनके लिए भी जो इतने दिनों आंदोलनरत थे। दरअसल मैनुअल लोडिंग की मांग करनेवाले पहले से ही पेलोडर खरीदकर तैयार थे। मशीन का किराया भी मिलेगा और मैनुअल लोडिंग का चार्ज अलग। घाटे में बाबू लोग भी नहीं हैं। पूरा खाका तैयार है कि कितने ट्रक किनके नाम लोड होने हैं। पूरा गेम प्लान पहले से तैयार किया गया था। तभी तो शहर में बिजली की मांग करने विधायक बैठे नहीं कि पुलिस पहुंच गई और सुदामडीह में उसे महीना दिन लग गया। भैया टारगेट तो ऐसे ही पूरा होगा।
सबके अपने-अपने दावे
केंद्र सरकार ने कॉमर्शियल माइनिंग की प्रक्रिया दो महीने बढ़ा दी। 18 को कोल ब्लॉकों की होनेवाली नीलामी दो महीने बढ़ गई तो श्रमिक संगठनों की प्रस्तावित हड़ताल भी स्थगित कर दी गई। इतना ही नहीं मजदूर संगठनों ने इसे अपनी जीत घोषित कर दावे भी जताने शुरू कर दिए। संयुक्त मोर्चा ने इसे पिछली तीन दिवसीय हड़ताल की सफलता और मजदूर एकता की जीत बताया। उसका यह भी कहना था कि निवेशक मजदूर एकता के आगे डर गए। निवेशक नहीं मिलने से सरकार ने कदम पीछे किए हैं। हालांकि भारतीय मजदूर संघ नेताओं की सोच इन सबसे जुदा है। उनका मानना है कि वे सरकार को यह समझाने में सफल रहे कि सार्वजनिक उद्यम तो बहुत जरूरी हैं। कोरोना काल में भी उनकी अहमियत सामने आ गई। अब यह तो दो माह बाद ही पता चलेगा कि किसके दावे में कितना दम है।