Weekly News Roundup Dhanbad: काले कारोबार में वीआइपी कोटा, पढ़ें क्यों बेचैन हैं लाला के करीबी
बंगाल सिंडिकेट की बात छोडि़ए। एक मिनि सिंडिकेट धनबाद में भी आकार ले चुका है। बाघमारा क्षेत्र में कारोबार करना है तो इसके साथ ही करना होगा। जो मुनाफा होगा उसमें 40 फीसद आपका 60 फीसद बॉस का। वरना निकल लीजिए या भुगतने को तैयार रहिए।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad सीबीआइ छापेमारी से चर्चित पश्चिम बंगाल के कोयला कारोबारी अनूप माजी उर्फ लाला के काले कारोबार में भी वीआइपी कोटा बंधा था। इस कोटे का लाभ धनबाद के भी एक दिग्गज जनप्रतिनिधि को मिलता था। जनप्रतिनिधि महोदया के एक स्वजन को इस कोटे से पिछले साल भर में 70 बार कोयला उपलब्ध कराया गया था और इसे पश्चिम बंगाल से चंदौली मंडी पहुंचाया गया था। इस कारोबार में जिले की एक पुरानी आउटसोर्सिंग कंपनी के कारोबारी का धन भी लगा था। चर्चा है कि लाला के ठिकाने पर जैसे ही छापा पड़ा, महोदया को रिकार्ड की चिंता हो उठी। पेमेंट की चिंता तो थी ही। सो तत्काल भरोसेमंद कारिंदे को कनस्तोरिया रवाना किया। कोई फायदा तो नहीं हुआ, उल्टे खबर मिली कि रिकार्ड सीबीआइ के हत्थे चढ़ गया है। अब महोदया के कैंप में सन्नाटा पसरा है। इधर विरोधी भी खासे सक्रिय हो गए हैं।
कारोबार तो सिंडिकेट ही करेगा
बंगाल सिंडिकेट की बात छोडि़ए। एक मिनि सिंडिकेट धनबाद में भी आकार ले चुका है। बाघमारा क्षेत्र में कारोबार करना है तो इसके साथ ही करना होगा। जो मुनाफा होगा उसमें 40 फीसद आपका, 60 फीसद बॉस का। वरना निकल लीजिए या भुगतने को तैयार रहिए। कांटापहाड़ी कोल डंप में 5000 टन कोयले की बोली लगी। शेरबहादुर सिंह की मानें तो उन्होंने 1200 टन के लिए बोली लगाई। अब कोयले का इंतजार कर रहे हैं। 29 नवंबर से ही ट्रक खड़ा है, पर लोड नहीं हो रहा। वजह- मजदूर बता रहे कि सिंडिकेट ने मना किया है। मजदूरों के यहां 46 दंगल हैं। सभी सिंडिकेट के प्रभुत्व में हैं। वह कहेगा तभी कोयला लोड होगा। और वह तभी कहेगा जब आप सिंडिकेट में शामिल होंगे। सिंडिकेट के खिलाफ यहां प्रबंधन भी सुनने को राजी नहीं। अब बस पुलिस, प्रशासन का ही सहारा रह गया है।
घर में है खाता
नियमानुसार छह दिसंबर को सुखदेव मंडल को संडे ड्यूटी मिलनी थी, मगर बीसीसीएल में नियमानुसार होता क्या है जो इस बार होता। सुखदेव लोदना क्षेत्र की जयरामपुर खदान में पंप ऑपरेटर हैं। उन्होंने प्रबंधक से शिकायत की। बताया- एक ही पंप ऑपरेटर को हर रविवार को संडे ड्यूटी मिल रही है। अब शिकायत हुई तो कार्रवाई होनी थी। नहीं होनी थी तो दिखावा तो करना ही था। सो किया गया। जांच के नाम पर सुपरवाइजर को हाजिर होने को कहा गया। वे हाजिर भी हुए। ड्यूटी चार्ट की जांच को खाता पेश करने का हुक्म हुआ। सुपरवाइजर ने सीधे इन्कार कर दिया। सख्ती की गई तो बताया कि खाता घर में है। कमाल है। ड्यूटी कार्यालय में बंटनी है और खाता घर में। कार्रवाई का कोरम पूरा हुआ। न खाता पेश किया गया, न मंडल को ड्यूटी मिली। जांच बंद। यहां ऐसे ही काम चलता है।
दिव्यांगता दिवस पर क्या हुआ
नौकरी के लिए साल भर से प्रयासरत दो दिव्यांगों को उम्मीद थी कि दिव्यांगता दिवस पर शायद कंपनी खुशखबरी दे, मगर ऐसा नहीं हुआ। कर्ज लेकर परिवार चला रहे आकाश दास के पिता बीसीसीएल कर्मी थे। उनके निधन के वक्त आकाश नाबालिग थे। बालिग हुए तो नौकरी का प्रयास शुरू किया। नियमानुसार स्वास्थ्य जांच हुई। रिपोर्ट बीसीसीएल मुख्यालय को दी गई। अब कहा जा रहा कि वे 40 फीसद दिव्यांग नहीं हैं। सो इस कोटे में फिट नहीं बैठते। संजीव दास की व्यथा भी ऐसी ही है। दोनों की फाइल कार्मिक निदेशक कार्यालय में अटकी पड़ी है। हालांकि यूनियन नेताओं की मानें तो कागजात में उन्हें 40 फीसद दिव्यांग बताया गया है। मामला लटकाने को महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट की जांच जूनियर अधिकारियों से करवाई जा रही है। हालांकि क्षेत्रीय अधिकारी को डीपी ने समय पर काम करने की नसीहत दे दी है।