Weekly News Roundup Dhanbad: जरा बच के जीएम साहब! कुछ हो गया तो बचाने के बजाय सब फसाएंगे
Weekly News Roundup Dhanbad सिजुआ एरिया के महाप्रबंधक आशुतोष द्विवेदी भी जरा हटकर है। कुछ महीने पहले खदानों से कोयला चुराने वालों को खदेड़कर पकड़ा था। दीपावली के ठीक पहले उन्होंने निचितपुर के वर्कशॉप से स्क्रैप चुराने वाले को जंगलपुर खटाल के नजदीक सड़क पर रोक लिया।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। Weekly News Roundup Dhanbad बीसीसीएल में कोई महाप्रबंधक बन जाय तो उसकी बल्ले बल्ले। धन वर्षा के इतने राह है कि तिजोरी छोटी पड़ जाय। जाहिर है, कोई किसी से पंगा भी नहीं लेना चाहता। रासायनिक फार्मूले की तरह बीसीसीएल के कुछ पदाधिकारी अपवाद की श्रेणी में आते हैं। सिजुआ एरिया के महाप्रबंधक आशुतोष द्विवेदी भी जरा हटकर है। कुछ महीने पहले खदानों से कोयला चुराने वालों को खदेड़कर पकड़ा था। दीपावली के ठीक पहले उन्होंने निचितपुर के वर्कशॉप से स्क्रैप चुराने वाले को जंगलपुर खटाल के नजदीक सड़क पर रोक लिया। स्क्रैप चुराने वालों को आजाद कराने के लिए मुखिया पति मोहम्मद आजाद आगे आए। हो हल्ला हुआ। स्क्रैप जमीन पर गिरा चालक गाड़ी लेकर भाग निकला। अब कोई जीएम कंपनी के लिए इतना समर्पण दिखाएंगे तो बाकी जीएम तनाव में आएंगे ही। सीआइएसएफ वालों को भी टेंशन। दिक्कत है कि दिलेर को छेड़े कौन।
नारी है तो नर का क्या काम
कुमारधुबी थाना में बिफरती महिला आई। थाना प्रभारी पुरुषोत्तम कुमार से सवाल किया कि पति के साथ नारी है तो नर का क्या काम। इस सवाल पर थाना प्रभारी भौंचक। महिला को डपट दिए, पहेली न बुझाइए। क्या शिकायत है, वो बताइए। शुरू हुई व्यथा कथा। चार साल पहले वर-वधु वेबसाइट का सहारा लिया। कोलकाता में काली घाट के रहने वाला युवक को योग्य वर माना गया। काली घाट में विवाह भी हुआ। चार साल तक पति को पत्नी से मतलब नहीं। न बाल-बच्चे। पत्नी ने दिमाग दौड़ाया तो पाया कि पति समलैंगिक है। आपत्ति की। कोई सुनवाई नहीं। पति का जवाब होता, अब न्यायालय से भी इजाजत है। महिला बिफरी तो पिटाई भी हुई। थानेदार ने किस्सा सुना तो पति को फोन लगाया। फरमान सुनाया कि खुद समाधान करो नहीं तो नारी के रहते नर के साथ रहने पर लग जाएगी धारा।
पटाखा हरित हो या लाल, फूटेगा ही
सर्वाधिक प्रदूषित शहर का तमगा हासिल है तो दीपावली में हरित पटाखा छोडऩे का फरमान निर्गत हो गया। बच्चे हैरान-परेशान। हरित पटाखा आखिर क्या बला है। हरित पटाखा में घास उग जाएगी या कुछ और कलाकारी दिखेगी। कुसुम विहार में रहने वाला किशोर डुग्गू अपने पिता से जिद कर रहा था कि पटाखा खरीद दीजिए। पिता समझा रहे थे कि हरित पटाखा मिलेगा तो जरुर लाएंगे। डुग्गू मानने को तैयार नहीं। तुरंत पिता का मोबाइल फोन लेकर गूगल से ज्ञान लिया। कुछ देर बाद पिता को ज्ञान दिया कि हरित पटाखा हो या लाल, फूटेगा ही। आखिरकार पिता गए। पुलिस लाइन से कुछ आगे सड़क के किनारे से पटाखे खरीद लाए। रंग-बिरंगे पटाखे। हरित, लाल, नारंगी, गुलाबी समेत सारे रंग थे उसमें। उनकी जेब को तगड़ा झटका लगा था। डुग्गू पटाखे छोड़ रहा था। पिता बुदबुदाते रहे कि रुपये में आग लगा रहे हो बालक।
इनसे सीखे काली कमाई का पाठ
साल भर पहले कमजोर बच्चों के लिए स्कूलों में छह महीने के लिए रात्रि पाठशाला शुरू करने का सरकार ने नेक फैसला लिया। विद्यार्थियों को रात में विद्यालय में रखने, गर्म कपड़े एवं नर्म बिस्तर देने, रोजमर्रा के उपयोग के सामान के साथ पौष्टिक एवं सुस्वादु भोजन देने की व्यवस्था बनाई गई। अब विद्यार्थी खुलासा कर रहे हैं, ऐसा तो कुछ ही नहीं। न पढ़ाई, न भोजन, न सामान। आम तौर पर किसी योजना की राशि का शत-प्रतिशत घोटाला नहीं होता। यहां तो पूरा सरकारी माल पी गए। लकड़का प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक सूर्यदेव महाराज ने खुद को फंसता पाया तो शिक्षा विभाग का काला सच उगल दिया। जो आवंटन आया, उसकी 60 फीसदी राशि साहब ने खुद रख लिया। इशारा भी किए कि ऐसा तो जिले के अधिकतर स्कूलों में हुआ है। छात्रवृति के बाद एक और घोटाले की जांच का आधार तैयार।