Weekly News Roundup Dhanbad: चर्चा में निगम के बगुला भगत, इनकी कहानी बड़े-बड़ों पर भारी
Weekly News Roundup Dhanbad कौन कहता है कि सरकारी दफ्तरों में काम नहीं होता! निगम के इंजीनयरिंग विभाग में आकर देख लीजिए धारणा बदल जाएगी। हां लेकिन टाइमिंग यहां की थोड़ी अलग है। आइएगा उसी समय वरना पता चला काम देखने आए थे और आरामतलबी देख कर जा रहे।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। बगुला भगत की कहानी याद है। जीवन बचाने के बहाने कितने जीवों को खा गया। इन दिनों नगर निगम में भी ऐसे ही एक भगतजी चर्चा में हैं। हालांकि इनका तरीका थोड़ा अलग है। एक समय चापाकल घोटाले से चर्चित हुए थे। ओहदा बहुत बड़ा नहीं है, फिर भी निगम के हर विभाग में इनकी मजबूत पकड़ है। मजाल है कि कोई इनकी बात काट दे। शहर में चल रही पेयजल योजना का भार इन्हीं के मजबूत कंधों पर है। यह बात अलग है कि पानी के लिए अक्सर हाहाकार मचा रहता है। कहने को बगुला भगत की तरह मोह-माया से ये भी कोसों दूर हैं, लेकिन जाने क्यों इन दिनों विभाग के छोटे-बड़े कर्मचारी इन्हें देख परेशान से फिरते हैं। वैसे जलवा इनका कुछ कम नहीं। साहब के पास फाइल पहुंचते ही ओके। जरूरत पड़ी तो रिश्तेदारी की धौंस भी जमा लेते हैं।
जब जागो, तभी सवेरा...
कौन कहता है कि सरकारी दफ्तरों में काम नहीं होता! निगम के इंजीनयङ्क्षरग विभाग में आकर देख लीजिए, धारणा बदल जाएगी। हां, लेकिन टाइमिंग यहां की थोड़ी अलग है। आइएगा उसी समय, वरना पता चला काम देखने आए थे और आरामतलबी देख कर जा रहे। दरअसल यहां के विभाग प्रमुख शाम चार-पांच बजे से पहले ऑफिस आ नहीं पाते। जरूरत भी क्या है, कहावत है जब जागो तभी सवेरा! आलम यह है कि सुबह से शाम तक कोई काम नहीं होता, लेकिन एक बार साहब ने जो काम शुरू किया तो फिर खत्म करके ही छोड़ते हैं... फिर चाहे रात के नौ बजे या दस। अब साहब की तो मौज में कट रही, लेकिन इनके चक्कर में बाकी कर्मचारी माथा पीट रहे हैं। कहते हैं, दिन भर भटकते रहते हैं और रात में देर से घर जाने के कारण अब गृहस्थी संभालना मुश्किल हो रहा है।
कुछ पाने को कुछ खोना पड़ता है...
गोल बिल्डिंग से कांकोमठ तक निर्माणाधीन सूबे की पहली आठ लेन सड़क। 20 किलोमीटर लंबी इस सड़क को विकास की कड़ी भी समझा जा रहा है। सरकार बदलने के कारण बीच में काम बंद था, लेकिन अब एक बार फिर तेजी आ गई है। कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक मनोयोग से लगे हैं। इतने तल्लीन, कि भूल गए कि निर्माण के चक्कर में वे नुकसान करते जा रहे। सड़क निर्माण करने वाली एजेंसी की मशीनों ने बिरसा मुंडा पार्क के पास जलापूर्ति पाइपलाइन क्षतिग्रस्त कर दी। पानी चालू होते ही 20 फीट से ऊपर फव्वारा निकलता है। सुबह शाम हजारों लीटर पानी बह जा रहा है। बहती गंगा में लोग हाथ भी धो ले रहे हैं। सुबह इधर से गुजरें तो नित्यक्रिया करनेवाले भी दिख जाएंगे। खैर, एजेंसी मौन है। मान लिया है, कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है।
पानी न सही, कीचड़ तो है ही
राजनीति को यूं ही दलदल नहीं कहा जाता। पानी यहां हो न हो, कीचड़ भरपूर है। अपने धनबाद का मामला भी कुछ ऐसा ही है। जनता के हलक सूख रहे और भाजपा-कांग्रेस श्रेय लेने की होड़ में भिड़ी है। दरअसल, 311 करोड़ की झरिया वाटर सप्लाई योजना से अक्टूबर 2021 तक एक लाख घरों में पानी पहुंचाना है। भाजपा सरकार ने इस योजना को लांच किया था। सरकार बदलने पर कुछ दिन काम बंद रहा, लेकिन समय रहते कांग्रेस विधायक ने योजना की गहराई आंक ली और दोबारा भूमि पूजन कर दिया। यहीं से जंग छिड़ी है। भाजपा विधायक ने शिलापट्ट तोडऩे की बात कह दी तो जिला कांग्रेस भी रण में कूद पड़ी। विधायक संग पूर्व मेयर को भी लपेट लिया। अबकी