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Weekly News Roundup Dhanbad: जीएमपी को कोरोना, बोले तो-शिकारी खुद शिकार हो गया

झामुमो विधायक मथुरा महतो पर किसी विरोधी की तरह कोरोना ने हमला किया। जब यह बात सार्वजनिक हुई तब माननीय सरकारी अधिकारियों के साथ जरूरतमंद लोगों के बीच साड़ी वितरण कर रहे थे।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:26 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad:  जीएमपी को कोरोना, बोले तो-शिकारी खुद शिकार हो गया
Weekly News Roundup Dhanbad: जीएमपी को कोरोना, बोले तो-शिकारी खुद शिकार हो गया

धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। बीसीसीएल का सेंट्रल अस्पताल अभी कोविड अस्पताल में परिणत है। एक हफ्ता पहले हो हल्ला हुआ कि यहां के खाने में कीड़े मिल रहे हैं,  खून के साथ मल मूत्र की गवाही देनेवाले बिस्तर यहां बिछे हुए हैं।  स्नानागार में इतनी गंदगी है कि साफ होने के बजाय इंसान और गंदा हो जाए। बात बढ़ी तो कोविड अस्पताल के इंतजाम में गड़बड़ी की जांच करने के लिए बीसीसीएल के महाप्रबंधक को भेजा गया। उन्होंने गड़बड़ी करनेवाले की पहचान के लिए अस्पताल का मुआयना किया। बोल उठे, छोड़ेंगे नहीं, दोषी का शिकार किया जाएगा। अस्पताल में सुधार शुरू हुआ था कि सूचना आई, महाप्रबंधक संक्रमित हो गए हैं। दस दिन पहले जीएम के नाते वे आए थे, अब मरीज के नाते आ गए। अस्पताल लाए गए तो एक सफाई कर्मचारी 1968 में आई शिकार मूवी का यह गीत गुनगुनाने लगा, 'शिकार करने को आए, शिकार होके चले'

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ताना सुन बन गए कोरोना योद्धा 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव सुनील सिंह तनिक अलग मिजाज के हैं। किसी ने ताना दिया कि खुद को धरती का भगवान कहलानेवाले चिकित्सक कोविड अस्पताल में मरीजों के नजदीक नहीं फटक रहे हैं। दूर से ड्यूटी बजा कर कोरोना योद्धा बने हुए हैं। आइएमए सचिव को यह ताना चुभ गया। न तो वे सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में चिकित्सक हैं, न सेंट्रल अस्पताल में। वे निजी प्रैक्टिस करते हैं। कोविड अस्पताल प्रबंधन से उन्होंने अनुरोध किया कि वे कोरोना के मरीजों की सेवा करना चाहते हैं। मिल गई अनुमति। डॉ. सुनील ने मरीजों के पास जाकर उनकी मिजाजपुर्सी शुरू कर दी है। उधर, पीएमसीएच के डॉक्टर एके वर्मा एवं सुनील कुमार सिन्हा के अलावा डॉक्टर पीके पुरोहित और एस चटर्जी भी कोरोना के मरीज हो गए हैं। सुनील ने इस दौरान सीनियर्स का भी विशेष ख्याल रखा। अगले चुनाव के लिए चार वोट पक्के। 

माननीय से तनाव तो राहत भी 

झामुमो विधायक दल के सचेतक मथुरा महतो पर किसी विरोधी की तरह कोरोना ने हमला किया। जब यह बात सार्वजनिक हुई, तब माननीय सरकारी अधिकारियों के साथ जरूरतमंद लोगों के बीच साड़ी वितरण कर रहे थे। माननीय को ससम्मान कोविड अस्पताल पहुंचा दिया गया। तनाव में आ गए सैकड़ों लोग। मथुरा टुंडी में कई विवाह समारोह में शामिल हुए थे तो कई जगहों पर सरकारी अफसरों के साथ बैठक की थी। बेधड़क। माननीय के संपर्क में आए लोगों को खोजने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। माननीय से कई ऐसे लोग मिले हैं, जिन्हें वो अच्छी तरह जानते भी नहीं। खैर, माननीय कोविड अस्पताल में हैं, तो बाकी मरीजों को फायदा हुआ है। इंतजामात बढिय़ा हो गए हैं। खाना और लजीज। साफ सफाई भी पहले से बेहतर। डॉक्टरों की सक्रियता भी पहले से अधिक। माननीय के कारण तनाव हुआ है, तो राहत भी।

माओवादी नहीं, वायरस की दहशत 

पुलिस को हमेशा माओवादी दहशत में डालते रहे हैं। वक्त ने ऐसी करवट ली है कि पुलिस वालों को माओवादी से अधिक वायरस से डर लगने लगा है। टुंडी में माओवादी के खिलाफ ऑपरेशन में जाने से पुलिसवाले उतना नहीं डर रहे हैं जितना कोरोना की ड्यूटी में। कारण भी है। माओवादी के खिलाफ अभियान में पुलिस को तनिक भी नुकसान नहीं हुआ है। कोरोना ने एसएसपी कार्यालय में एक खाकी वर्दीवाले को जकड़ लिया। हालत यह हो गए कि एक सप्ताह तक कार्यालय में लॉकडाउन। पुलिस लाइन में कुछ लोग कोरोना मरीज मिल गए तो दो बैरकों में लग गया कफ्र्यू। हालत ऐसी हो चुकी है कि पुलिसवाले अब एक दूसरे के भी नजदीक जाने से डरने लगे हैं। कोविड अस्पताल में माननीय के साथ अफसर थे तो पुलिस वाले भी पहुंच गए। ऐसे भी जहां माननीय और अफसर होंगे, वहां पुलिस रहेगी ही। 


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