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BCCL: बेचारे कड़क मिजाज जीएम साहब ! सिर मुंडाते ओले पड़े.

BCCL मानसून की आमद हो गई है। एक सप्ताह से झमाझम बारिश हो रही है। बिना गरज के। कहा भी गया है कि बरसने वाले गरजते नहीं। हालांकि यह नियम सरकारी कारिंदों पर लागू नहीं होता। उनकी खामोशी तो बस नाकामी ही बता रही है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 09:08 AM (IST)
BCCL: बेचारे कड़क मिजाज जीएम साहब ! सिर मुंडाते ओले पड़े.
बीसीसीएल के सेवानिवृत्त जीएम के खिलाफ जांच की मांग ( सांकेतिक फोटो)।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। जीएम साहब सेवानिवृत्त हुए। सोचे थे, अब सुकून का जीवन जिएंगे। मगर लोग पीछे ही पड़ गए। आए थे तो तगड़ा भौकाल था। एकदम कड़क मिजाज। बेधड़क घुसने के आदी दबंग ठेकेदारों तक को अनुमति लेनी होती थी। मगर, सेवानिवृत्त होते ही पीएफ, ग्रेच्युटी तक रोकने की मांग हो रही है। सीबीआइ, सीवीओ, सीएमडी से लेकर मंत्रालय के सचिव तक को खत लिखे जा रहे हैं। अब ताजा हमला उनके पुत्र की शाही शादी को लेकर किया जा रहा है। कहने वाले ये कह रहे कि आर्थिक संकट में भी पद का दुरुपयोग किया। लोदना गेस्ट हाउस, जीएम बंगला के नवीकरण व फर्नीचर मरम्मत के नाम पर 20 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। इसलिए कि आखिर उनके पुत्र की शादी होनी थी। पहले काम फिर निविदा निकाली गई। शादी भी रजवाड़ों की तरह हुई। कई आरोप पहले भी लगे हैं। देखिए, कार्रवाई क्या होती है। 

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गैस के गुबार में घुट रही जिंदगी

मानसून की आमद हो गई है। एक सप्ताह से झमाझम बारिश हो रही है। बिना गरज के। कहा भी गया है कि बरसने वाले गरजते नहीं। हालांकि यह नियम सरकारी कारिंदों पर लागू नहीं होता। उनकी खामोशी तो बस नाकामी ही बता रही है। झरिया का अग्नि प्रभावित इलाका बारिश के साथ गैस के गुबार उगल रहा है। मगर, अभी तक बीसीसीएल या झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार ने कोई भी एहतियाती कदम इस वर्ष नहीं उठाया है। नए प्रभारी हाल के दिनों तक आपदा प्रबंधन प्राधिकार के निर्देश पर दंडाधिकारी का कर्तव्य निभाने में जुटे थे। जेआरडीए कार्यालय भी कम आते थे। दूसरी ओर लोग हैं कि दमघोंटू माहौल से निकलने की राह तलाश रहे हैं। उन पर आस लगाए हैं, मगर वो...। ्रलोग शिकायत कर रहे कि प्राधिकार रस्म अदायगी के लिए क्या किसी हादसे का ही इंतजार कर रहा है।

ये कैसी कार्रवाई

गैस उगल रहे इलाकों के लिए जेआरडीए के नए प्रभारी कहते हैं, कार्रवाई शुरू हो गई है। बीसीसीएल के सभी महाप्रबंधकों को पत्र दे दिया है। उनके इलाके में जो खतरनाक क्षेत्र हैं, उनके निवासियों को अन्यत्र बसाया जाए। खाली जगह जहां कोई सामुदायिक भवन या अन्य भवन हो, उनको वहां बसाया जाए। अब पुनर्वास का काम तो बीसीसीएल को ही करना है। हमारे पास 2000 फ्लैट खाली हैं। 10 लोगों की सूची बीसीसीएल ने भेजी है। एक का नाम पहले भी आया था। शेष नौ को कल बसा देंगे। अरे भइया ये क्या कह रहे। केवल नौ, सिर्फ रजवार बस्ती के ही 36 परिवार हैं। वे अपील कर थक गए कि कहीं बसा दीजिए। मगर, कार्रवाई नहीं हुई। घरों में दरारें पड़ गई हैं। गैस निकल रही। रैयत हैं पर मुआवजा तक न मिला। कोई तो बताए, कैसी कार्रवाई हो रही। 

याद आए वाजपेयी

जेबीसीसीआइ-11 में जगह बनाने को इंटक नेता हर तरह की जुगत भिड़ा रहे हैं। अदालत का दरवाजा भी खटखटा रहे। अपने में एकजुटता नहीं तो सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। उधर अपने ही पदाधिकारी कहने लगे हैं कि यदि उनकी वजह से जेबीसीसीआइ-11 में देर हुई तो वे संगठन छोड़ देंगे। कुछ ने तो सीधे राहुल गांधी से फरियाद कर दी कि सभी पुराने नेताओं को हटाइए। विवाद खुद खत्म हो जाएगा। नए लोगों को मौका दीजिए। हालांकि कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला। अब कई को वाजपेयी याद आ रहे हैं। कह रहे, जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, सीधे सोनिया गांधी से ही पुछवा लिया था कि आपके नेता कौन हैं। सोनिया गांधी ने रेड्डी और राजेंद्र का नाम सुझा दिया था। फिर उनके कहे मुताबिक ही प्रतिनिधियों से वार्ता की गई थी। कोल इंडिया और तब के कोयला मंत्री कडिय़ा मुंडा की ना नुकुर के बावजूद। मौजूदा नेतृत्व में वह सदाशयता कहां।


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