रक्तदान के शतकवीर झरिया के विनोद अग्रवाल के जज्बे को सलाम
विनोद अग्रवाल। यही नाम है झरिया के मानबाद में रहने वाले उस युवा समाजसेवी का जिन्होंने 45 वर्ष की उम्र में 18 जनवरी को अपना सौ वां रक्तदान कर समाज में एक नई मिसाल पेश कर दी है।
जागरण संवाददाता, झरिया : विनोद अग्रवाल। यही नाम है झरिया के मानबाद में रहने वाले उस युवा समाजसेवी का जिन्होंने 45 वर्ष की उम्र में 18 जनवरी को अपना सौ वां रक्तदान कर समाज में एक नई मिसाल पेश की है। 18 वर्ष की उम्र से ही जरूरतमंदों को रक्तदान करने वाले शतकवीर विनोद के हौसले को सलाम है। 18 वर्ष की उम्र में पहली बार दोस्त के कहने पर विनोद ने रक्तदान किया। इसके बाद हर साल तीन से चार बार जरूरतमंदों को रक्तदान करता आ रहा है। विनोद के इस जज्बे से झरिया मारवाड़ी समाज ही नहीं झरिया और धनबाद के लोग भी इनकी काफी सराहना कर रहे हैं।
आज ऐसे ही एक युवक की प्रेरणादायक सच्ची कहानी से आपको अवगत करा करते हैं। विनोद पहले मारवाड़ी युवा मंच और फिर मारवाड़ी सम्मेलन से जुड़कर समाज सेवा का कार्य करते हुए खुद रक्तदान कर दूसरे को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहे हैं। इसे रक्तदान के प्रति विनोद का जुनून नहीं तो और क्या कहा जाएगा। वर्ष 1995 से लगातार खुद रक्तदान करने व लोगों को भी जागरुक करने वाले विनोद का कहना है कि स्वास्थ समाज के लिए मेरा रक्तदान व लोगों को इसके प्रति जागरुक करने का अभियान आगे भी जारी रहेगा।
एक वृद्ध महिला के लिए विनोद ने धनबाद में किया अपना सौ वां रक्तदान
बिनोद का कहना है कि अपना सौ वां रक्तदान शादी की सालगिरह के अवसर पर एक जरूरतमंद वृद्ध महिला के लिए कर बहुत खुशी हो रही है। कहा कि अशोकनगर धनबाद निवासी 88 वर्षीय एक वृद्ध महिला गंगा देवी को रक्त की बहुत जरूरत थी। उनके पोता संजय संघई ने मुझसे संपर्क किया। दादी की समस्या से मुझे अवगत कराया। इसी बीच 18 जनवरी को मेरी शादी की दूसरी सालगिरह थी। मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका और रक्तदान के लिए शतक लगाने का नहीं मिलेगा। मैंने रक्तदान की हामी भर दी। इसके बाद धनसार स्थित धनबाद ब्लड बैंक में गंगा देवी के लिए रक्तदान किया। अविनाश अस्पताल में भर्ती गंगा को मेरा रक्त चढ़ाया गया। रक्तदान के बाद वृद्ध गंगा ने मुझे बहुत दुआ दी। कहां कि बेटा तुमने आज मेरी जान बचा ली है। इससे गर्व से मेरा सीना ऊंचा हो गया।
पत्नी ने मुझे सौ वां रक्तदान करने के लिए किया प्रेरित
विनाेद का कहना है कि 18 वर्ष की उम्र में पहली बार 1995 में रक्तदान किया। दोस्त राजेश सिंह की बहन की बीमार सास के लिए केंद्रीय अस्पताल में रक्तदान दिया था। इसके बाद रक्त के लिए बीमार लोगों के परिवार वालों को जूझते देखकर आगे भी रक्तदान करते रहने का निर्णय लिया। मंगलवार को सौ वां रक्तदान के लिए मेरी अर्धांगिनी रीना अग्रवाल ने प्रेरित किया। कहा कि शादी की दूसरी सालगिरह पर इससे अच्छा कार्य करने का दूसरा मौका मौका नहीं मिलेगा। पत्नी ने यह भी कहा कि रक्तदान से बड़ा पुण्य का कार्य और कोई नहीं है। इसके बाद मैंने वृद्ध गंगा देवी को रक्तदान करने का निर्णय लिया।
रक्तदान के लिए दूसरों को भी प्रेरित करते हैं विनोद
18 वर्ष की उम्र से ही रक्तदान करते आ रहे झरिया के विनोद अग्रवाल दूसरे को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहे हैं। यही कारण है कि दो दशक पूर्व झरिया में जहां लोग रक्तदान करने से घबराते थे। विनोद ने रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक किया। आज झरिया के अनेक लोग रक्तदान कर रहे हैं। इसका श्रेय विनोद को जाता है। विनोद का कहना है कि 25 वर्षों के दौरान हजारों लोगों को मैंने रक्तदान के लिए प्रेरित किया। इससे जरूरतमंदों को लाभ मिला। कहा कि गुरुवार को भी मेरे चार साथियों झरिया के कन्हैया अग्रवाल, अनूप मित्तल, रौनक अग्रवाल और प्रत्यूष अग्रवाला ने चार यूनिट जरूरतमंदों के लिए रक्तदान किया। दो यूनिट रक्त एक महिला सरिता अग्रवाल को दिया गया। दो यूनिट रक्त को रिजर्व में रखा गया है।
कई संस्थाओं ने विनाेद को किया सम्मानित
रक्तदान के प्रति विनाेद के जुनून को देखते हुए सरकारी व कई सामाजिक संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित भी किया है। वर्ष 2014 में झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने इन्हें सम्मानित किया। इसी वर्ष झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी युवा मंच व वर्ष 2016 में मारवाड़ी यूथ बिग्रेड की ओर से विनाेद को सम्मानित किया गया। रेडक्रास सोसाइटी व धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की ओर से भी विनाेद को सम्मानित किया गया है।