निजी कोल ब्लॉकों की नीलामी से मिले राजस्व पर सिर्फ राज्यों का हक, मंत्री ने कहा- विदेशी मुद्रा की भी होगी बचत
केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि निजी क्षेत्रों को कोल ब्लॉक की नीलामी से होने वाली आय का सारा राजस्व राज्यों के हिस्से में आएगा। सिर्फ राज्य ही इससे लाभन्वित होंगे।
धनबाद, जेएनएन। निजी क्षेत्रों को कोल ब्लॉक की नीलामी से होने वाली आय का सारा राजस्व सिर्फ राज्यों के ही हिस्से में आएगा। सिर्फ राज्य ही इस नीलामी से लाभन्वित होंगे। यह जानकारी केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने राज्य के सांसदों को दी है। जोशी ने बुधवार को झारखंड के तमाम सांसदों के साथ वेबिनार किया था। इस दौरान धनबाद सांसद पीएन सिंह ने अपने इलाकों में अवैध उत्खनन व कॉमर्शियल माइनिंग पर केंद्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया। केंद्रीय मंत्री से राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में किए गए मुकदमे पर भी बात की। निजी क्षेत्र को कोयला बेचने की अनुमति देने के लाभ-हानि पर मंत्री से सफाई मांगी। इसपर मंत्री ने सभी सांसदों को इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी भेजने की बात कही थी। शुक्रवार को उन्होंने राज्य के सभी सांसदों व पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को बिंदुवार जानकारी दी है।
राज्य, जिला और संसदीय क्षेत्र को होगा विशेष लाभ :
- नीलामी से आने वाला सारा राजस्व राज्यों के हिस्से में ही आएगा।
- 41 खदानों की नीलामी से सालाना कुल 20 हजार करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व प्राप्त होगा। इससे संसदीय क्षेत्र का विकास होगा।
- स्थानीय स्तर पर रोजगार के रास्ते खुलेंगे। अप्रत्यक्ष रोजगार भी पनपेंगे। कोल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और परिवहन में भी रोजगार मिलेगा।
- झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कुल तीन लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी।
- 16 जिले ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में कोयला खदानें हैं। ऐसे जिलों में निजी खदानों के शरू होने से वहां के डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (डीएमएफ) फंड को भी मजबूती मिलेगी। इससे जिले का विकास होगा।
- इन क्षेत्रों में कंपनी शुरू होने के बाद मिलने वाले निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड से जन कल्याण और सामुदायिक विकास होगा।
- कोयला उत्पादन बढऩे से बिजली, स्टील, उर्वरक, एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्र भी लाभान्वित होंगे और इन क्षेत्रों के उत्पादन व उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विदेशी मुद्रा की होगी बचत :
- जानकारी में केंद्रीय कोयला मंत्री ने बताया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में देश में 958 मिलियन टन कोयले की खपत हुई।
- 707 मिलियन टन उत्पादन देश में हुआ। 251 मिलियन टन कोयले का आयात किया गया।
- कुल कोयला खपत का 26 फीसद आयात किया गया।
- कोयले के आयात पर देश को प्रति वर्ष 1.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।
- इस आयात का कुछ हिस्सा कोकिंग कोल का है, जिसे रोका नहीं जा सकता। देश में इसकी कमी है।
- नॉन कोकिंग कोल का भरपूर भंडार होने पर भी आयात करने से विदेशी मुद्रा खर्च होती है।
- व्यावसायिक खनन के पहले चरण में झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ में 41 कोल ब्लॉक नीलाम किए जाएंगे।
- इनमें 16,979 मिलियन टन कोयला रिजर्व है। सालाना 225 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया जा सकता है।
निवेश बढ़ाने को किए गए उपाय :
- व्यावसायिक खनन में ज्यादा कंपनियां भाग लें इसके लिए निवेश के लिए कोयला क्षेत्र को पूरी तरह खोल दिया गया है।
- कोयले का उत्पादन कर स्वयं के उपयोग, बेचने या निर्यात करने की स्वतंत्रता रहेगी।
- खदानों की नीलामी में भाग लेने के लिए अब कोयला क्षेत्र में पूर्व अनुभव या वित्तीय योग्यता की जरूरत नहीं।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी से कोयला क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा आएगी।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में निवेश के साथ ऑटोमेटिक रूट के तहत कोयला खनन क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआइ की अनुमति।
- चीन के वर्चस्व को दी जाएगी चुनौती। वह लगातार इस क्षेत्र में काम कर रहा है। हमारे पास भी चौथा सबसे बड़ा भंडार है। हम टक्कर दे सकेंगे।