Dhanbad Rail Division: पहली पत्नी के बच्चों से हैवानियत करने पर टीटीआइ बर्खास्त, बेटी ने सुनाई प्रताड़ना की खौफनाक कहानी
साक्षी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब पिता ने घर से निकाल दिया था तो एक महीने तक सड़क पर रही। फिर कुछ पुलिस वाले अपने साथ ले गए। पुलिस से मामले की शिकायत दर्ज करने की फरियाद की तो बोले पहले पैसे लाओ तब शिकायत दर्ज होगी।
धनबाद/गोमो बाजार, जेएनएन। बेटी और दो नाबालिग बेटों के साथ हैवानियत करने वाले धनबाद रेल मंडल के टीटीआइ बीके पांडेय को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। सीनियर डीसीएम सह डिसीप्लिनरी अथॉरिटी ने इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है। विभागीय आदेश 22 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा। रेलवे की ओर से जारी कार्रवाई आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सीआइटी (प्रशासन) धनबाद के अधीन काम करने वाले टीटीआइ को बहुविवाह से जुड़े होने और अपने बच्चों से अमानवीय व्यवहार में संलिप्त पाया गया है। उनके बच्चों की स्थिति बेहद चिंतनीय है। ऐसी परिस्थिति उत्पन्न कर दी गई जिससे कोई भी उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता है। मामले को गंभीरता से लेकर उनके खिलाफ रिमूव फ्रॉम सॢवस का आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही उन्हेंं यह मौका भी दिया गया है कि रेलवे के नियमों के तहत 45 दिनों के अंदर एडीआरएम के समक्ष अपील करें।
बेटी साक्षी की जुबानी पूरी कहानी
मेरे पिता बिनोद कुमार पांडेय धनबाद में टीटीआइ हैं। दहेज के लिए मेरी मां को जिंदा जला कर मार दिया। उसके बाद उन्होंने दूसरी शादी कर ली। मां के गुजरने के बाद से पिता खाने-पीने और पढऩे-लिखने नहीं देते हैं। सौतेली मां के साथ मिलकर जान मारने के इरादे से बेरहमी से पिटाई करते हैं। मुझे और मेरे दो छोटे भाई रोशन व रौनक को लॉकडाउन के दौरान घर से निकाल दिया था। उस वक्त हम गोमो में रह रहे थे। एक महीने तक थाने में रहने के बाद जब नाना को खबर मिली तो वह 16 मई को बक्सर ले गए। फिर 22 मई को मेरे पिता एकाएक बक्सर पहुंच गए और नाना-नानी समेत परिवार के सदस्यों पर झूठा केस कर दिया। जब उन लोगों ने हमारा साथ नहीं छोड़ा तो केस कर 10वीं में पढऩे वाले रोशन को फंसा कर जेल भिजवा दिया। वहां की पुलिस मेरे बूढ़े नाना को अक्सर परेशान करती है। पिता आए दिन कुछ लोगों को लेकर बालकनी में जबरदस्ती घुस आते हैं और जान मारने का प्रयास करते हैं।
कानून से उठ चुका था भरोसा, सोचती थी खुदकुशी कर लूं
लॉकडाउन के दौरान जब पिता ने घर से निकाल दिया था तो एक महीने तक सड़क पर रही। फिर कुछ पुलिस वाले अपने साथ ले गए। पुलिस से मामले की शिकायत दर्ज करने की फरियाद की तो बोले, पहले पैसे लाओ, तब शिकायत दर्ज होगी। मेरा कानून पर से भरोसा उठ गया था। कुछ खाने के भी पैसे नही थे। इतनी विकट परिस्थिति थी कि बार-बार मन में खुदकुशी करने करने का ख्याल आता था, पर अब उनकी बर्खास्तगी से दिल को तसल्ली मिली है। उन्हें बर्खास्त कर डीआरएम और सीनियर डीसीएम ने समाज में यह उदाहरण पेश किया है कि कानून सबके लिए है।
12 साल के भाई और 90 साल के नाना के खिलाफ चोरी की शिकायत
बक्सर में वैष्णवी इन होटल के पीछे रहने के दौरान भी पिता ने घर से निकलवाने के लिए दोनों भाई और नाना समेत 10 लोगों के खिलाफ चोरी और हत्या का प्रयास करने की झूठी शिकायत दर्ज कराई। इनमें 12 साल के रौनक और 13 साल के रोशन के साथ 90 साल के नाना का नाम भी शामिल था। इसके आधार पर पुलिस ने रोशन को जेल भी भेज दिया। दो महीने से वह जेल में है।
हरिहरपुर पुलिस से की थी शिकायत, बोले तुम लोगों की यही किस्मत है...
साक्षी ने बताया कि उसने गोमो में उसके और उसके दोनों भाइयों के साथ हुई ज्यादती की शिकायत हरिहरपुर थाने में कई बार की थी। बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस से बस इतना ही जवाब मिला कि अगर तुम्हारा पिता तुम्हें अपनी बेटी नहीं मानता तो मेरे और कोर्ट के मानने से क्या होगा। जाओ, तुम लोगों की यही किस्मत है।
बिहार के मुख्यमंत्री से भी कर चुकी फरियाद
बक्सर में रहने के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई से आहत साक्षी ने मामले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है। उसने बताया है कि स्थानीय पुलिस पैसे लेकर बिना जांच किए परेशान कर रही है। देर रात आकर घर छोडऩे का दबाव डाल रही है। पुलिस को निष्पक्ष जांच करने और नाबालिग भाई को रिहा कराने का आदेश देने की फरियाद की है।