Dhanbad-Tatanagar के बीच पाथरडीह में बगैर इंजन बदले चलेंगी ट्रेनें, मार्च तक तैयार होगा रूट
पाथरडीह स्टेशन धनबाद रेल मंडल और दक्षिण पूर्व रेलवे की सीमा पर है। इस स्टेशन के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की सीमा शुरू हो जाती है। ब्रिटिश जमाने से इस रेल मार्ग पर सिंगल लाइन पर ही ट्रेन चल रही है।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद से टाटा, आद्रा, बांकुड़ा और विष्णुपुर जाने वाली ट्रेनों को अब पाथरडीह में इंजन बदलने के लिए 25 से 30 मिनट वक्त जाया नहीं करना होगा। बिना इंजन बदले ही अप और डाउन दोनों ओर की ट्रेनें आसानी से आ और जा सकेंगी। इसके लिए रेलवे ने पाथरडीह में यार्ड रिमॉडलिंग कराना शुरू कर दिया है। यार्ड को नए सिरे से विकसित किया जा रहा है। इस काम के पूरा होते ही दशकों पुराने सिग्नलिंग सिस्टम को भी बदला जाएगा। 25 मार्च 2021 पर सिग्नलिंग सिस्टम को पैनल इंटरलॉकिंग से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। पैनल इंटरलॉकिंग होते ही ट्रेनों को अंगुलियों के इशारों से हरे और लाल सिग्नल दिए जा सकेंगे।
दक्षिण पूर्व रेलवे की सीमा पर है पाथरडीह स्टेशन
पाथरडीह स्टेशन धनबाद रेल मंडल और दक्षिण पूर्व रेलवे की सीमा पर है। इस स्टेशन के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की सीमा शुरू हो जाती है। ब्रिटिश जमाने से इस रेल मार्ग पर सिंगल लाइन पर ही ट्रेन चल रही है। अब प्रधानखंता से भोजुडीह तक तकरीबन 23 किमी लंबे रेलमार्ग के दोहरीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई है। रेल मार्ग के दोहरीकरण से सिर्फ यात्री ट्रेनें ही नहीं मालगाड़ियों का परिचालन भी पहले से बेहतर होगा। अभी सिर्फ धनबाद से टाटानगर के स्वर्ण रेखा एक्सप्रेस और धनबाद विष्णुपुर मेमू ट्रेन ही इस रेल मार्ग पर चलती है। दोहरीकरण के बाद कुछ और ट्रेनों के चलने की संभावना भी बढ़ेगी।