Taliban Free Three Indian: झारखंड के हो सकते तालिबान की कैद से रिहा हुए तीन अभियंता, 18 महीने से थे बंधक
अफगानिस्तान में काम करने वाली भारतीय कंपनी केईसी (kEC) में कार्यरत सात अभियंताओं का तालिबान के आतंकियों ने मई 2018 में कैद कर लिया था। इनमें पांच झारखंड के रहने वाले थे।
धनबाद/ गिरिडीह, जेएनएन। अमेरिका और तालिबान के बीच हुई समझौता वार्ता के दाैरान जिन तीन भारतीय अभियंताओं को रिहा किया गया है उनके बारे कहा जा रहा है कि वे सभी झारखंड के रहने वाले हो सकते हैं। हालांकि स्वतंत्र रूप से अब तक किसी ने पुष्टि नहीं की है। 18 महीने पहले भारत के 7 अभियंताओं का अफगानिस्तान में तालिबान के आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। उनमें झारखंड के गिरिडीह जिले का प्रसादी महतो और हुलास महतो तथा हजारीबाग जिले का काली महतो भी शामिल था। तालिबन द्वारा तीन भारतीय अभियंताओं को रिहा करने की खबर आने और सोशल मीडिया में चल रही तस्वीरों के बाद प्रसादी, हुलास और काली की जल्द घर वापसी की उम्मीद की जा रही है। हालांकि सोशल मीडिया में चल रही तस्वीर को देखकर परिजनों ने पहचाने से इन्कार किया है।
मई 2018 में हुआ था अपहरणः अफगानिस्तान में काम करने वाली भारतीय कंपनी केईसी (kEC) में कार्यरत सात अभियंताओं का तालिबान के आतंकियों ने 6 मई 2018 में कैद कर लिया था। अफगानिस्तान के बघलान प्रांत से जिन सात भारतीयों को तालिबानी बंदूकधारी ने अगवा किया था उनमें गिरीडीह जिले के बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी प्रकाश महतो व प्रसादी महतो, महुरी के हुलास महतो और हजारीबाग जिले के टाटीझरिया के बेडम के काली महतो शामिल हैं। इनके अलावा अन्य तीन मजदूरों में एक मंटू सिंह (बिहार), राजन कौशिक एवं मुरलीधरन केरल के रहनेवाले हैं। अपहरण के बाद से अभियंताओं के परिजन रिहाई के लिए भारत सरकार से पहल करने की मांग करते रहे हैं। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी परिजनों ने गुहाई लगाई थी। उन्होंने सुरक्षित रिहाई का आश्वासन भी दिया था। लेकिन, रिहाई नहीं हुई। धीरे-धीरे यह मामला शांत पड़ गया। परिजन भी थक-हारकर रिहाई की उम्मीद छोड़ बैठे थे।
तस्वीर देख नहीं पहचान पा रहे परिजनः तालिबान के आतंकियों की कैद से रिहाई के बाद तीन अभियंताओं की जो ताजा तस्वीर विभिन्न मीडिया के माध्यम से सामने आई है उसे देख परिजन भी नहीं पहचान पा रहे हैं। दरअसल, अफगानिस्तान जाते समय अभियंताओं की जो हुलिया था वह वर्तमान से मेल नहीं खा रही है। पहले किसी की दाढ़ी नहीं थी। सब शर्ट और पैंट पहनते थे। उनका हुलिया भारतीय था। वतर्मान में जो तस्वीर सामने आई है वह एकदम उल्टा है। तीनों देखने में तालिबान के आतंकी की तरह लगते हैं। तालिबानियों की तरह लंबी दाढ़ी है। सिर पर तालिबानी पगड़ी है। पहनावा भी तालिबानी पाजामा-कुरता। इसलिए परिजन पहचान नहीं पा रहे हैं। हुलास महतो की पत्नी प्रमिला देवी ने बताया कि सोशल मीडिया में जो तस्वीर वायरल हुई है, उसमें उनके पति नहीं हैं। इस तरह की कोई भी तस्वीर कंपनी के अधिकारी ने भी उन्हें नहीं भेजी है।
11 तालिबान के आतंकियों के बदले तीन अभियंताओं की हुई रिहाईः भारतीय अभियंताओं की रिहाई अमेरिका और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत से संभव हुई। अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मे खलीलजाद और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच पिछले दिनों पाकिस्तान के इस्लामाबाद में बैठक हुई। बैठक में भारत के तीन अपहृत अभियंताओं का भी मुद्दा उठा। इन तीन अभियंताओं के बदले अफगान की जेल में बंद 11 तालिबानी नेताओं की रिहाई पर सहमति बनी। इसके बाद अदला-बदली पर रिहाई हुई। छह अक्टूबर को अफगानिस्तान में अमेरिकी एयर बेस के पास तालिबान के नेताओं को छोड़ दिया गया। इसके बाद तालिबान ने भी तीन अभियंताओं को मुक्त कर दिया। अफगान तालिबान द्वारा इसकी पुष्टि भी कर दी गई। हालांकि तीनों अभिंयता इस समय कहां हैं, कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब तक भारत सरकार की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अभियंताओं के परिजनों को बुलाया गया कोलकाताः अपहृत तीनों अभियंता KEC कंपनी में काम करते थे। तीनों के परिजनों को कंपनी की तरफ से 10 अक्टूबर को कोलकाता बुलाया गया है। परिजन कोलाकाता जाने की तैयारी में हैं। हालांकि कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं।
मई में रिहाई के बाद अब तक बगोदर नहीं पहुंचा प्रकाश महतोः बगोदर के रहने वाले प्रकाश महतो की इसी साल मई महीने में रिहाई होने की खबर आई। हालांकि आज तक वह गिरिडीह के बगोदर नहीं पहुंचा। उसे कंपनी के दिल्ली स्थित कार्यालय में ही रखा गया है। बाद में प्रकाश ने अपनी पत्नी को भी दिल्ली बुला लिया। इस बात को लेकर भी तरह-तरह की चर्चा है। आखिर काैन सा राज है कि रिहाई के बाद भी प्रकाश महतो को सामने नहीं आने दिया जा रहा है?
भारत सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिएः भाकपा माले के नेता और बगोदर के पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह ने भारत सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि तस्वीर को देखकर अभियंताओं के परिजन पहचान नहीं पा रहे हैं। तीनों की हुलिया काफी बदल गया है। इसलिए भारत सरकार और विदेश मंत्रालय को आगे आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अगर तीनों अभियंता रिहा हुए हैं तो कहां हैं? उन्हें परिजनों के हवाले कब किया जाएगा?