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आनंद मार्ग की ओर से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार शुरू

कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए भारत सरकार के कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए वेबीनार के माध्यम से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इसमें धनबाद एवं इसके आसपास के सभी आनंदमार्गी घर बैठे ही प्रथम संभागीय सेमिनार का लाभ ले रहे हैं।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 10:53 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 10:53 AM (IST)
आनंद मार्ग की ओर से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार शुरू
धनबाद एवं इसके आसपास के सभी आनंदमार्गी घर बैठे ही प्रथम संभागीय सेमिनार का लाभ ले रहे हैं।

जागरण संवाददाता, धनबाद : कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए भारत सरकार के कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए वेबीनार के माध्यम से तीन दिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इसमें धनबाद एवं इसके आसपास के सभी आनंदमार्गी घर बैठे ही प्रथम संभागीय सेमिनार का लाभ ले रहे हैं। प्रथम दिन आनंदमार्ग प्रचार संघ की ओर से आयोजित प्रथम संभागीय सेमिनार के अवसर पर आनंदमार्ग के वरिष्ठ आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने सहकारी व्यवस्था विषय पर कहा कि आज की अर्थव्यवस्था में सहकारी व्यवस्था (कोऑपरेटिव) का होना अत्यंत जरूरी हो गया है।

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उन्होंने प्रउत प्रणेता पीआर सरकार की ओर से प्रतिपादित विकेंद्रित अर्थव्यवस्था के पांच सिद्धांतों का जिक्र किया। इसमें पहला सिद्धांत कहता है कि एक सामाजिक आर्थिक इकाई के अंदर के सभी प्रकार के संसाधन स्थानीय लोगों द्वारा गठित इकाई से ही संचालित किए जाएंगे। दूसरा सिद्धांत कहता है कि उत्पादन हमेशा मांग या खपत के आधार पर होना चाहिए न कि मुनाफे के आधार पर। तीसरा सिद्धांत कहता है कि प्रत्येक वस्तु या उत्पाद का निर्माण एवं वितरण सहकारी समितियों (कोऑपरेटिव) के माध्यम से होना चाहिए। चौथा सिद्धांत कहता है कि सहकारी समितियों के स्थानीय उद्यमों में सिर्फ स्थानीय युवकों को ही नौकरी प्रदान की जाए और पांचवां सिद्धांत कहता है कि जो वस्तुएं स्थानीय आधार पर नहीं निर्मित की जाती या उगाई जाती, उन वस्तुओं को स्थानीय बाजार से हटा दिया जाए अर्थात आयात ही न किया जाए।

विकेंद्रित अर्थव्यवस्था के तीसरे सिद्धांत के अनुसार सहकारिता तीन तरह के होंगे - उत्पादक सहकारिता,

उपभोक्ता सहकारिता एवं वितरक सहकारिता। उत्पादक सहकारी समितियों में कृषि आधारित सहकारी

उद्योग, कृषि सहायक सहकारी उद्योग, गैर कृषि उत्पाद आधारित सहकारी उद्योग शामिल है। उपभोक्ता सहकारी समितियों में अत्यावश्यक उपभोक्ता वस्तुएं, अर्द्धआवश्यकीय उपभोक्ता वस्तुएं एवं गैर आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं। इसके साथ ही कृषि सहकारिता एवं कृषक सहकारिता होंगे। सहकारिता के लिए सहकारिता संघ एवं सहकारिता प्रबंध का गठन अत्यावश्यक है। सहकारिता के कुछ मूलभूत सिद्धांत होंगे और सहकारिता की सफलता तीन तत्वों पर निर्भर करेगी। इसमें नीतिवाद का कड़ा देखरेख, मजबूत प्रशासन तथा लोगों का हृदय से सहकारिता को स्वीकार करना शामिल है। सहकारी अर्थव्यवस्था के लाभ एवं परिणाम में बेरोजगारी की समस्या का स्थायी निदान, ग्रामीण लोगों को रोजगार के लिए शहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विज्ञान में एक क्रांति प्रारंभ करके मानव समाज बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा। इसलिए आज सहकारिता आंदोलन की शुरुआत करने का उचित समय आ गया है, दूसरा कोई विकल्प नहीं है।


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