ये धनबाद की सड़क है, जरा संभल कर चलिए
बाबूजी धीरे चलना राह में जरा संभलना बड़े धोखे हैं इस राह में..। शहर को हवाईअड्डा से जोड़ने वाली वीआइपी सड़क बरवाअड्डा किसान चौक से सिटी सेंटर तक फोर लेन पर यह लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं।
आशीष सिंह, धनबाद : बाबूजी धीरे चलना, राह में जरा संभलना, बड़े धोखे हैं इस राह में..। शहर को हवाईअड्डा से जोड़ने वाली वीआइपी सड़क बरवाअड्डा किसान चौक से सिटी सेंटर तक फोर लेन पर यह लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं। आज इस सड़क की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। तकरीबन 41 करोड़ की सड़क में 33 से से ज्यादा गड्ढे हैं। कुछ तो इतने बड़े हो चुके हैं कि गिरकर चोटिल होना तय है।
धैया मंडल बस्ती के पास एक लेन पूरी तरह से खराब हो चुकी है। लगभग 20 फीट चौड़ा गड्ढा हो चुका है। रानीबांध के पास तीन से चार गड्ढे हैं। यहां लगातार सड़क टूट रही है। कुछ माह पहले सड़क का पैचवर्क भी किया गया, लेकिन यह नाकाफी साबित हुआ। धनबाद शहर और जीटी रोड के बीच सफर आसान बनाने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 27 नवंबर 2016 को सिटी सेंटर-बरवाअड्डा फोरलेन सड़क निर्माण के लिए आनलाइन नींव रखी थी। उस समय 32 करोड़ की लागत से एक साल में यानी नवंबर 2017 तक निर्माण पूर्ण होना था, लेकिन नहीं हो सका। इसकी लागत बढ़कर 41 करोड़ हो गई। 2018 में बरवाअड्डा किसान चौक से सिटी सेंटर तक 5.5 किमी तक सड़क बनकर तैयार हुई। इसे पथ निर्माण विभाग ने बनवाया। महज चार वर्ष में ही सड़क उखड़ने लगी। हाल ही में सरकार ने राज्य की कई सड़कों के मरम्मत और निर्माण के लिए लगभग 1300 करोड़ की राशि जारी की है। पर इसमें बरवाअड्डा-सिटी सेंटर की सड़क मरम्मत को शामिल ही नहीं किया गया है। मरम्मत न होने की वजह से सड़क लगातार टूटती जा रही है। पथ निर्माण विभाग भी आंख मूंदे हुए है। विभागीय अधिकारी अपने कार्यालय में आराम फरमा रहे हैं। सड़क की हालत और मरम्मत के बारे में जानने के लिए पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता दिनेश प्रसाद से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बातचीत नहीं हो पाई। एक पेड़ के बदले लगाने थे पांच पेड़ :
सिटी सेंटर से बरवाअड्डा तक की सड़क को जाम कम करने के लिए बनाया गया है। जाम तो ज्यों का त्यों है, सड़क जरूर अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। गड्ढे तो हर दिन सड़क दुर्घटना को आमंत्रण देते हैं। इस सड़क को फोरलेन करने के एवज में 100 साल पुराने 413 पेड़ों को काटा गया था। जितनी तेजी पेड़ काटने में दिखाई गई, उतनी तेजी नए पौधे लगाने में नहीं दिखी। चार वर्ष बीतने के बाद भी एक भी पौधा नहीं लगाया गया। देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल धनबाद में एक साथ 413 पेड़ों को काट दिया गया था। सरकार ने पथ निर्माण विभाग को ही पेड़ लगाने की जिम्मेवारी सौंपी ही थी। एक पेड़ के बदले पांच पौधे लगाने थे, इस हिसाब से विभाग को दो हजार पौधे लगाने थे, लेकिन आजतक एक भी नहीं लगा। सड़क समझ कर सरपट भागने की कोशिश जानलेवा हो सकती है। कारण गड्ढे में सड़क है या फिर सड़क में गड्ढे यह पता भी नहीं चलेगा। रात के अंधेरे में तो कई गड्ढे दिखते भी नहीं। सिटी सेंटर से बरवाअड्डा तक की सड़क की हालत ऐसी बन चुकी है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। यह न तो जिला प्रशासन को दिख रहा है और न ही पथ निर्माण विभाग को। करोड़ों खर्च कर बनाई सड़क की दशा और दुर्दशा देखने वाला कोई नहीं है।
- संदीप शर्मा, नौकरीपेशा, भेलाटांड़ सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे हादसों को न्यौता देते हैं। इन गड्ढों के कारण लोग अक्सर दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं। इसमें वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। प्रशासन को चाहिए कि वह सड़कों की हालत में विशेष सुधार करें। सड़कों की हालत इस प्रकार है कि विकास का कोई भी पैसा सड़कों पर खर्च किया गया नजर नहीं आता। गड्ढे तुरंत भरे जाने चाहिए, ताकि हादसा न हो।
- सत्येंद्र कुमार हाजरा, नौकरीपेश मेमको मोड़