30 लाख का केक-बिस्किट और कोल्डडि्रंक गटक गए चूहे
- आफत - - लॉकडाउन में चूहों को हो रही पार्टी मुश्किल में फंसे दुकानदार -फिलहाल रेल
- आफत -
- लॉकडाउन में चूहों को हो रही पार्टी, मुश्किल में फंसे दुकानदार
-फिलहाल, रेलवे ने लाइसेंस फीस से राहत देने के दिए संकेत
तापस बनर्जी, धनबाद : लॉकडाउन में बंद कारोबारी रेलवे स्टेशनों के स्टॉल पर अपनी प्रतिष्ठान की सुरक्षा को लेकर चिंतित तो हैं ही, उनकी रातों की नींद भी उड़ी हुई है। 61 दिनों से बंद स्टॉल में खरीदार नहीं ही आ रहे हैं पर बिन बुलाए मेहमानों की फौज रोजाना हजारों की चपत दे रहे हैं। ये बिन बुलाए मेहमान हैं मोटे-मोटे चूहे।
जी हां, लॉकडाउन में चूहों की मौज हो गई है। रोजाना रेलवे स्टेशन के बंद स्टॉलों में पहुंचकर केक, बिस्किट और कोल्ड ड्रिंक्स की दावत उड़ा रहे हैं। स्टॉल नहीं खुलने और यात्रियों की आवाजाही बेहद कम होने की वजह से इनकी चहल-कदमी बढ़ गई है। अनुमान के मुताबिक कारोबार न होने से अब तक 25 से 30 लाख का नुकसान हो चुका है। उस पर चूहे भी हजारों के खाने पीने का सामान चट कर चुके हैं। केक, बिस्किट समेत दूसरे पैक्ड खाने की चीजों को निशाना बना ही है। सैंकड़ों लीटर कोल्ड ड्रिंक्स डकार चुके हैं।
ब्रांडेड पानी के बोतलों से बुझा रहे प्यास
खाने-पीने की चीजों के साथ झुंड में आनेवाले चूहे स्टॉल में रखे ब्रांडेड बोतल बंद पानी भी पी जा रहे हैं। पानी के बोतलों का कार्टन कुतर डाल रहे हैं। इससे भी स्टॉल संचालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं संचालक
स्टॉल संचालकों का कहना है कि जितना हो सका था स्टॉल को सुरक्षित करने की कोशिश की थी। इसके बाद भी चूहों ने काफी नुकसान पहुंचाया है।
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पांच से सात लाख के बीच है सालाना लाइसेंस फी
रेलवे हर स्टॉल के लिए सालाना पांच से सात लाख रुपये तक लाइसेंस शुल्क लेती है। इस हिसाब से प्रतिदिन का लाइसेंस फी दो हजार या उससे भी ज्यादा है। लॉकडाउन से पहले धनबाद होकर अप और डाउन में दर्जनों ट्रेनें थीं। पर अब केवल राजधानी चल रही है। दो और तीन जून से तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनें ही चलेंगी। इसे लेकर भी स्टॉल संचालक चिंतित हैं कि न जाने से कब अच्छे दिन आएंगे।
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'स्टॉल संचालकों को मुआवजा जैसा कोई प्राविधान नहीं है। लॉकडाउन के दौरान लाइसेंस फी माफ कर दिया जाएगा।'
अखिलेश कुमार पांडेय, सीनियर डीसीएम