इन महिलाओं ने राष्ट्रपति और पीएम से मांगी इच्छामृत्यु
विस्थापित नौ महिलाओं ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को अपनी अर्द्धनग्न तस्वीरें भेज कर इच्छामृत्यु मांगी है।
सिंदरी (धनबाद), जेएनएन। डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) की विस्थापित नौ महिलाओं ने अपनी आबरू दांव पर लगा कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, झारखंड के राज्यपाल व मुख्यमंत्री को अपनी अर्द्धनग्न तस्वीरें भेज कर इच्छामृत्यु मांगी है। इन तस्वीरों में सभी महिलाएं न्याय के लिए हाथ जोड़े खड़ी हैं और उनके शरीर के हिस्से आंदोलन के नारे की तख्ती-पोस्टर से ढके हुए हैं।
इन्होंने इसके साथ भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि डीवीसी ने झारखंड-बंगाल में जमीन अधिग्रहण के एवज में 9000 ऐसे लोगों को विस्थापितों के नाम पर नियोजन दिया है जो पूरी तरह फर्जी हैं। 1956 में हुए इस अधिग्रहण के बाद से ही वास्तविक विस्थापित दर-दर भटकने को मजबूर हैं। न्याय के लिए वे पिछले पचास सालों से आंदोलन कर रहे हैं मगर दोनों राज्यों से लेकर दिल्ली तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए अब उन्होंने मान-प्रतिष्ठा ताक पर रखकर अंतिम कदम उठाया है ताकि उनके आश्रितों को न्याय मिल सके।
अर्द्धनग्न तस्वीरें भेजने वाली महिलाओं में चार महिलाएं धनबाद की, चार जामताड़ा की व एक पुरुलिया की हैं। इनमें सात आदिवासी हैं। तस्वीरें व पत्र झारखंड उच्च उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, ऊर्जामंत्री, ऊर्जा सचिव, डीवीसी चेयरमैन को भी प्रेषित की गई हैं।
जांच का प्रधानमंत्री का निर्देश पत्र झारखंड सरकार ने खो दिया:
महिलाओं ने अपने पत्र में बताया है कि डीवीसी में विस्थापितों को नौकरी के नाम पर हुए इस महा फर्जीवाड़ा की जांच, दोषियों को सजा और मूल विस्थापितों को नियोजन देने के लिए वर्षो से आंदोलन चल रहा है। इस सिलसिले में अब तक अनगिनत धरना, प्रदर्शन, जल सत्याग्रह, अर्द्धनग्न धरना, तथा रांची, कोलकाता और दिल्ली में प्रदर्शन किया गया।
इसके बावजूद हमें इंसाफ नहीं मिला। पूर्व में भेजे गए पत्रों के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने आठ बार केंद्रीय ऊर्जा सचिव से कार्रवाई की अनुशंसा की। परंतु कार्रवाई विचाराधीन रही। प्रधानमंत्री ने इस मामले में झारखंड के मुख्य सचिव को सीबीआइ जांच की अनुशंसा करने का निर्देश दिया था। परंतु प्रधानमंत्री का यह अनुशंसा आश्चर्यजनक रूप से रांची के दफ्तर पत्र से 'खो' गया।
आंदोलन को भटकाने का हो रहा प्रयास:
रामाश्रयघटवार आदिवासी महासभा के सलाहकार रामाश्रय ¨सह, महासचिव राम प्रसाद सिंह जिला कोषाध्यक्ष प्राण किशोर राय ने कहा कि इन आदिवासी महिलाओं ने स्वेच्छा से और अपने पतियों की सहमति से अपनी अर्द्धनग्न तस्वीरें भेजी हैं। आंदोलन के मूल मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए कुछ लोग इसे गलत ढंग से तूल दे रहे हैं। इन्होंने चेतावनी दी है कि विस्थापितों के न्याय के लिए अब और तेज आंदोलन होगा। अंतिम दम विस्थापित न्याय के लिए लड़ेंगे।
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