सुनिए हुजूर! रोजा खोलने को नहीं मिलेगा खाड़ी देशों का खजूर Dhanbad News
अभी से ही रमजान को लेकर वासेपुर में खजूर और शरबत की दुकानें सज रही हैं। हालांकि लॉकडाउन के कारण लोगों का कम आना हो रहा है।
धनबाद/वासेपुर, जेएनएन। रमजान के वक्त खजूर से रोजा खोलने का विशेष महत्व है। ऐसे में रमजान के दौरान रोजा रखने वालों में विभिन्न देशों से आने वाला खजूर बहुत ही मायने रखता है। जबकि इस बार खाड़ी देशों का खजूर धनबाद के रोजा रखने वालों को मिलना मुश्किल है।
धनबाद में देसी के साथ कतर, ओमान, सउादी अरब, कुवैत के साथ ही ईरान से भी खजूर आता है। इनकी कीमत 80 रुपये से लेकर छह हजार रुपये किलो तक होती है। हर वर्ग अपने तरीके से इसकी खरीदारी करता है। स्टेशन रोड के फल दुकानदार शादाब बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते विदेशों से खजूर नहीं आ रहा है। जबकि देश में निर्मित खजूर उपलब्ध है। इसी प्रकार से गर्मी के दिनों में विभिन्न प्रकार के शर्बत की भी बिक्री धनबाद में बढ़ जाती है। इस बार रमजान होने के कारण इसकी खपत अधिक होने की प्रबल संभावना है। शरबत कोलकाता और दिल्ली से धनबाद में आपूर्ति की जाती है। इसकी भी कमी दिख रही है। हालांकि, अभी से ही रमजान को लेकर वासेपुर में खजूर और शरबत की दुकानें सज रही हैं। हालांकि लॉकडाउन के कारण लोगों का कम आना हो रहा है।
रमजान का मुबारक महीना शुरू होने में एक सप्ताह का समय है। उम्मीद है कि 24 या 25 अप्रैल को चांद दिखने के बाद रोजा रखा जाएगा। इसी के साथ शुरू होगी अजीम ओ शान इबादत। इस्लाम धर्म में रोजे की बड़ी अहमियत है। यह फर्ज इबादत का दर्जा रखता है। यही कारण है कि कोई मुसलमान बिना किसी वजह के रोजा छोडऩा मुनासिब नहीं समझता। पूरा प्रयास होता है कि रोजा रखा जाए और यह पूरा भी हो। मौलाना मोहम्मद मुबारक हुसैन, इमाम मस्जिद ए आयशा, अलीनगर वासेपुर के मौलाना मो. मुबारक हुसैन बताते हैं कि कुरान शरीफ और हदीस में बताया गया है कि आदमी अल्लाह के लिए रोजा रखता है। तो उसे उसके अगले पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
रमजान में लोग इबादत में मशगूल हो जाते हैं, रमजान पर अल्लाह के प्यारे नबी मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम) ने फरमाया के जिस आदमी ने रमजान का महीना पाया और अपने गुनाहों की मगफिरत और बक्शीश ना करवा ले उस व्यक्ति के लिए बर्बादी है। उन्होंने बताया कि पूरे मुल्क मे लॉकडाउन की स्थिति है। लोग अपने-अपने घरों में ही तरावीह की नमाज कायम करें। चाहे सुरा तरावीह की शक्ल में हो, या पूरी कुरान की शक्ल में हो, लेकिन अपने अपने घरों में ही नमाज का इंतजाम करें।