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अलकुसा डिपो में 26 जनवरी को होगा झंडोत्तोलन या फिर संघर्ष Dhanbad News

अलकुसा में आउटसोर्सिंग के तहत चल रहे उत्खनन कार्य पर वर्चस्व स्थापित करने को लेकर भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या हो चुकी है। एब बार फिर यहां संघर्ष की स्थिति बन रही है। तरफ जनता मजदूर संघ छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो चुके बंटी सिंह हैं।

By Atul SinghEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 12:15 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 12:15 PM (IST)
अलकुसा डिपो में 26 जनवरी को होगा झंडोत्तोलन या फिर संघर्ष Dhanbad News
जनता मजदूर संघ छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो चुके बंटी सिंह हैं। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन : अलकुसा में आउटसोर्सिंग के तहत चल रहे उत्खनन कार्य पर वर्चस्व स्थापित करने को लेकर भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या हो चुकी है। एब बार फिर यहां संघर्ष की स्थिति बन रही है। इस बार एक तरफ जनता मजदूर संघ छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो चुके बंटी सिंह हैं तो दूसरी तरफ झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह हैं। वर्तमान में झामुमो ने बंटी स‍िंंह को अपने मजदूर संगठन झारखंड कोल‍ियरी मजदूर यून‍ियन की कमान दी है।   संघर्ष होने की संभावना 26 जनवरी को है। अलकुसा डिपो में मजदूरों की ओर से झंडोत्तोलन का कार्यक्रम रखा गया है। इसमें जनता मजदूर संघ ने रागिनी सिंह को आमंत्रित किया है, जबकि दूसरी ओर झामुमो और इसका मजदूर संगठन झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने भी झंडोत्तोलन की तैयारी की है। ऐसे में यहां सघर्ष होने की पूरी संभावना है। इस संघर्ष की संभावना को देखते हुए अलकुसा डिपो पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी की ओर से निषेधज्ञा लगा दिया गया है।

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जमसं छोड़ झामुमो से जोड़ा नाता : बंटी सिंह का संबंध जनता मजदूर संघ और सिंह मेंशन से पुराना रहा है। अलकुसा में जनता मजदूर संघ को स्थापित करने में बंटी सिंह के पिता सारंगधर सिंह उर्फ मुन्ना सिंह का अहम योगदान रहा है। स्व. सूर्यदेव सिंह के समय से ही मुन्ना सिंह ने यूनियन का कार्यकरते रहे। बीते 45 सालों में जनता मजदूर संघ से अलग नहीं हुए। यही कारण है कि वे संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष हैं। बंटी सिंह इन्हीं के पुत्र हैं। बंटी सिंह ने भी पहले जनता मजदूर का साथ दिया, लेकिन कुछ विवादों के कारण वे अब झामुमो के साथ हो चुके हैं।

यूपी के बाहूबली का साथ : कभी सिंह मेंशन के करीब रहे यूपी के एक बाहूबली का साथ इन दिनों बंटी सिंह को मिला है। बंटी सिंह का इस बाहूबली के साथ पारिवारिक रिश्ता है। माना जा रहा है कि आउटसोर्सिंग के वर्चस्व में अपरोक्ष रूप से इस बाहूबली की भी इंट्री हो चुकी है। ऐसे में इस 26 जनवरी को झंडोत्तोलन के दौरान यदि दोनों गुटों का जमावड़ा होता है तो संघर्ष की संभावना प्रबल हो रही है।


दोनों संगठनों ने ठोकी ताल : जनता मजदूर संघ असंगठित मजदूर कुंती सिंह गुट की ओर से गोधर के गोलू रवानी को पर्यवेक्षक बनाया गया है। गोलू रवानी का नाम भाजपा नेता सतीश सिंह हत्या कांड में आया था और पुलिस ने पूछताछ की थी। इधर गोलू की ओर से झंडोत्तोलन की तैयारी की गइ है, वहीं बंटी सिंह ने भी डिपो में झंडा फहराने की योजना बना चुके हैं। एक ही जगह पर दोनों गुटों का जमावड़ा संघर्ष को जन्म देने के लिए काफी है। बंटी सिंह ने कहा कि कार्यक्रम मजदूरों का है। मजदूर झंडोत्तोलन करें तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन शक्ति प्रदर्शन का जवाब दिया जाएगा।  


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