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आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने सौंपी रिपोर्ट, कहा- मुगमा-थापानगर रेल लाइन के बीच भूधंसान का खतरा

आशीष अंबष्ठ धनबाद मुगमा-थापरनगर के समीप हुई भूधंसान की जांच करने पहुंची आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट ईसीएल प्रबंधन को सौंप दी है। टीम ने रेल लाइन पर भूधंसान का खतरा बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई जगह जमीन खोखली हो गई है। इसलिए इसकी भराई करना बेहद जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 06:05 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 06:05 AM (IST)
आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने सौंपी रिपोर्ट, कहा- मुगमा-थापानगर रेल लाइन के बीच भूधंसान का खतरा
आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने सौंपी रिपोर्ट, कहा- मुगमा-थापानगर रेल लाइन के बीच भूधंसान का खतरा

आशीष अंबष्ठ, धनबाद :

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हावड़ा-नई दिल्ली ग्रैंड कोड लाइन के मुगमा-थापरनगर रेल लाइन के नीचे कई जगह जमीन खोखली है। अगर समय रहते भराई नहीं की गई तो रेल लाइन पर भूधंसान की घटना घट सकती है। आइआइटी खड़गपुर की 20 सदस्यीय टीम ने 30 जुलाई को ईसीएल मुगमा प्रबंधन को सौंपी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि थापरनगर मुगमा रेलवे क्रासिग के पास गांव के नीचे, खुदिया नदी के समीप कोलियरी पीट के 30 मीटर के दायरे में, थापरनगर स्टेशन के 50 मीटर पूर्व दिशा जमीन के अंदर, मुगमा पिट के नीचे भी जमीन खाली है। टीम ने रेल लाइन के 1.5 किमी के दायरे में 50 मीटर दोनों तरफ वैज्ञानिक अध्ययन किया था। इन जगहों के अलावा कई और ऐसे स्थान हैं, जहां जमीन खाली है। इस रिपोर्ट को प्रो. समीर पाल ने अपनी टीम के साथ तैयार किया है।

13 माह पहले हुई थी घटना :

11 जून 2020 को थापरनगर व मुगमा के बीच रेल लाइन किनारे श्यामपुर गांव के समीप जमीन धंस गई थी। भू-धंसान से थापरनगर से एमपीएल के बीच बिछाई जा रही रेलवे लाइन का आधा हिस्सा व दो सिग्नल केबिन के पास लगभग 10 फीट जमीन धंस गई थी। भूधंसान की स्थिति को देखते हुए खान सुरक्षा महानिदेशालय ने इसकी वैज्ञानिक जांच कराने का निर्देश ईसीएल प्रबंधन को दिया था। वर्क प्लान में रेल लाइन के नीचे करीब 50 से सौ मीटर भूमिगत खदान संचालित थी। ईसीएल निदेशक तकनीकी की टीम अब करेगी रिपोर्ट पर अध्ययन :

आइआइटी खड़गपुर द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद अब इसका अध्ययन ईसीएल प्रबंधन करेगी। ताकि रिपोर्ट के अनुसार इसपर काम किया जा सके। अध्ययन टीम में तकनीकी निदेशक बी वीरा रेड्डी, जीएम सेफ्टी मुख्यालय नरेश कुमार, जीएम मुगमा सीबी सिंह, एरिया सेफ्टी अफसर यू चौधरी शामिल हैं।

भराई में लग सकते हैं दस करोड़ रुपये :

भूधंसान न हो इसके लिए भराई करना जरूरी है। इसके लिए ईसीएल प्रबंधन द्वारा निविदा निकाली जाएगी। रेल लाइन को आगे खतरा न हो, इसके लिए एक्सपर्ट कांट्रेक्टर को काम दिया जाएगा। मुख्यालय से दिशा निर्देश मिलते ही इस्टीमेट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी। वर्जन :

आइआइटी खड़गपुर टीम ने मुगमा- थापरनगर रेल लाइन भूधंसान से संबंधित फाइनल रिपोर्ट सौंप दी है। ईसीएल प्रबंधन भी रिपोर्ट पर अध्ययन कर रही है। जमीन खोखली है, लेकिन जबतक पूरी तरह से रिपोर्ट का अध्ययन नहीं कर लिया जाता तबतक स्पष्ट रुप से कुछ कहा नहीं जा सकता। -

सीबी सिंह, महाप्रबंधक मुगमा एरिया, ईसीएल


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