जिन पर संक्रमण रोकने की जिम्मेवारी वही बन रहे वाहक
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई एहतियातन कदम उठाए। साथ ही सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति 50 प्रतिशत कर दी। इसके अलावा मास्क का उपयोग सभी के लिए आपदा कानून के तहत अनिवार्य कर दिया था। लेकिन समाहरणालय परिसर में ही इसका उल्लघंन किया जा रहा है। सोमवार को हमारी पड़ताल में कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति तो कम थी ही साथ ही उपस्थित अधिकांश कर्मचारियों के चेहरे से मास्क भी गायब था।

जागरण संवाददाता, धनबाद: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई एहतियातन कदम उठाए। साथ ही सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति 50 प्रतिशत कर दी। इसके अलावा मास्क का उपयोग सभी के लिए आपदा कानून के तहत अनिवार्य कर दिया था। लेकिन समाहरणालय परिसर में ही इसका उल्लघंन किया जा रहा है। सोमवार को हमारी पड़ताल में कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति तो कम थी ही, साथ ही उपस्थित अधिकांश कर्मचारियों के चेहरे से मास्क भी गायब था। जिन्होंने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे उनके मास्क भी नाक और मुंह से नीचे की ओर थे। अब ऐसे में जिला प्रशासन का कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने का दावा महज कागजी ही साबित होता दिख रहा है। पूछे जाने पर कर्मचारियों ने नाम बताने से परहेज किया, लेकिन मास्क नहीं पहनने के उनके तर्क काफी मनोरंजक थे। किसी ने कहा कि पान मसाला खाने के बाद थूकने में परेशानी होती है, तो किसी ने तर्क दिया कि आगंतुकों से संवाद करने में परेशानी आती है। हालांकि आगंतुकों का आवागमन इस दौरान कार्यालयों में न के ही बराबर दिखा। सबसे बुरी स्थिति समाज कल्याण विभाग और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की थी। आपूर्ति विभाग में कायार्लय में शायद ही किसी के चेहरे पर मास्क देखने को मिला। समाज कल्याण विभाग में उपस्थित दस लोगों में से महज दो लोगों ने ही मास्क पहन रखा था। वहीं अन्य कैमरे को देखते हुए जेब से मास्क निकालकर पहनने लगे। यह लापरवाही तब है जब समाहरणालय में कार्यरत एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारी पिछले सप्ताह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इस बारे में पूछे जाने पर उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि आपके ही माध्यम से इस तरह की लापरवाही का पता चला है। इस तरह की लापरवाही किसी भी स्तर पर माफी योग्य नहीं है। इसकी जल्द ही जांच करा कर दोषियों पर कारवाई की जाएगी।
Edited By Jagran