विधानसभा में उठेगा धनबाद नगर निगम से राजस्व गांवों को अलग करने का मामला
झरिया धनबाद नगर निगम के गठन के समय वर्ष 2010 में झरिया व धनबाद के राजस्व गांवों को मिलाने का विरोध एक बार फिर शुरू हो गया है। पंचायत बचाओ संघर्ष समिति ने नगर निगम के खिलाफ फिर से आंदोलन तेज कर दिया है। मंगलवार को पंचायत बचाओ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष कार्तिक तिवारी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल की सचेतक सह झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह व झामुमो के टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो से मुलाकात की।
जासं, झरिया : धनबाद नगर निगम के गठन के समय वर्ष 2010 में झरिया व धनबाद के राजस्व गांवों को मिलाने का विरोध एक बार फिर शुरू हो गया है। पंचायत बचाओ संघर्ष समिति ने नगर निगम के खिलाफ फिर से आंदोलन तेज कर दिया है। मंगलवार को पंचायत बचाओ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष कार्तिक तिवारी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल की सचेतक सह झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह व झामुमो के टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो से मुलाकात की। आगामी नगर निगम चुनाव से पूर्व निगम से राजस्व गांवों को मुक्त कराने के लिए विधानसभा में मामला उठाकर प्रस्ताव पारित कराने की मांग की। विधायक द्वय ने सप्ताह के अंत तक सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में समिति के सचिव भीम महतो, कृष्णा महतो, दुर्गा चरण मरांडी, राजन महतो, रमेश रजक, मो. जावेद, मो. इम्तियाज, झामुमो के मदन राम आदि थे। नगर निगम में राजस्व गांवों को जबरन शामिल किया गया :
पंचायत बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष कार्तिक तिवारी ने कहा कि 10 साल पहले धनबाद नगर निगम गठन के समय आबादी दिखाने के लिए झरिया व धनबाद के राजस्व गांव को भी जबरन शामिल कर लिया गया। ग्रामीणों के पुरजोर विरोध के बाद भी सरकारी तंत्र ने मनमानी की। नतीजा यह हुआ कि ग्रामीणों को गांव के टैक्स की अपेक्षा कई गुना अधिक नगर निगम टैक्स का बोझ लाद दिया गया। ग्रामीण गांवों में मिलने वाली सरकारी सुविधा से वंचित रह गए हो गए। जबकि आज भी झरिया के जोड़ापोखर, डुमरी, सिरगुजा, हेट कांडरा, मोहलबनी, भौंरा, जीतपुर, जामाडोबा आदि इलाके में खेती की जा रही है। शिविर में भी ग्रामीणों की नहीं सुनी गई थी बात, हुआ था हंगामा :
झरिया के राजस्व गांवों में रहने वाले ग्रामीणों की समस्याओं व बातों को सुनने के लिए प्रशासन, नगर निगम की ओर से शुरू में जोड़ापोखर क्षेत्र में शिविर भी लगाया गया था। इसमें भी ग्रामीणों की राजस्व गांवों को अलग करने की मांग नहीं सुनी गई। ग्रामीणों ने कुर्सियां तोड़कर हंगामा किया था।