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परिवार स्वास्थ्य मेला में खराब प्रदर्शन पर मुख्यालय ने जताई नाराजगी, 15 दिन के स्वास्थ्य मेला में एक भी नसबंदी नहीं

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक से 14 जुलाई के बीच धनबाद में परिवार स्वास्थ्य मेला पखवारा का आयोजन किया गया लेकिन इस मेले में बेहद खराब प्रदर्शन की वजह से धनबाद के पदाधिकारियों को फटकार लगी है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 04:40 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 04:40 PM (IST)
परिवार स्वास्थ्य मेला में खराब प्रदर्शन पर मुख्यालय ने जताई नाराजगी, 15 दिन के स्वास्थ्य मेला में एक भी नसबंदी नहीं
मुख्यालय रांची ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक से 14 जुलाई के बीच धनबाद में परिवार स्वास्थ्य मेला पखवारा का आयोजन किया गया, लेकिन इस मेले में बेहद खराब प्रदर्शन की वजह से धनबाद के पदाधिकारियों को फटकार लगी है। इसके साथ ही लक्ष्य प्राप्ति की चेतावनी मुख्यालय के अधिकारियों ने दी है।

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जानकारी के अनुसार, 15 दिनों के विशेष स्‍वास्‍थ्‍य मेला पखवारा में विभाग को नसबंदी कराने के लिए एक भी लाभुक नहीं मिल सका है। वहीं बंध्याकरण के मात्र 13 ऑपरेशन हो पाए हैं। यही वजह है कि मुख्यालय रांची ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

किसी भी प्रखंड के प्रभारी ने परिवार नियोजन में नहीं ली दिलचस्पी

स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित परिवार स्वास्थ्य मेला पखवारा की पूरे जिले में धूमधाम से शुरुआत की गई। हालांकि 14 जुलाई तक नसबंदी और बंध्‍याकरण के मामलों में तेजी नहीं आने पर इस मेले की अवधि बढ़ा कर 31 जुलाई तक कर दी गई। इसके बावजूद जिले की उपलब्धि बेहद खराब रही। धनबाद प्रखंड के किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने परिवार नियोजन को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई। यही वजह है कि केंद्रों तक लाभुक नहीं पहुंच पाए। वहीं मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कुछ डॉक्टरों के श्रावणी मेले में जाने की वजह से भी परेशानी हुई है।

5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो गए रकम

परिवार स्वास्थ्य मेला पखवारा से पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता रथ रवाना किया गया। इसके बाद 11 से 24 जुलाई तक सभी प्रखंडों में अलग से टेंट लगाकर शिविर लगाया गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस पर लगभग पांच लाख रुपये से ज्यादा की रकम खर्च कर दी गई, लेकिन जिले की उपलब्धि पर कोई असर नहीं पड़ा। इस संबंध में जिले के नवपदस्‍थापित सिविल सर्जन डॉक्‍टर आलोक विश्वकर्मा ने कहा कि उन्होंने अभी-अभी ही पदभार ग्रहण किया है। उन्‍होंने कहा कि जहां भी कमियां हैं, उसे दूर की जा रही हैं।


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