निगम में शामिल होकर भी नहीं बदली चंदौर बस्ती की किस्मत
संवाद सहयोगी तेतुलमारी कहने को नगर निगम लेकिन सुविधा पंचायत जैसा भी नहीं। कुछ ऐसा ही
संवाद सहयोगी, तेतुलमारी: कहने को नगर निगम, लेकिन सुविधा पंचायत जैसा भी नहीं। कुछ ऐसा ही नजारा है धनबाद नगर निगम के वार्ड संख्या चार के अंतर्गत आनेवाली पांडेडीह चंदौर बस्ती की। इस बस्ती की आबादी तीन हजार से अधिक की है। सभी नालियां जर्जर हैं। उसका गंदा पानी रास्ते पर बहता रहता है। सफाई की नियमित व्यवस्था नहीं है। गांव की सड़क की हालत भी जर्जर है। स्ट्रीट लाइट भी नहीं लगी है। 12 वर्ष पूर्व जब देखा जाए तो स्थिति इससे अच्छी थी। लोग जी खा लेते थे। नगर निगम हो जाने से लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। नगर निगम से मिलनेवाली सुविधाओं का घोर अभाव है। कोयला उत्खनन के लिए बीसीसीएल ने रैयतों की जमीन को नष्ट कर दिया। इससे खेती बंद हो गई है। 12 वर्ष पूर्व ऐसी स्थिति नहीं थी। कम से कम लोगों को खेती कर उपजा लेते थे। नगर निगम बनने से लोगों को लाभ नहीं मिल पाया है। इस गांव में कुछ लोगों को है पीएम आवास योजना का लाभ मिला है, लेकिन जिसे जरूरी है उसे नहीं मिल पाया है। जिससे ग्रामीण नगर निगम का विरोध कर रहे हैं।
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नालियों में गंदगी भरी हुई है। कभी भी दवा का छिड़काव या फागिग मशीन नहीं चलाई जाती है। गंदगी से संक्रामक बीमारी फैलने की संभावना बनी रहती है। नगर निगम से मिलने वाली सुविधा लोगों को नहीं मिल रही हैं।
प्रमोद वर्मा, चंदौर बस्ती निवासी
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पहले पंचायत के अधीन थे। वहीं हम लोगों के लिए बेहतर था। गांव की सड़क जर्जर हालत में है। नाली भी जगह-जगह टूटी हुई है। सफाई कर्मी भी नहीं आते हैं। निजी स्तर से नाली की सफाई करनी पड़ती है।
बिगन वर्मा, चंदौर बस्ती निवासी।
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नगर निगम में शामिल होने के बाद हम लोग की बस्ती में विकास कार्य नहीं हुआ है, जबकि अन्य जगहों पर काफी विकास हुआ है। अन्य जगहों पर सड़क, नाली, चबूतरा आदि कार्य की झड़ी लगी है। इससे बेहतर तो पंचायती राज में ही था।
विश्वनाथ आचार्य, चंदौर निवासी
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नगर निगम द्वारा यहां सफाई कर्मी को अन्य जगहों पर काम लगा दिया जाता है। जिससे घरों के सामने नाली गंदगी से बजबजाती रहती है। संक्रामक बीमारी फैलने की संभावना बनी रहती है। इससे अच्छा तो 12 वर्ष पूर्व में था।
बिरजू बाउरी, चंदौर बस्ती