Dumka: मलूटी में मंदिरों के जीर्णाेद्धार का मार्ग दोबारा होगा प्रशस्त, पर्यटन सचिव मलूटी पहुंच पूरी स्थिति का लिए जायजा
झारखंड की उपराजधानी दुमका में पर्यटन को बढ़ावा देने और इसके जरिए रोजगार का अवसर सृजित करने की पहल आने वाले दिनों में तेज होगी। गुरुवार को दुमका पहुंचे पर्यटन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने इसके संकेत दिए हैं।
जागरण टीम, दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में पर्यटन को बढ़ावा देने और इसके जरिए रोजगार का अवसर सृजित करने की पहल आने वाले दिनों में तेज होगी। गुरुवार को दुमका पहुंचे पर्यटन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने इसके संकेत दिए हैं। वे दुमका पहुंचने के बाद सीधे शिकारीपाड़ा प्रखंड में स्थित मंदिरों का गांव मलूटी पहुंचे और यहां के ऐतिहासिक धरोहरों का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने यहां के ग्रामीणों से बातचीत कर यहां के आर्थिक व सामाजिक ताना-बाना को भी समझने की कोशिश की। सचिव अमिताभ कौशल ने मलूटी गांव में विराजमान टेराकोटा कलाकृति से बनाए गए मंदिरों का अवलोकन किया और इसके जीर्णाेद्धार के लिए हो रहे कार्यों के बारे में अद्यतन जानकारी हासिल की।
उन्होंने मौके पर मौजूद दुमका के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला से कहा कि मंदिरों के जीर्णाेद्धार से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी दी जाए। साथ उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि यहां के स्थानीय समिति व ग्रामीणों से बातचीत कर उनसे यह जानकारी लिया जाए कि यहां के मंदिरों का जीर्णाेद्धार किस तर्ज पर कराया जाए। कहा कि इससे संबंधित रिपोर्ट तीन दिन में विभाग को सौंपा जाए ताकि उस दिशा में अग्रतर पहल हो सके। इस दौरान उन्होंने गांव का भ्रमण कर मंदिरों के संरक्षण के लिए पूर्व में किये जा रहे कार्यों को भी गंभीरता से समझने की कोशिश की। टेराकोटा कलाकृति का भी अवलोकन किया।
इससे पूर्व पर्यटन सचिव जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मसानजोर पहुंच कर यहां के डैम का अवलोकन किया। वे यहां सिंचाई प्रमंडल के मयूराक्षी भवन का भी निरीक्षण करने पहुंचे और यहां के गेस्ट हाउस की छत से मसानजोर डैम के विहंगम दृश्यों का अवलोकन किया। इस मौके पर पर्यटन विकास निगम की प्रबंध निदेशक आर.रानिटा, निदेशक नितिश कुमार सिंह, दुमका के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, शिकारीपाड़ा के बीडीओ संतोष कुमार समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
आइटीआरएचडी के काम पर ग्रामीणों ने जताई थी आपत्ति
मलूटी के मंदिरों के जीर्णाेद्धार का काम आटीआरएचडी के माध्यम से कराया जा रहा था लेकिन कराए जा रहे कार्यों पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए इसकी शिकायत केंद्र व राज्य सरकार के अलावा उच्च न्यायालय में की थी। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में कार्य कराने वाली एजेंसी मंदिरों के मूल स्वरूप व टेराकोटा शैली को बचाने में विफल रही है। अगर मंदिर का मूल स्वरूप व टेराकोटा शैली ही नहीं बचेगा तो मंदिरों की अक्षुण्णता ही खत्म हो जाएगा। यहां के ग्रामीणों ने मांग कि है की जिस एजेंसी को कार्य दिया गया है वह टेराकोटा शैली में ही कार्य को पूर्ण कराए।अगर ऐसा नहीं होता है तो विरोध किया जाएगा। ऐसे में पर्यटन सचिव अमिताभ कौशल का मलूटी भ्रमण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके आगमन से यह भी उम्मीद जगी है कि बंद पड़ा जीर्णाेद्धार का काम दोबारा शुरू हो सकेगा।