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Positive India: शिक्षक पूरी कायनात बदल सकते हैं ! यकीन नहीं तो बनकाठी में आकर देख लीजिए

बनकाठी के गरीब-आदिवासी छात्रों और उनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण एक नई तरह की समस्या आन पड़ी। विद्यालय के छात्रों तक कंटेंट पहुंच नहीं पा रहा था।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 08:49 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 06:51 AM (IST)
Positive India: शिक्षक पूरी कायनात बदल सकते हैं ! यकीन नहीं तो बनकाठी में आकर देख लीजिए
Positive India: शिक्षक पूरी कायनात बदल सकते हैं ! यकीन नहीं तो बनकाठी में आकर देख लीजिए

दुमका [ जागरण स्पेशल ]। हर युग में शिक्षक की महती भूमिका रही है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है। कोरोना काल में भी शिक्षक अपनी भूमिका को साबित कर रहे हैं। वह जो कर रहे हैं उसका संदेश साफ है। वह चाहें तो पूरी कायनात को बदल सकते हैं। जिन्हें विश्वास नहीं झारखंड के सबसे पिछड़े आदिवासी बहुल संताल परगना प्रमंडल के दुमका जिले के बनकाठी गांव में आकर देख सकते हैं। उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बनकाठी के शिक्षकों ने स्मार्टफोन के माध्यम से ऑनलाइन क्लास का तोड़ निकाल डाला है। स्मार्टफोन नहीं होने से दुखी छात्र-छात्राएं खुशी-खुशी लाउडस्पीकर से पढ़ाई कर रहे हैं। यह आइडिया छात्र, शिक्षक और अभिभावकों-सभी को भा रहा है। 

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Digi SATH क्लास शुरू होने से चिंतित थे गरीब-आदिवासी छात्र 

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च, 2020 को लॉकडाउन हुआ। इसके बाद स्कूल-कॉलेज बंद हो गए। पढ़ाई को जारी रखने के लिए स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई। झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई सुनिश्चित कराने के लिए शिक्षा परियोजना परिषद ने Digi SATH कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके तहत विद्यालय स्तर पर शिक्षक और अभिभावक का वाट्सएप ग्रुप बनाया गया ताकि परिषद द्वारा मुहैया कराए गए कंटेंट को छात्रों तक पहुंचाया जा सके। लेकिन बनकाठी के गरीब-आदिवासी छात्रों और उनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण एक नई तरह की समस्या आन पड़ी। विद्यालय के छात्रों तक कंटेंट पहुंच नहीं पा रहा था। इसके बाद शिक्षकों के दिमाग में एक आइडिया आया। शिक्षकों ने लाउडस्पीकर से पढ़ाना शुरू कर दिया। यह अनूठी पहल की हर जहर चर्चा हो रही है। 

 

246 छात्रों में महज 42 के पास स्मार्टफोन

बनकाठी उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुमका जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां कक्षा 8 तक की पढ़ाई होती है। Digi SATH कार्यक्रम की शुरूआत होने के बाद सभी के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण विद्यालय के छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। स्कूल के 246 छात्रों में मात्र 42 के पास ही स्मार्टफोन थे। इस कारण 200 से ज्यादा छात्र पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। इसके मद्देनजर लाउडस्पीकर से पढ़ाने की अनूठी पहल शुरू की गई। इस पहले को शुरू करने में विद्यालय के सहायक शिक्षक दीपक कुमार दुबे की खास भूमिका रही। 16 अप्रैल से हर दिन लाउडस्पीकर से दो घंटे पढ़ाया जाता है। शिक्षक गांव के मध्य किसी ऊंचे स्थान, सड़क या पेड़ के नीचे लाउडस्पीकर रखकर क्लास लेते हैं। बच्चे अपने-अपने घरों या फिर पेड़ की छांव में बैठकर सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई करते हैं। 

 

बनकाठी पोषक क्षेत्र के सभी गांव-मोहल्ले तक पहुंची यह पहल

बनकाठी पोषक क्षेत्र के तहत बनकाठी, बेरियापाड़ा, काशीपाड़ा और केनबाद में लाउडस्पीकर से पढ़ाया जा रहा है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा भेजे गए कंटेट को छात्रों को लाउडस्पीकर के जरिए सुनाया जाता है। सुनकर छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई का यह तरीका छात्रों को खूब भा रहा है। विद्यालय की सातवीं की छात्रा रीना बताती है-किताब भी नहीं मिली थी। घर पर बैठे-बैठे मन नहीं लगता था। ऐसी स्थित में पढ़ाई का यह तरीका काफी मजेदार है। नया तरीका होने के कारण काफी आकर्षक भी है। स्कूल में जो छात्र नहीं आते थे वे भी लाउडस्पीकर से पढ़ने के लिए आते हैं। कक्षा सातवीं की छात्रा मनीषा मरांडी ने बताया कि उन्हें बिना किसी कठिनाई के क्लास करने और सीखने को मिल रहा।

 

100 फीसद तक छात्र-छात्रों की उपस्थिति

बनकाठी उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर गांधी बताते हैं कि विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। वे बच्चों को 8-10 हजार रुपये का स्मार्टफोन खरीद कर नहीं दे सकते हैं। देश के कई स्थानों से ऐसी खबरें आईं कि ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन नहीं होने से दुखी होकर बच्चों ने आत्महत्या की। इसके बाद हमने स्कूल के शिक्षकों के साथ बैठकर विचार-विमर्श किया। लाउडस्पीकर से पढ़ाने की योजना बनाई गई। इसके बाद माइक्रोफोन के जरिए लाउडस्पीकर के नेटवर्क को जोड़कर क्लास शुरू कर दी गई। गांधी को सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि लाउडस्पीकर के जरिए क्लास को लेकर छात्रों में काफी रोमांच है। अधिकांश दिनों में क्लास में छात्रों की उपस्थिति 100 फीसदी के करीब रहती है। 

छात्रों के सवालों का अगले दिन मिलता उत्तर

लाउडस्पीकर से पढ़ाई वनवे नहीं है। छात्रों के सवालों का उत्तर भी दिया जाता है। प्रधानाध्यापक गांधी बताते हैं-छात्रों से कह दिया गया है कि किसी प्रकार का कोई संदेह होने पर वे प्रश्न पूछ सकते हैं। सबको शिक्षकों का मोबाइल नंबर दिया गया है। जिन छात्रों के पास मोबाइल नहीं है वे दूसरे के मोबाइल से फोन कर सवाल पूछ सकते हैं। अगले दिन शिक्षक सवालों का जवाब देते हैं। छात्रों को समझाते हैं। उन्होंने बताया कि गांव में किसी ने भी अभी तक लाउडस्पीकर के जरिए साइंस, गणित, भूगोल या दूसरे विषयों की पढ़ाई को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं की है। पढ़ाई का स्थान भी समय-समय पर बदलता रहता है। किसी-किसी दिन छात्रों के घर में ही स्कूल लगता है। इससे छात्र और अभिभावक दोनों उत्साहित होते हैं। 


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