Move to Jagran APP

आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी से भड़के ग्रामीणों ने शिक्षक को पीटा

विदाई समारोह पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी करनेवाले शिक्षक को ग्रामीणों को शिक्षकों ने पीटा

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 09:51 PM (IST)
आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी से भड़के ग्रामीणों ने शिक्षक को पीटा
आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी से भड़के ग्रामीणों ने शिक्षक को पीटा

संस, निरसा: ब्लोसम स्कूल में दसवीं के विद्याíथयों के विदाई समारोह पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान चुरईनाला प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चितरंजन गोप ने कविता के माध्यम से आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी की थी। इससे आक्रोशित आदिवासी युवकों ने अगले दिन स्कूल पहुंचकर शिक्षक की पिटाई कर दी। निरसा पुलिस ने घायल शिक्षक को सीएचसी ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया। हालांकि इस संबंध में किसी भी पक्ष ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यह है मामला

loksabha election banner

घटना के बारे में चुराईनाला के ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार को बेलचढी स्थित ब्लोसम स्कूल में विदाई समारोह था। उस स्कूल में हमारे गांव के भी काफी बच्चे पढ़ते हैं। उनके अभिभावक विदाई समारोह में गए हुए थे। वहां चुराईनाला प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चितरंजन गोप ने अपनी कविता में कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग आज भी सांप, चूहा व घोंघा खाते हैं। इससे वहां मौजूद आदिवासी समुदाय के विद्यार्थी व अभिभावकों की भावनाएं आहत हुई।

विदाई समारोह में कोई खलल न पड़े इसलिए लोग वहां से चुपचाप वापस आ गए। बुधवार को जब गांव में प्रधानाध्यापक पहुंचे तो लोगों ने पूछा कि आप आदिवासियों के खान-पान के बारे में क्या जानते हैं? इस तरीके से उनकी इज्जत को क्यों उछला? इसी बात पर वे तकरार करने लगे। इससे आक्रोशित युवकों ने उनके साथ धक्कामुक्की की। ------------------

आदिवासी अस्मिता पर हमला करने का किसी को अधिकार नहीं है। शिक्षक द्वारा की गई हरकत अन्यायपूर्ण है।

शिवलाल सोरेन, झामुमो नेता --------------------

मैंने कविता व कहानी पाठ के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया था कि सरकार विकास के दावे कर रही है। परंतु आज भी आदिवासी समुदाय के लोग गरीबी भरी ¨जदगी जी रहे हैं। उन्हें समुचित मात्रा में खाद्य पदार्थ नहीं मिलने के कारण हुए लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। परंतु आदिवासी समुदाय के लोगों ने इसका गलत अर्थ लगा लिया।

चितरंजन गोप, प्रधानाध्यापक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.