आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी से भड़के ग्रामीणों ने शिक्षक को पीटा
विदाई समारोह पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी करनेवाले शिक्षक को ग्रामीणों को शिक्षकों ने पीटा
संस, निरसा: ब्लोसम स्कूल में दसवीं के विद्याíथयों के विदाई समारोह पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान चुरईनाला प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चितरंजन गोप ने कविता के माध्यम से आदिवासियों के खानपान पर टिप्पणी की थी। इससे आक्रोशित आदिवासी युवकों ने अगले दिन स्कूल पहुंचकर शिक्षक की पिटाई कर दी। निरसा पुलिस ने घायल शिक्षक को सीएचसी ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया। हालांकि इस संबंध में किसी भी पक्ष ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यह है मामला
घटना के बारे में चुराईनाला के ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार को बेलचढी स्थित ब्लोसम स्कूल में विदाई समारोह था। उस स्कूल में हमारे गांव के भी काफी बच्चे पढ़ते हैं। उनके अभिभावक विदाई समारोह में गए हुए थे। वहां चुराईनाला प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चितरंजन गोप ने अपनी कविता में कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग आज भी सांप, चूहा व घोंघा खाते हैं। इससे वहां मौजूद आदिवासी समुदाय के विद्यार्थी व अभिभावकों की भावनाएं आहत हुई।
विदाई समारोह में कोई खलल न पड़े इसलिए लोग वहां से चुपचाप वापस आ गए। बुधवार को जब गांव में प्रधानाध्यापक पहुंचे तो लोगों ने पूछा कि आप आदिवासियों के खान-पान के बारे में क्या जानते हैं? इस तरीके से उनकी इज्जत को क्यों उछला? इसी बात पर वे तकरार करने लगे। इससे आक्रोशित युवकों ने उनके साथ धक्कामुक्की की। ------------------
आदिवासी अस्मिता पर हमला करने का किसी को अधिकार नहीं है। शिक्षक द्वारा की गई हरकत अन्यायपूर्ण है।
शिवलाल सोरेन, झामुमो नेता --------------------
मैंने कविता व कहानी पाठ के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया था कि सरकार विकास के दावे कर रही है। परंतु आज भी आदिवासी समुदाय के लोग गरीबी भरी ¨जदगी जी रहे हैं। उन्हें समुचित मात्रा में खाद्य पदार्थ नहीं मिलने के कारण हुए लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। परंतु आदिवासी समुदाय के लोगों ने इसका गलत अर्थ लगा लिया।
चितरंजन गोप, प्रधानाध्यापक