Weekly News Roundup Dhanbad: गली चौबारे... लो कर लो बात ! इनको चाहिए डंडा
भूली। श्रमिक नगरी के नाम से चर्चित। कई इलाके दो वार्ड में आते हैं- 15 और 16। दोनों इस समय चर्चा में है। इसके कारण कई हैं। मेरे वार्ड को क्यों कम फंड मिला उस वार्ड से निगम को अधिक।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। धनबाद नगर निगम। यहां के सभी अंचलों में सफाई के लिए कर्मी तैनात हैं। हालांकि रैमकी एजेंसी ने जब से सफाई का जिम्मा संभाला, उसके बाद इनकी संख्या में अप्रत्याशित तरीके से कटौती कर दी गई। बचे हुए सफाईकर्मी इस समय बेहद परेशान हैं। सफाई में प्रयोग होने वाली सामग्री (कुदाल, गैंता, झाड़ू आदि) भी इनके पास नहीं है। सफाईकर्मी कहते हैं कि झाड़ू तो खरीद लेंगे, लेकिन इसमें लगाने के लिए डंडा कहां से लाएं। ऐसा-वैसा डंडा तो लगता नहीं कि इधर-उधर से ले लेंगे या पेड़ से तोड़ लेंगे। इसकी लाठी ही अलग होती है, जिसके लिए अच्छा खास शुल्क चुकाना पड़ता है। न झाड़ू के लिए पैसा है और न ही डंडे के लिए। एक तो 26 दिन काम करवाया जाता है और इसके एवज में 18 से 22 दिन का ही भुगतान होता है। ऐसे में सफाई सामग्री खरीदें भी तो कैसे?
कार्ड नहीं, पहले घर
जिले में 3978 स्ट्रीट वेंडर (फुटपाथ दुकानदार) हैं। इनमें से 3261 को पहचान कार्ड जारी किया गया था। इसके पीछे नजरिया यही था कि जब भी वेंडिंग जोन बने, तो इनकी पहचान हो सके। स्थिति ऐसी है कि इनमें 80 फीसद स्ट्रीट वेंडरों का आइडी होना न होना बराबर है। इसका कारण आइडी में त्रुटि है। यह त्रुटि आज की नहीं बल्कि एक साल से है। नगर निगम इसमें सुधार तो नहीं कर सका, अलबत्ता इन वेंडरों के लिए क्यूआर कोड युक्त स्मार्ट कार्ड देने की घोषणा जरूर कर दी। नगर निगम का मानना है कि इस स्मार्ट कार्ड से फुटपाथ दुकानदारों को वेंडिंग जोन में शिफ्ट करने में आसानी होगी। उधर फुटपाथ दुकानदारों ने निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है कि स्मार्ट कार्ड बाद में दें, पहले हमारे रहने का ठिकाना तो बना दें। हमें सड़क से हटाकर बेघर कर दिया गया है।
दो वार्डों की लड़ाई
भूली। श्रमिक नगरी के नाम से चर्चित। कई इलाके दो वार्ड में आते हैं- 15 और 16। दोनों इस समय चर्चा में है। इसके कारण कई हैं। मेरे वार्ड को क्यों कम फंड मिला, उस वार्ड से निगम को अधिक प्रेम क्यों है आदि। यह सड़क मेरे वार्ड की नहीं है, इसलिए सफाई नहीं करा सकते। बिजली का यह पोल तो फलां वार्ड में पड़ता है, मैं कैसे ठीक करा सकता हूं। यह चंद उदाहरण मात्र हैं। ऐसे कई कारण हैं जिनसे इन दोनों वार्ड के बॉर्डर पर रहने वालों को दो-चार होना पड़ रहा है। भूली सेक्टर तीन से सेक्टर चार तक जाने वाली सड़क का एक किनारा सी ब्लॉक वार्ड 16 में और ई ब्लॉक वार्ड 15 में पड़ता है। यहां सफाई, बिजली और टूटी सड़क की सबसे अधिक समस्या है। कारण जो हो, दो वार्डों की लड़ाई में जनता पिस रही है।
सफाई नहीं, मगर नंबर एक
धनबाद नगर निगम इन दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण में खुद को बेहतर साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। जन फीडबैक पर निगम का अधिक जोर है। आम-ओ-खास से सात सवालों का जवाब मांगा जा रहा है, ताकि किसी तरह डेढ़ लाख फीडबैक पहुंच सके। अगर ऐसा हुआ तो निगम को सीधे 1500 अंक मिल जाएंगे। सिटिजन फीडबैक की बदौलत निगम झारखंड में एक नंबर पर पहुंच भी गया है। हालांकि शहर में सफाई व्यवस्था की स्थिति जस की तस है। जिस जगह रैमकी एजेंसी को सफाई का जिम्मा दिया गया है, वहां हालात सबसे बुरे हैं। एजेंसी डस्टबिन के बाहर पड़ा कचरा उठाने के लिए तैयार नहीं है। गलियों में एक बार कचरा गाड़ी गाना बजाते हुए जाती है और जरा सी भी देर हुई तो बिना कचरा उठाए ही चली जाती है। इससे लोगों में काफी रोष है।