पाथरडीह में 20 मिनट रुक रही स्वर्णरेखा, यात्री भी हो रहे सवार, पर रेलवे ने बंद कर दिया टिकट जारी करना
ट्रेन पाथरडीह जंक्शन पर 20 मिनट रुक रही है। इन 20 मिनटों में इंजन रिवर्सल यानी उसे बदला जा रहा है। यात्री सवार हो रहे हैं और उतर भी रहे हैं। पर रेलवे ने टिकट जारी करना बंद कर दिया है। नतीजा ट्रेन अब मुफ्त परिवहन सेवा बन गई है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: ट्रेन पाथरडीह जंक्शन पर 20 मिनट रुक रही है। इन 20 मिनटों में इंजन रिवर्सल यानी उसे बदला जा रहा है। यात्री सवार हो रहे हैं और उतर भी रहे हैं। पर रेलवे ने टिकट जारी करना बंद कर दिया है। नतीजा ट्रेन अब मुफ्त का सफर कराने वाली परिवहन सेवा बन गई है। यात्री बेटिकट सफर कर रहे हैं और रेलवे को रोजाना हजारों रुपये की चपत लग रही है। एक तो यात्री किराए की रकम का नुकसान हो रहा है। उस पर ट्रेन चलाने के खर्च का बोझ भी। जी हां, बात कर रहे हैं धनबाद से टाटा के बच चलने वाली स्वर्णरेखा एक्सप्रेस की।
29 साल पहले एक जुलाई 1993 को पहली बार पटरी पर उतरी स्वर्णरेखा एक्सप्रेस धनबाद से खुलकर पाथरडीह, सुदामडीह, भोजूडीह, संतालडीह और आद्रा होकर टाटा तक चलती थी। मार्च 2020 में कोरोना काल में बंद होने के बाद तकरीबन 26 महीने तक ट्रेन बंद रही। रेलवे ने पहले तो कम आमदनी का हवाला देकर ट्रेन चलाने का इन्कार कर दिया। फिर एकाएक एक मई से ट्रेन चलाने को हरी झंडी दे दी। ट्रेन को पटरी पर लाने की घोषणा के साथ ही रेलवे ने ठहराव में कटौती कर दिया। पाथरडीह, सुदामडीह, भोजूडीह और संतालडीह स्टेशन से ठहराव हटा दिया गया। अब धनबाद से खुलने वाली ट्रेन का पहला वाणिज्यिक ठहराव आद्रा है।
जिन रेलवे स्टेशनों से ठहराव वापस लिए गए उनमें सुदामडीह, भोजूडीह और संतालडीह में ठहराव नहीं होता, पर पाथरडीह में अब भी ठहराव जारी है क्योंकि यहीं दोनों ओर से आनेवाली ट्रेन का इंजन बदलता है। इंजन बदलने में लगभग 20 मिनट का वक्त लगता है। इस दौरान धनबाद से आद्रा और टाटा की ओर से जानेवाले यात्री बेटिकट ही सवार होते हैं। वापसी में भी ट्रेन रुकते ही उतर भी जाते हैं। रेलवे ने पाथरडीह स्टेशन को विकसित कर फिर से ठहराव शुरू करने की भी घोषणा की थी। प्लानिंग अब तक फाइल से बाहर नहीं निकली है।