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एसएनएमएमसीएच में पांच साल बाद थैलेसीमिया के दवाओं की आपूर्ति

जागरण संवाददाता धनबाद एसएनएमएमसीएच में पांच वर्षो बाद थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण दवा डेजीराक्स 500 की आपूíत शुरू करा दी गई है। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे और उनके स्वजन पिछले पांच वर्षो से सरकार से इसकी माग कर रहे थे। अब दवा की आपूíत शुरू होने के बाद वैसे लोगों को काफी राहत मिलेगी जो मजबूरी में अपने बच्चे के लिए बाहर से दवा खरीद रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Aug 2021 05:18 PM (IST)Updated: Fri, 13 Aug 2021 05:18 PM (IST)
एसएनएमएमसीएच में पांच साल बाद थैलेसीमिया के दवाओं की आपूर्ति
एसएनएमएमसीएच में पांच साल बाद थैलेसीमिया के दवाओं की आपूर्ति

जागरण संवाददाता, धनबाद : एसएनएमएमसीएच में पांच वर्षो बाद थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण दवा डेजीराक्स 500 की आपूíत शुरू करा दी गई है। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे और उनके स्वजन पिछले पांच वर्षो से सरकार से इसकी माग कर रहे थे। अब दवा की आपूíत शुरू होने के बाद वैसे लोगों को काफी राहत मिलेगी, जो मजबूरी में अपने बच्चे के लिए बाहर से दवा खरीद रहे थे। अस्पताल के अधीक्षक डा अरुण कुमार वर्णवाल ने बताया कि वर्ष 2017 में 25 लाख रुपये खर्च कर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के जेनेटिक वार्ड बनाया गया था। लेकिन दवा की व्यवस्था नहीं की गई थी। लिहाजा लोगों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती थी। शरीर में आयरन को करता है कंट्रोल, बच्चों के लिए संजीवनी

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थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर बार खून चढ़ाना पड़ता है। लेकिन इसका एक सबसे बड़ा दुष्प्रभाव शरीर में आयरन पर पड़ता है। ऐसे बच्चों के शरीर में आयरन काफी बढ़ जाता है। जो बच्चों के लिए और ज्यादा जानलेवा हो जाता है। ऐसे में यह दवा बच्चों के शरीर में लगातार खून चढ़ाने की वजह से होने वाले विपरीत प्रभाव को खत्म कर देता है। ब्लड बैंक से जुड़े हैं 125 थैलेसीमिया बच्चे का निबंधन

अस्पताल के ब्लड बैंक से फिलहाल 125 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का निबंधन है। नियमानुसार अस्पताल आने के बाद ऐसे बच्चों को प्रबंधन की ओर से तत्काल रक्त उपलब्ध कराना होता है। लेकिन लगातार खून की कमी होने की वजह से समाजसेवी संस्थाएं आगे आती है। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के लिए समाजसेवी अंकित राजगढ़यिा, समाज सेविका शालिनी खन्ना, समाजसेवी गौतम कुमार मंडल, बंगाली वेलफेयर समिति, धनबाद ब्लड डोनर, रक्तदान महादान आदि संस्थाएं भी लगातार दवा की माग करती रही है।


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