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आइएसएम में माइनिग और अप्लाइड जियोलाजी के चार विषयों की पढ़ाई बंद

आइआइटी आइएसएम ने एमटेक के चार विषयों की पढ़ाई बंद कर दी है। सीनेट ने भी इन कोर्सो को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से इन विषयों में नामांकन नहीं लिया है। एमटेक अप्लाइड जियोलाजी इंजीनियरिग विभाग के जियो एक्सप्लोरेशन और इंजीनियरिग जियोलाजी विषय के साथ-साथ माइनिग इंजीनियरिग का जियोमैट्रिक्स और टनलिग अंडरग्राउंड स्पेश टेक्नालाजी का कोर्स बंद कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 06:20 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 06:20 AM (IST)
आइएसएम में माइनिग और अप्लाइड जियोलाजी के चार विषयों की पढ़ाई बंद
आइएसएम में माइनिग और अप्लाइड जियोलाजी के चार विषयों की पढ़ाई बंद

जागरण संवाददाता, धनबाद : आइआइटी आइएसएम ने एमटेक के चार विषयों की पढ़ाई बंद कर दी है। सीनेट ने भी इन कोर्सो को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से इन विषयों में नामांकन नहीं लिया है। एमटेक अप्लाइड जियोलाजी इंजीनियरिग विभाग के जियो एक्सप्लोरेशन और इंजीनियरिग जियोलाजी विषय के साथ-साथ माइनिग इंजीनियरिग का जियोमैट्रिक्स और टनलिग अंडरग्राउंड स्पेश टेक्नालाजी का कोर्स बंद कर दिया गया है। कोर्स बंद होने की स्थिति में संबंधित विभाग को कोर्स में नामांकित मौजूदा छात्रों को उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करने की व्यवस्था करनी होगी ताकि बिना किसी समस्या के उन्हें समय पर स्नातक करने में मदद करें।

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पीएचडी में अब दो बार मिलेगा प्रवेश का अवसर

पीएचडी के छात्रों को अब संस्थान में दो बार प्रवेश करने का मौका मिलेगा। पहले एक ही बार शीतकालीन सेमेस्टर में नामांकन होता था। लेकिन अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से फेलोशिप करने वाले छात्रों को यह अवसर मानसून सेमेस्टर में भी मिलेगा। यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2022-23 से प्रभावी होगा। इसके तहत पीएचडी करने वाले मेधावी उम्मीदवार प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में अर्थात सेमेस्टर शुरू होने से पहले दोनों सेमेस्टर (मानसून के साथ-साथ शीतकालीन) में प्रवेश के लिए आवेदन करने का विकल्प दिया जाएगा। सेमेस्टर शुरू होने के बाद बीच में उन्हें पंजीकरण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रवेश के समय ही छात्र को गाइड आवंटित किया जाएगा। गाइड के परामर्श से शीतकालीन सेमेस्टर के डीईपीजी, ओईपीजी पाठ्यक्रम लेने की अनुमति दी जाएगी।

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अब किसी भी सेमेस्टर में कर सकेंगे ऐच्छिक विषय की पढ़ाई

अंडर ग्रेजुएट छात्रों को पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक अनिवार्य पाठ्यक्रम में से प्रबंधन अध्ययन और मानविकी और सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रमों को पूरा करना पड़ता था। अब नए नियम के अनुसार एमएस और एचएसएस पाठ्यक्रम जो कि गैर-विभागीय पाठ्यक्रम है। इसे एक ओपन ऐच्छिक के रूप में माना जाएगा, लेकिन यह अनिवार्य होगा। अब इस विषय को यूजी छात्र बीटेक के पूरी अवधि के दौरान किसी भी सेमेस्टर में पूरा कर सकेंगे। शैक्षणिक सत्र 2022-23 मानसून सेमेस्टर से यह प्रभावी होगा। इसमें वर्ष 2020 के बाद जिन छात्रों ने बीटेक में प्रवेश लिया है, वे भी शामिल होंगे।

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अब सीधे प्रोवेशन में नहीं जाएंगे बीटेक और एमटेक छात्र

बीटेक के वैसे छात्र जो पढ़ने में कमजोर हैं। उन्हें पहले प्रवेशन की सूची में डाल दिया जाता था। लेकिन नए नियम के तहत अब उन्हें भी अवसर दिया गया है। अब उन्हें पहले चेतावनी दी जाएगी फिर दूसरे चरण में प्रवेशन में डाला जाएगा। उसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो टर्मिनेट करने की कार्रवाई की जाएगी।

बीटेक में चेतावनी के लिए मापदंड भी तय किए गए हैं। यदि एसजीपीए 4.0 और सीजीपीए 4.0 या एसजीपीए 4.0 और सीजीपीए 4.0 से कम (केवल एक बार) छात्र के माता-पिता या अभिभावक को छात्र की शैक्षणिक चेतावनी की सूचना दी जाएगी। इसके बाद प्रवेशन और फिर टर्मिनेशन की प्रक्रिया की जाएगी। पीजी छात्रों के लिए चेतावनी - एसजीपीए पांच होने पर छात्रों को चेतावनी पर रखा जाएगा और इस सूचना अभिभावक को भेजी जाएगी।

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वैकल्पिक पाठयक्रम में घटी छात्रों की संख्या

वहीं संस्थान ने वैकल्पिक पाठ्यक्रम चलाने के लिए पंजीकृत होने के लिए आवश्यक न्यूनतम छात्रों की संख्या में संशोधन किया गया है। शीतकालीन सेमेस्टर 2021-22 से यह प्रभावी होगा। पहले बीटेक के वैकल्पिक पाठयक्रम में 20 छात्र होते थे। अब इसे 10 छात्र कर दिया गया है। वहीं पीजी के वैकल्पिक पाठयक्रम में 10 छात्र थे, जिसे अब पांच कर दिया है।

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अब सेकेंड सेमेस्टर से ही मिल जाएगा गाइड

अब एमटेक थिसिस के छात्रों को सेकेंड सेमेस्टर से ही गाइड मिल जाएगा। यह नियम 2021 बैच से इसे लागू किया गया है। पहले तीसरे सेमेस्टर में गाइड मिलता था। जिससे थिसिस में काफी समय लग जाता था। लेकिन अब सकेंड सेमेस्टर से ही छात्र गाइड ले सकेंगे। जिससे सेंकेंड सेमेस्टर से ही साहित्य सर्वेक्षण और समस्या विवरण तैयार करने का काम शुरू हो जाएगा। वहीं तीसरे और चौथे समेस्टर तक अनुसंधान प्रस्ताव, प्रस्तावित कार्य और पेपर लेखन पूरा हो जाएगा।


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