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Weekly News Roundup Dhanbad: यह रेल है बाबू ! कब काैन किस पर चढ़ेगा समझना मुश्किल

Weekly News Roundup Dhanbad कोई कहे कि रेल का सफर भगवान भरोसे है तो गलत न होगा। अहमदाबाद से कोलकाता जाने वाली स्पेशल ट्रेन सारे जहां से अच्छा की तस्वीरें तो यही बयां कर रही हैं। ट्रेन की सेकेंड सीटिंग के डी-3 कोच में धूल जमे हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 05:25 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 05:25 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: यह रेल है बाबू ! कब काैन किस पर चढ़ेगा समझना मुश्किल
धनबाद रेल मंडल का इंजीनियरिंग सेक्शन ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। धनबाद रेल मंडल में इंजीनियर बाबुओं की चलती है। सीनियर अधिकारी के आदेश पर भी अपना हुक्म चलाने में बाज नहीं आते हैं। अब देखिए न। सीनियर सेक्शन इंजीनियर उपेंद्र मंडल का बंधुआ से धनबाद ट्रांसफर किया गया। कार्मिक विभाग के रेल मंडल की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठे सीनियर डीपीओ ने तबादला आदेश जारी कर दिया। 13 मई को गझंडी के सहायक अभियंता ने उपेंद्र का स्पेयर ऑर्डर भी जारी कर दिया। मगर गोमो के सहायक अभियंता को सीनियर अधिकारी का आदेश रास नहीं आया। बंधुआ से धनबाद आने से पहले ही उन्होंने सीनियर सेक्शन इंजीनियर को गोमो में रोक लिया। बताया कि गोमो में वॉशेबल अप्रॉन तोड़कर रेलवे ट्रैक को नए सिरे से लिंक करने का काम चल रहा है। उपेंद्र अगले आदेश तक गोमो में रहकर इस काम में सहयोग करेंगे। बड़े साहब पर भारी पड़े छोटे साहब की खूब चर्चा है।

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ऐसी ट्रेन और नाम सारे जहां से अच्छा

कोई कहे कि रेल का सफर भगवान भरोसे है तो गलत न होगा। अहमदाबाद से कोलकाता जाने वाली स्पेशल ट्रेन सारे जहां से अच्छा की तस्वीरें तो यही बयां कर रही हैं। ट्रेन की सेकेंड सीटिंग के डी-3 कोच में धूल जमे हैं। सीट के ऊपर का हिस्सा पूरी तरह उखड़ चुका है और सिर्फ लकड़ी के पटरे दिख रहे हैं। और तो और उस कोच में बिजली भी नहीं। दिन तो किसी तरह गुजर गया पर जब शाम हुई तो पूरे कोच में अंधेरा फैला था। काफी इंतजार के बाद भी जब कोच में बिजली आपूर्ति नहीं हुई तो अहमदाबाद से कोलकाता जा रहे यात्री दिलीप दासवैराग्य ने रेल मंत्री को ट्वीट कर सच से सामना करा दिया। फिर चंद मिनटों में पूरा अमला सक्रिय हो गया। अहमदाबाद से धनबाद डीआरएम तक जवाब देते रहे। जल्द बिजली आपूर्ति का भरोसा दिया।

जुगाड़ से काम, मशीन को आराम

जैसे ही पता चला कि भाप लेने से संक्रमण से बचा जा सकता है। रेलवे ने तुरंत अपने कर्मचारियों को भाप दिलाना शुरू कर दिया। बरकाकाना लोको शेड से लेकर दूसरी जगहों पर रेलवे कर्मचारी भाप लेने लगे। रेलवे ने भाप लेते कर्मचारियों का विडियो इंटरनेट मीडिया पर भी शेयर किया। डिपो में खाना बनाने के लिए रखे प्रेशर कूकर और मच्छरदानी टांगने के स्टील के पाइप की जुगाड़ तकनीक काम आई। कर्मचारियों ने खुद भाप उपकरण बनाया जिससे एक साथ कई लोगों के लिए भाप लेने का जुगाड़ मिल गया। बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे कर्मचारियों के लिए रेलवे ने भाप लेने की मशीन भी खरीदी। मगर भाप मशीनों का वही हाल है जो दूसरी सरकारी चीजों का होता है। धनबाद के क्रू लॉबी में लगी मशीन अलमीरा के ऊपर आराम कर रही है। कर्मचारी कहते हैं सैनिटाइज होता नहीं भाप लेकर क्या करेंगे।

खटाल हटाएंगे या पीएम को खटखटाउं

वह 13 अक्टूबर 2020 था जब मैंने आपसे विनती की थी। छह-सात महीने गुजर चुके हैं। अब भी कोई जवाब नहीं मिला। अगर कार्रवाई नहीं करेंगे तो मुझे पीएमओ ऑफिस का दरवाजा खटखटाना होगा। यह कहना है एक बुजुर्ग महिला माया मुखर्जी का। पीएमओ से शिकायत की चेतावनी देनेवाली महिला किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए बल्कि रेलवे की बेशकीमती जमीन कब्जा मुक्त करने के लिए आगे आई हैं। बरमसिया में कोचिंग डिपो और एफसीआइ गोदाम के बीच सड़क किनारे खाली जमीन पर कभी एक खटाल था। अब पूरा मुहल्ला बस चुका है। खटालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस पर रोकथाम के लिए पिछले साल अक्टूबर में इस महिला ने रेलवे से फरियाद की थी। फरवरी में रेल जीएम का दौरा हुआ तो कुछ खटाल हटा दिए गये। उसके बाद से रेलवे मुंह फेर कर सोयी है। अब तो कोरोना का बहाना है।


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