Covid-19: इनके लिए तो कोरोना फरिश्ता से कम नहीं, कभी सोचा भी न था बीस साल बाद होगा मिलन
Story of Gajadhar Sonar गजाधर ने झरिया आकर अपना नाम बदलकर सत्यनारायण रख लिया। वह मजदूरी कर जीवनयापन करने लगा। उसे सर्दी-खांसी हुई तो लोगों ने कोरोना मरीज बता थाना में शिकायत की।
झरिया, जेएनएन। Story of Gajadhar Sonar करीब 20 साल पहले पारिवारिक कलह के कारण कोडरमा के झुमरी तिलैया से भागकर झरिया लिलोरीपथरा आए 55 वर्षीय गजाधर सोनार का अपने परिवार से कोरोना ने मिलन करा दिया है। झरिया पहुंची उसकी पत्नी और पुत्र गजाधर को देख खुशी से बिलख उठे। गजाधर की आंखों में भी आंसू छलक उठे। मिलन का यह दृश्य बड़ा ही भावुक था। अब जगाधर अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहेगा।
कोडरमा के बेलगढ़ा गांव से 20 साल पहले झरिया आकर गजाधर ने अपना नाम बदलकर सत्यनारायण रख लिया। यहां वह मजदूरी कर जीवनयापन करने लगा। इधर उसे सर्दी, खांसी व बुखार की शिकायत हो गई। आसपास के लोग ने उसे कोरोना संदिग्ध मान लिया और परिवार के बारे में पूछा। उसने नहीं बताया तो जानकारी झरिया पुलिस को दी। पुलिस पहुंची और कड़ाई से पूछताछ की तो वह टूट गया। बताया कि परिवार से विवाद होने के कारण 20 साल पूर्व झरिया आ गया था। इसके बाद अपने घर नहीं गया।
गजाधर के बार में जानकारी मिलने के बाद झरिया झाना की पुलिस ने तुरंत झुमरी तिलैया में रहनेवाले उसके परिवार को जानकारी दी। सूचना पाते ही उसकी पत्नी अनिता देवी और पुत्र चंद्रशेखर कुमार, गजाधार का साला अशोक कुमार सोमवार को झरिया पहुंचे। पत्नी ने पुलिस को बताया कि पति के लापता होने की खबर उस समय स्थानीय थाना में दी थी। पुलिस उसको खोज नहीं पाई थी। आज वह मिल गए। हमारे लिए यह जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। दोनों की आंखें काफी देर तक बहती रहीं। गजाधर की पत्नी और बेटे बोलेरो से आए थे। उसे लेकर साथ चले गए।