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Weekly News Roundup Dhanbad: सौतन तो विधवा ही चाहिए... कोयले के काले धंधे में अजीब दस्तूर

जी इन दिनों बालू कारोबारी इसी अर्थव्यवस्था पर भरोसा रखते हैं। जिस थाना से गाड़ी को गुजरना हो तो पहले ही वाट्सएप पर सूचना दे दी जाती है। इसके बाद ही वाहन गुजरता है। प्रति ट्रैक्टर 200 व डंपर पर 500 रुपये बांध दिया गया है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 05:06 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: सौतन तो विधवा ही चाहिए... कोयले के काले धंधे में अजीब दस्तूर
साइकिल से कोयला चोरी धनबाद में कभी बंद नहीं होती ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। जितने में एक नंबर का एक ट्रक कोयला आएगा उतने में हमलोग साइकिल वालों से दो ट्रक जमा कर लेते हैं। मालवाहक वाहनों में तीन टन ईंट लोड करने का नियम है। हमलोग छह टन लोड करते हैं। एक नंबर से चलाएं तो 25 हजार रुपये गाड़ी की ईंट 50 हजार रुपये से भी ऊपर पहुंच जाएगी। सो सीधा सा तरीका है, खनन विभाग को सीजन और थाना को महीने का पैसा पहुंचाओ और खुलकर काम करो। जी हां, ईंट-भट्ठा कारोबारियों का पूरा मामला अब सेट हो चुका है। हालांकि कुछ लोग अन्य देने वालों की पीठ पर बैठकर बच भी रहे थे। अब सौतन को विधवा देखने के लिए पति को मारना पड़े तो वही सही। रकम चुका रहे कारोबारियों ने ही शिकायत कर दी और हीरापुर के एक कारोबारी महोदय दबोच लिए गए। मरता क्या न करता, सूद समेत रकम चुका कर बचे।

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वाट्सएप इकोनॉमी

जी, इन दिनों बालू कारोबारी इसी अर्थव्यवस्था पर भरोसा रखते हैं। जिस थाना से गाड़ी को गुजरना हो, तो पहले ही वाट्सएप पर सूचना दे दी जाती है। इसके बाद ही वाहन गुजरता है। प्रति ट्रैक्टर 200 व डंपर पर 500 रुपये बांध दिया गया है। विभागीय बाबुओं को सीजन के हिसाब से ही रकम पहुंचा दी गई है। जाहिर है अब चालान की जरूरत नहीं रही। सो प्रति 100 सीएफटी 650 का चालान कटाते ही कारोबार घाटे का हो जाता है। और चालान लेने पर भी कौन सा अधिकारी-पुलिस छोड़ देते, सो चालान छोडिय़े और सीधे मामला सेट कर कारोबार करिए। एक और बात, चालान तो दिखाने के दांत थे। यह बताने को कि अब धंधा करने का समय आ गया है। सो, अब कोई बंधन नहीं। पूरे जिले में जिस घाट से बालू मिले, उठाइये और बेचिए। क्या तोपचांची, बाघमारा और पूर्वी-पश्चिमी टुंडी, घाट चालू है।

निष्कासितों का मिलन

शुक्रवार को बीसीसीएल रिक्रिएशन क्लब में लिट्टी पार्टी का आयोजन था। लिट्टी पार्टी क्या, इसे असंतुष्टों का मिलन समारोह कहिए। आयोजन किया था भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष ओम ङ्क्षसह ने। साथ थे भामसं से ही संबद्ध सीएमपीएफ कर्मचारी संघ के पूर्व सचिव ललन मिश्रा व विवेकानंद उपाध्याय। भारतीय जनता पार्टी छोड़ सरयू राय के भारतीय जन मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने उदय कुमार ङ्क्षसह भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। सबसे अधिक ध्यान खींचा जनता मजदूर संघ (बच्चा गुट) के संयुक्त महामंत्री अभिषेक ङ्क्षसह (गुड्डू) ने। वे बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। उनका रहना लाजिमी भी था। चर्चा है कि ओम ङ्क्षसह धकोकसं से निकलने के बाद अपने कोल वर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन के एफिलिएशन के लिए प्रयासरत हैं। भामसं के रहे नहीं, वामपंथी होंगे नहीं, इंटक खुद विवादित है। ऐसे में गुड्डू एचएमएस के लिए सहायक हो सकते हैं।

खदान है या कुआं

देश में कोङ्क्षकग कोयले की एकमात्र कंपनी जमीन की गंभीर समस्या से जूझ रही है। हालत यह है कि खदानों की स्थिति कुएं जैसी हो गई है। इधर बस्ती तो उधर गांव, कोयला निकालें कहां से। उच्च गुणवत्ता युक्त एरिया-1 की बरोरा कोलियरी को ही लीजिए। तीन दिन से ब्लाङ्क्षस्टग बंद है। वजह- मंडल केंदुआडीह के गांव वाले ब्लाङ्क्षस्टग नहीं करने दे रहे। कहते हैं कि मकान ध्वस्त हो जाएगा। भूमि अधिग्रहण हो नहीं पा रहा। उत्पादन 12000 टन प्रतिदिन से घटकर 4500 टन पर आ गया है। इसी समस्या की वजह से फुलारीटांड़ आउटसोर्सिंग बंद है। अब जबकि सीएमडी ने गोपालीचक खदान पर अलग से बात की, तो बरोरा प्रबंधन आस लगाए बैठा है कि उनकी ओर भी नजर-ए-इनायत हो। किनारे की बस्तियों का पुनर्वास कराया जाए कि कुछ जमीन मिले और वे फिर कंपनी का सिरमौर बनें। निकट भविष्य में ऐसा संभव नहीं दिखता।


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