एक वर्ष से स्टील गेट के आश्रय गृह पर कब्जा, बिना किराया दिए रह रहे थे तीन लोग, शिकायत के बाद हुए बाहर
सड़क किनारे बस स्टैंड रेलवे स्टेशन और इधर-उधर गुजर बसर करने वालों के लिए नगर निगम ने दो आश्रय गृह बना रखे हैं। एक गोल्फ ग्राउंड के पास तो दूसरा स्टील गेट में है। गोल्फ ग्राउंड का आश्रय गृह केवल महिलाओं के लिए है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: सड़क किनारे, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और इधर-उधर गुजर बसर करने वालों के लिए नगर निगम ने दो आश्रय गृह बना रखे हैं। एक गोल्फ ग्राउंड के पास तो दूसरा स्टील गेट में है। गोल्फ ग्राउंड का आश्रय गृह केवल महिलाओं के लिए है। यहां 25 रुपये शुल्क देकर कोई भी ठहर सकता है। जो यह राशि भी नहीं दे सकते, उनके लिए यहां निश्शुल्क ठहरने की व्यवस्था है। स्टील गेट के आश्रय गृह में पिछले एक वर्ष से तीन लोगों ने जबरन कब्जा कर रखा था। संचालक के बार-बार बोलने के बाद भी कब्जा नहीं छोड़ रहे थे। इसकी शिकायत नगर आयुक्त तक पहुंची है। नगर निगम ने संचालक को बुलाकर फटकार लगाई। इसके बाद से संचालक सकते में था। दबाव पड़ने के बाद नगर निगम में लिखित शिकायत देकर उसने संबंधित लोगों को निकालने की गुहार लगाई। बुधवार को शाम तक तीनों लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
जानकारी के अनुसार, स्टील गेट आश्रय गृह में सत्येंद्र कुमार, प्रभाकर रंजन दिवाकर और सुभाष चटर्जी एक वर्ष से नियमित रह रहे थे। इनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर थी। इसके बावजूद किराया नहीं दे रहे थे। संचालक के पैसे मांगने पर धमकी देते थे। नगर निगम के नियानुसार, इतने दिनों तक आश्रय गृह में रहने की छूट नहीं है। अधिक से अधिक छह माह तक ही रुका जा सकता है। इसके लिए भी ठोस कारण देना होगा।
स्टील गेट आश्रय गृह 50 बेड का है। सक्षम लोगों से हर दिन 25 रुपये की दर से किराया निर्धारित है। यहां रहने वाले अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हैं। कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर यहां रहना शुरू कर देते हैं। आश्रय गृह के संचालक मुकेश झा ने बताया कि कई बार इन्हें टोका गया। किराया भी मांगा गया। नहीं देने पर आश्रय गृह खाली करने को भी कहा, बावजूद तीनों छोड़ने को तैयार नहीं होते थे। सिटी मैनेजर आनंद राज ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद संचालक को तीनों से आश्रय गृह तत्काल खाली कराने को कहा गया। शाम करीब साढ़े चार बजे तक तीनों बाहर कर दिए गए।